राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : किस्मत किसकी खुलेगी
02-Mar-2024 2:42 PM
राजपथ-जनपथ : किस्मत किसकी खुलेगी

किस्मत किसकी खुलेगी

भाजपा के केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक में छत्तीसगढ़ की सीटों पर गुरूवार को करीब 20 मिनट की चर्चा हो पाई। यद्यपि पीएम नरेन्द्र मोदी, और अमित शाह व राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा समिति के सदस्यों के साथ देश के अलग-अलग राज्यों की लोकसभा सीटों पर चर्चा के लिए रात्रि 3 बजे तक मौजूद रहे।

छत्तीसगढ़ की बाकी सीटों के लिए तो ज्यादा कुछ बात नहीं हुई लेकिन रायपुर की सीट से सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का नाम एकाएक सामने आ गया। बृजमोहन प्रदेश के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं, और पार्टी का एक खेमा उन्हें केन्द्र की राजनीति में भेजने के लिए तत्पर दिख रहा है। मगर बृजमोहन को ही तय करना है कि वो लोकसभा सदस्य बनना चाहते हैं, अथवा सरकार में मंत्री बने रहना चाहते हैं।

पार्टी के कुछ लोगों का मानना है कि बृजमोहन लोकसभा लड़ते हैं तो जीत उनकी सुनिश्चित है। ऐसे में उनकी जगह मंत्री पद के लिए राजेश मूणत की स्वाभाविक दावेदारी बन जाती है जो कि इन दिनों काफी मुखर हैं। मूणत संगठन के पसंदीदा भी हैं। लेकिन बृजमोहन के समर्थक नहीं चाहते कि वो केन्द्र में सक्रिय हो, और मौजूदा सांसद सुनील सोनी भी उन्हीं के करीबी हैं। यह तकरीबन तय माना जा रहा है कि बृजमोहन लोकसभा चुनाव लडऩे से मना कर देंगे, और ऐसे में संभव है कि सुनील सोनी की हमेशा की तरह आखिरी वक्त में लॉटरी खुल जाए।

भाजपा की टिकट और एनएसए

400 पार के लिए भाजपा एक एक प्रत्याशी चयन में मानो समुद्र मंथन जैसी कवायद कर रही है। नमो एप, राज्य और केंद्र की गुप्तचर एजेंसी, सर्वे एजेंसियां इस दिशा में काम कर रही है। इसमें एक नया एजेंसी भी अंतिम मुहर लगाने लगाने में अहम भूमिका निभा रही है । वो है विवेकानन्द फाउंडेशन।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एनएसए अजीत डोभाल और प्रधानमंत्री के पूर्व प्रमुख सचिव नृपेन्द्र मिश्रा भी इसी फाउंडेशन से जुड़े रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से मुक्त होने के बाद नृपेन्द्र मिश्रा अभी भी फाउंडेशन के लिए काम कर रहे हैं। चर्चा है कि राज्यों की राजनीति स्थिति की रिपोर्ट फाउंडेशन तक पहुंचती है और यहां की टीम दावेदारों की कुंडली तैयार कर मोटा भाई तक भेज रहे हैं। फाउंडेशन की मुहर लगने पर ही नाम तय होने की चर्चा है। क्या वाकई ऐसा हो रहा है, यह तो प्रत्याशियों की लिस्ट जारी होने के बाद ही पता चलेगा।

शनिवार को ऑफिस जाना पड़ सकता है

चर्चा है कि राज्य में शनिवार का सरकारी अवकाश बंद हो सकता है। भूपेश सरकार ने केन्द्र की तर्ज पर राज्य सरकार के दफ्तरों में अवकाश का फैसला लिया था।
केन्द्र सरकार में वैसे तो बाकी अवकाश काफी कम होता है। ऐसे में शनिवार का अवकाश जरूरी हो जाता है। मगर राज्य के तीज-त्यौहारों के मौके पर ऐच्छिक अवकाश की भरमार हो गई है। ऐसे में अब फिर से शनिवार का अवकाश बंद करने पर मंथन चल रहा है। जल्द ही सरकार इस पर कोई फैसला ले सकती है।

मेयर न सही, सभापति ही हटाओ

प्रदेश में सरकार बनने के बाद भाजपा को अनेक नगर पंचायतों और नगरपालिकाओं में तख्ता पलटने में कामयाबी मिल चुकी है लेकिन नगर-निगम अब भी बचे हुए हैं। जगदलपुर नगर-निगम की महापौर सफीरा साहू के खिलाफ कांग्रेस सरकार के दौरान 6 माह पहले अविश्वास प्रस्ताव जरूर लाया गया था लेकिन तब फ्लोर टेस्ट की नौबत नहीं आई। कांग्रेस के अधिकांश पार्षद एक दिन पहले राजधानी पहुंच गए थे और कोरम पूरा नहीं हो पाया। नियम ऐसा है कि अब अगला प्रस्ताव एक साल की अवधि पूरी होने के बाद ही आ पाएगा। इस तरह से कम से कम अगले 6 महीने तक उनकी कुर्सी सुरक्षित रहेगी। मगर, अब भाजपा पार्षदों ने सभापति कविता साहू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। नगर-निगम के रोजमर्रा के कामकाज में सभापति की ज्यादा दखल नहीं होती मगर, आम सभा के दौरान सभापति की भूमिका खास बन जाती है। कांग्रेस के बहुमत वाले इस नगर-निगम में यदि सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया तो यह भाजपा के लिए छोटी सफलता नहीं होगी। यह तभी संभव होगा जब कांग्रेस पार्षद पाला बदलेंगे। लोकसभा चुनाव के पहले लाए गए इस प्रस्ताव का असर आगे के चुनाव में भी दिखेगा। कांग्रेस के सामने भी अपने पार्षदों को एकजुट रखने की चुनौती है। परिणाम 11 मार्च को पता चलेगा, जिस दिन आमसभा बुलाई गई है।

मानसून से पहले की तैयारी

बस्तर के एक गांव की है यह तस्वीर। आदिवासी परिवार मानसून से पहले जंगल की सूखी लकड़ी और खेत की मिट्टी से अपना आशियाना दुरुस्त कर रहा है। प्रकृति और मौसम के अनुसार खुद को डालकर जीवन जीने की कला उनकी विशेषता है। शायद पिछली सरकार में प्रधानमंत्री आवास योजना की सहायता इस परिवार तक नहीं पहुंची। अब अगली बारिश के बाद पहुंच सकती है।

ईडी की ताजा छापेमारी

कोरबा में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने ठेकेदार जेपी अग्रवाल के यहां छापामारी की है। वे पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के रिश्तेदार बताये जाते हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मंत्री रहने के दौरान जयसिंह अग्रवाल ने डीएमएफ फंड में भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर शोर से उठाया था। उनकी तब के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखी गई एक लंबी चि_ी भी सार्वजनिक हो गई थी। ईडी ने अधिकारिक रूप से छापेमारी की वजह व बरामदगी के बारे में अभी कुछ नहीं बताया है, पर चर्चा है कि छापेमारी डीएमएफ में कराए गए कार्यों को लेकर ही की गई है। यह दिलचस्प है कि करीबियों को काम मिलने के बावजूद पूर्व मंत्री ने परवाह नहीं की और डीएमएफ में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया।

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