रायगढ़

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 10 सितंबर। शास्त्रीय संगीत वास्तव में संगीत की आत्मा है वो पेड़ की जड़ की तरह है, जबकि फ्यूजन संगीत पेड़ के हरे भरे पत्तों हैं। फ्यूजन में संगीत के मिश्रण से कला जगत को नया कलेवर और नई जान मिलती है।
रायगढ़ के ऐतिहासिक चक्रधर समारोह में शिरकत करने के लिये रायगढ़ पहुंचे प्रसिद्ध फ्यूजन कलाकार जीत शंकर ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि रायगढ़ के चक्रधर समारोह ने शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में ऐसा मुकाम हासिल किया है। जो आने वाले कई दशकों तक न केवल देश में बल्कि विदेश में भी संगीत को चाहने वालों के दिलों पर खनक पैदा करता रहेगा। इससे पहले भी वे इस समारोह में शिरकत कर चुके हैं। मगर इस बार वे पहली बार न केवल अपने दोनों बेटों ऋषभ व पियूष के साथ मंच पर प्रस्तुति देंगे, बल्कि रायगढ़ के श्रोताओं के बीच तीनों का मिला जुला फ्यूजन संगीत श्रोताओं को देखने सुनने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में चक्रधर समारोह ने न केवल रायगढ़ बल्कि छत्तीसगढ़ को नई पहचान दी है, और इसकी खुशबू अब देश से बाहर जाकर विदेश में भी महकने लगी है।
यह पूछे जाने पर की क्या शास्त्रीय संगीत में फ्यूजन का मिश्रण करने से शास्त्रीय संगीत की आत्मा को प्रभावित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वास्तव में शास्त्रीय संगीत आत्मा की तरह है। जबकि फ्यूजन को आप शरीर के रूप में देख सकते हैं। शास्त्रीय संगीत पेड़ की जड़ है तो फ्यूजन उस पेड़ के हरे भरे पत्ते हैं। इतना जरूर है कि शास्त्रीय संगीत में फ्यूजन का नया तडक़ा लगने से इस क्षेत्र में देखने सुनने वाले श्रोताओं की संख्या बढ़ी है। जो कहीं न कहीं संगीत के लिये अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि उनका पूरा परिवार शास्त्रीय संगीत के अंतर्गत जयपुर घराने से जुड़ा हुआ है और उनके द्वारा या शास्त्रीय संगीत को समझने वाले किसी भी कलाकार द्वारा शास्त्रीय संगीत की मूल आत्मा का न छेडक़र उसी के भीतर से कुछ नया निकालने का प्रयास ही फ्यूजन संगीत बन जाता है।