राजपथ - जनपथ
इस बार कई मंतूराम!
नगरीय निकाय चुनाव में करीब एक नगर पंचायत अध्यक्ष समेत करीब 30 भाजपा पार्षदों का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है। इनके खिलाफ कोई और प्रत्याशी मैदान में नहीं है। धमतरी में कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी का नामांकन निरस्त होने के बाद भाजपा प्रत्याशी की जीत आसान हो गई है।
राज्य बनने के बाद निकाय चुनाव में इतनी बड़ी संख्या में निर्विरोध निर्वाचन नहीं हुआ। इसके लिए कांग्रेस नेताओं के कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। पार्टी ने आपाधापी में प्रत्याशी घोषित किए, और जिन जगहों पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने नाम वापिस लिए हैं वहां लेन-देन की चर्चा हो रही है।
धमतरी में तो मेयर प्रत्याशी विजय गोलछा का नामांकन निरस्त होने के बाद पार्टी ने डमी प्रत्याशी तिलक सोनकर को अधिकृत प्रत्याशी घोषित करने का मन बनाया था। तिलक रायपुर आकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज से भी मिले थे। इसके बाद कुछ लोगों ने बैज का कान फूंक दिया कि तिलक को अधिकृत घोषित करने से मंतूराम पवार प्रकरण दोहरा सकता है। इसके बाद तिलक सोनकर की पृष्ठभूमि जांची गई। यह बताया गया कि तिलक आर्थिक रूप से कमजोर है, और जीवनयापन के लिए आलू-प्याज बेचने का काम करते हैं। फिर क्या था, बैज ने प्रमुख नेताओं से चर्चा के बाद धमतरी में किसी का समर्थन नहीं करने का फैसला किया है।
दिलचस्प बात यह है कि भाजपा ने कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी का नामांकन निरस्त होने के बाद से निर्विरोध निर्वाचन के लिए कोशिशें भी की थी। करीब दर्जन भर प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, इनमें से 4 की ही नामांकन वापिसी हो पाई। बाकियों ने चुनाव मैदान में हटने से मना कर दिया।
कुल मिलाकर धमतरी के मेयर चुनाव ने अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव की याद दिलाई है। उस समय भी कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार, और अन्य निर्दलियों ने नाम वापिस ले लिए थे, लेकिन एक अंबेडकराइट पार्टी के रूपधर पुड़ो की नाम वापिसी नहीं हो पाई थी, और इस वजह से मतदान हुआ। इससे परे धमतरी में अभी तक किसी तरह की लेन-देन की चर्चा सामने नहीं आई है, लेकिन निर्दलीयों की मौजूदगी के चलते मेयर के लिए भी मतदान होगा। ये अलग बात है कि भाजपा प्रत्याशी जगदीश रामू रोहरा की राह आसान हो गई है।
देवेंद्र के पास जवाब नहीं है
भाजपा ने बसना के नगर पंचायत अध्यक्ष का भी चुनाव जीत लिया है। यहां भाजपा प्रत्याशी डॉ.खुशबू अग्रवाल के खिलाफ कोई भी प्रत्याशी मैदान में नहीं उतरा। कांग्रेस, और आम आदमी पार्टी व बसपा के साथ-साथ निर्दलियों ने भी नामांकन वापिसी के आखिरी दिन अपने नाम वापस ले लिए।
कांग्रेस प्रत्याशी के नाम वापिस लेने की खबर स्थानीय संगठन के प्रमुख नेताओं तक पहुंची, तो हडक़म्प मच गया। तुरंत प्रत्याशी और उनके परिवार के सदस्यों से संपर्क साधा गया लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो पाया। आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी, और उनके पति ने अपना मोबाइल स्विचऑफ कर रखा था।
बसना से भाजपा प्रत्याशी के निर्विरोध निर्वाचन खबर पार्टी हाईकमान तक पहुंची है। चर्चा है कि प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सचिन पायलट ने इस सिलसिले में प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज और अन्य नेताओं से चर्चा की है। बसना, राजपरिवार का गढ़ माना जाता है। पूर्व मंत्री देवेन्द्र बहादुर सिंह यहां का प्रतिनिधित्व करते आए हैं। कांग्रेस प्रत्याशी भी देवेन्द्र बहादुर सिंह की पसंद से तय किए गए थे। और अब जब प्रत्याशी ने नाम वापिस ले लिए हैं तो देवेन्द्र बहादुर को जवाब देते नहीं बन रहा है।


