राजनांदगांव

हम सुख भोग रहे हैं तो दुख भोगने के लिए भी तैयार रहे - हर्षित मुनि
20-Aug-2022 2:43 PM
हम सुख भोग रहे हैं तो दुख भोगने के लिए भी तैयार रहे - हर्षित मुनि

राजनांदगांव, 20 अगस्त।  जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि सुख और दुख तो आते-जाते रहते हैं। हम सुख भोग रहे हैं तो दुख भोगने के लिए भी तैयार रहें। उन्होंने कहा कि वास्तविक सुख तो आत्म परिचय में हैं। तीन अवस्थाएं होती है एक सुख भोगना, दूसरा दुख भोगना और तीसरा इन सब से अलग होकर आत्म परिचय अर्थात आत्म समभाव की स्थिति प्राप्त करना।

स्थानीय समता भवन में जैन संत श्री हर्षित मुनि ने अपने नियमित प्रवचन में कहा कि मेरा स्व मेरे भीतर है तो संपत्ति घटने और बढऩे का दुख या खुशी हमें नहीं होगी। आत्मा दृश्य तत्व नहीं है, जो साक्षात दिख जाए, आत्मा अनुभव करने की चीज है। हमारे भीतर जब तक गहरा अनुभव नहीं होगा, तब तक हम आत्मा को नहीं जान पाएंगे। इसके लिए साधना जरूरी है। हम अपने परिवार में ही जी रहे हैं। पेट भारी रहेगा तो चित् वित्तियों पर ध्यान नहीं जाता।

पेट यदि खाली रहे तो इस पर ध्यान जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 10 मिनट तक मेडिटेशन करना चाहिए। आत्मा से एकाकार करने के लिए साधना जरूरी हैए तब हमारा आत्मा से परिचय होगा। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।
 


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