राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : जंगल में ऐसा मंगल कभी देखा न था
23-Sep-2023 3:45 PM
राजपथ-जनपथ : जंगल में ऐसा मंगल कभी देखा न था

जंगल में ऐसा मंगल कभी देखा न था

वन महकमे में ऐसा कुछ हुआ है जो पहले कभी नहीं हुआ। हेड ऑफ फारेस्ट फोर्स के लिए गुपचुप डीपीसी हुई, और सबसे जूनियर अफसर वी.श्रीनिवास राव को हेड ऑफ फारेस्ट फोर्स बना दिया गया।

श्रीनिवासराव से सीनियर आधा दर्जन पीसीसीएफ हैं। मगर चर्चा है कि उन्हें इस डीपीसी की भनक तक नहीं लगी। पहले भी पीसीसीएफ (प्रशासन) को हटाया जा चुका है। मसलन, आर.के.मिश्रा, आर.के.शर्मा, अरविंद अनिल बोवाज और मुदित कुमार सिंह पीसीसीएफ (प्रशासन) के साथ-साथ हेड ऑफ फारेस्ट फोर्स रहे हैं।

इन अफसरों को पीसीसीएफ (प्रशासन) के पद से भले ही उन्हें हटा दिया गया था लेकिन उनकी वरिष्ठता को प्रभावित नहीं किया गया, और रिटायर होने तक ये अफसर हेड ऑफ फारेस्ट फोर्स रहे हैं। इस प्रमोशन से वन महकमे में हडक़म्प मचा हुआ है। निचले स्तर तक के अफसर इस प्रमोशन को गैरजरूरी और नियम विरुद्ध करार दे रहे हैं।

बाकी राज्यों के सीनियर वन अफसर भी इसको लेकर पूछताछ कर रहे हैं। चुनाव का समय है, यह गुपचुप तरीके से पदोन्नति तो हो गई लेकिन चुनाव आचार संहिता प्रभावशील होते ही मामला तूल पकड़ सकता है। वन महकमे में सक्रिय कई आरटीआई एक्टिविस्ट इसकी सूचना केन्द्र सरकार और चुनाव आयोग को भेजी है। देखना है आगे क्या होता है।

रेवड़ी लगी बंटने 

सरकार के एक ताकतवर मंत्री के समर्थकों का वीडियो वायरल हुआ है। वायरल वीडियो में मंत्री समर्थक, ग्रामवासियों को साड़ी बांटते नजर आ रहे हैं। साथ ही उन्हें हिदायत दे रहे हैं कि विरोधी दल के लोग भी यहां प्रचार के लिए आएंगे लेकिन उनके प्रलोभन में नहीं आना है।

मंत्री समर्थक ग्रामीणों से मंत्री के समर्थन में नारेबाजी भी कराते नजर आ रहे हैं। उनसे अपील भी कर रहे हैं कि मंत्रीजी को फिर चुनाव में जिताना है, और प्रदेश में दोबारा पार्टी की सरकार बनाना है। हरेक परिवार को एक साड़ी दी जा रही है, और इसकी लिस्टिंग भी की गई है। वीडियो में साड़ी नहीं मिलने से कई लोग नाराज भी दिख रहे हैं। ऐसे लोगों से आग्रह किया जा रहा है कि उनका नाम अगले लिस्ट में आ जाएगा। यानी साड़ी बांटने का क्रम जारी रहेगा।

जानकार लोग बताते हैं कि इस बार मंत्रीजी कड़े मुकाबले में फंस सकते हैं। इसके चलते अभी से मतदाताओं को रिझाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। अभी आचार संहिता प्रभावशील नहीं है, इसका फायदा उठाकर मतदाताओं को गिफ्ट बांटना शुरू कर दिया है। बाद में चुनाव आयोग की सख्ती के चलते ऐसा संभव न हो पाए। वायरल वीडियो की खूब चर्चा हो रही है।

अच्छे दिन आ गए 

चुनाव आते ही दोनों ही दल श्रमजीवी प्रबुद्ध जनों को खुश करने में जुट गए है। कुछ को तो पांच वर्ष से कंटीन्यू है। और इनमें से कुछ के नाम तो ईडी, आईटी को मिली डायरी में भी है। विपक्ष की ओर गांधीजी की यह खुशी जून से ही शुरू हुई है। सुनते हैं कि विपक्ष के नंदन  के पास से वितरक तो पूरी पोटली ले रहे लेकिन वितरण कुछ को ही हो रहा। ऐसा 15 वर्षों में भी होता रहा है। परंपरा का पालन वे ही कर रहे जिन्होंने इसे शुरू किया था। वो जानते हैं कि बड़े नेता श्रमजीवी से पूछेंगे नहीं कि तुम्हें मिला कि नही । बस इसी पर्देदारी का पूरा फायदा उठाया जा रहा है । मगर श्रमजीवी अवश्य एक दूसरे को टटोल रहे हैं।

हकीम लुकमान के पास भी इलाज नहीं

शक बहुत बुरी चीज है। किसी के मन में स्थाई रूप से घर कर गई तो वह नुकसान दे जाती है । और राजनेताओं  और वकीलों में  तो यह एक गुण की तरह रचा बसा होता है । क्योंकि उन्हें हर रोज इसी के बल पर राजनीति करनी होती है। ठाकरे परिसर के वकील साहब इन दिनों कुछ ऐसे ही दौर से गुजर रहे हैं। उन्हें हर कोई षडयंत्र करता नजर आ रहा है। दो हमउम्र या बड़े नेता कहीं खड़े होकर बाते करते दिख जाएं। पीछे एक अपने गुप्तचर को वहां भेज देते हैं,टोह लेने। दरअसल उन्हें इंद्र की तरह अपना आसन डोलने का डर सता है। और यह डर भी उनके ही दो करीबियों ने ही बिठाया। ये दोनों दिन भर ठाकरे परिसर में बैठे बैठे ऐसा ही उधेडबुन करते रहे है। (rajpathjanpath@gmail.com)


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