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आपदा में अवसर की तरह, बुराई से भी प्रेरणा संभव
सुनील कुमार ने लिखा है
25-May-2025 4:29 PM
आपदा में अवसर की तरह, बुराई से भी प्रेरणा संभव

मध्यप्रदेश में अभी मंदसौर जिले के एक भाजपा नेता, मनोहरलाल धाकड़, सडक़ पर सेक्स करते टोल नाके, या हाईवे के किसी और सीसीटीवी पर इतनी अच्छी तरह रिकॉर्ड हो गए कि इस वीडियो के किसी खंडन-मुंडन की भी गुंजाइश नहीं रह गई। उनकी कार की नंबर प्लेट भी इस सेक्स के साथ-साथ पूरे वक्त स्क्रीन पर बनी रही।

उनके पक्ष में सिर्फ एक बात जाती है कि उनके साथ की महिला अपनी मर्जी से उनका साथ देते दिख रही थी, उसे सडक़ पर सेक्स से कोई परहेज नहीं दिख रहा था, बदन पर किसी ताबीज का डोरा भी नहीं था, और वह बड़े उत्साह से इस नेता का साथ दे रही थी। साथ ही वह बालिग दिख रही थी, इसलिए जबरिया सेक्स जैसा कोई आरोप कम से कम इस नेता पर नहीं दिख रहा है। लेकिन सोशल मीडिया पर चारों तरफ इसके फैल जाने से सरकार या सत्तारूढ़ पार्टी अपने नेता की अधिक मदद करने की हालत में नहीं है, और मंदसौर के एसपी को सोशल मीडिया पर आकर कहना पड़ा कि यह वायरल वीडियो दिल्ली-मुम्बई 8-लेन एक्सप्रेस-वे पर थाना भानपुरा इलाके का पाया गया है, और इस बारे में जुर्म दर्ज कर जांच की जा रही है। इस भाजपा नेता की पत्नी जिला पंचायत सदस्य है, जो कि पार्टी के लिए एक और शर्मिंदगी की वजह बनती है।

भाजपा ने इस आदमी से अपना पल्लू छुड़ाते हुए कहा है कि यह ऑनलाईन सदस्य बना था, लेकिन पार्टी का प्राथमिक सदस्य नहीं है। दूसरी तरफ एक तलवारनुमा हथियार हवा में लहराते हुए मनोहरलाल धाकड़ का एक फोटो भी चारों तरफ फैल रहा है, जो कि उनके गौरव का सुबूत है।

अब जिस व्यक्ति के पास निजी कार है, जो हाईकोर्ट पर अपनी प्रेमिका या किसी धंधे वाली महिला के साथ कार में घूम रहा है, जो महिला इतनी दुस्साहसी है कि वह बिना कपड़े कार से उतरकर आराम से तरह-तरह से सेक्स करने में जुट जाती है, उस व्यक्ति के पास हजार-दो हजार में मिलने वाला होटल का कोई कमरा भी न हो, यह समझना थोड़ा अटपटा लगता है। फिर ऐसा भी लगता है कि क्या यह व्यक्ति एक दुस्साहसी रोमांच करते हुए सेक्स करना चाहता था, ताकि खुली सडक़ पर हाईवे के किनारे अपनी नंबर प्लेट के बगल में सेक्स करते हुए एक अलग किस्म का रोमांच पाए? क्या यह व्यक्ति मनोविज्ञान की भाषा में एक्जीभिशनिज्म का शिकार है जो कि अपने बदन का, अपनी हरकतों का प्रदर्शन करना चाहते हैं। दुनिया भर में ऐसे लोग रहते हैं जो कि अपनी पसंद का निशाना छांटकर उनके सामने अपने बदन को उघाड़ते हैं, और उससे उत्तेजना पाते हैं।

मनोविज्ञान में तरह-तरह की मानसिक विकृतियों, और मानसिक स्थितियों का जिक्र है। अभी दो-चार दिन पहले ही मेरे शहर में एक बुजुर्ग ऐसा पकड़ाया जो कि महिलाओं के सैंडल लेकर उसके साथ सेक्स कर रहा था। उसे वीडियो कैमरों पर भी दर्ज किया गया, और अपनी ही रिहायशी इमारत में वह किसी दूसरे घर के दरवाजे पर रखी महिलाओं के चप्पल-सैंडल उठाकर उनके साथ सेक्स करने लगता है।

चाहे मध्यप्रदेश में इस भाजपा सदस्य का मामला हो, चाहे रायपुर में चप्पल से सेक्स करने वाले इस बुजुर्ग का, मनोविज्ञान में ऐसी हर तरह की चीजों की व्याख्या है। पुलिस अपना काम करती है, लेकिन बहुत से लोग इस तरह के मनपसंद सेक्स के बिना तसल्ली नहीं पाते हैं। अब कार के मालिक को भी कहीं एक कोना नसीब न हो, अपनी कार की पीछे की सीट भी नसीब न हो, यह कल्पना कुछ मुश्किल है। हो सकता है कि उसको खुले आसमान तले ऐसे रोमांचक सेक्स बिना संतुष्टि न मिलती हो।

दरअसल इस देश के आम लोगों की जिंदगी में सेक्स की जितनी सीमित परिभाषाएं हैं, उनमें दुनिया में दूसरी जगहों पर दशकों या सदियों से दर्ज परिभाषाएं भी नहीं गिनी जातीं। दुनिया भर में लोगों की जो किस्में हैं, वे भारत में सिवाय मनोविज्ञान की किताबों के चर्चा में भी नहीं आतीं। सेक्स के बारे में किसी भी तरह की चर्चा से जो आम परहेज हिन्दुस्तान के अधिकतर लोगों में रहता है, वह भी न तो लोगों की यौन-इच्छाओं की विविधता को समझने देता, और न ही उन्हें लेकर कोई कानूनी आपत्ति होने तक जानने देता।

दो बालिग लोगों के बीच एक खुली सडक़ पर रातदहाड़े सीसीटीवी कैमरों के सामने हुए इस सेक्स पर कानून अपना काम करते रहेगा, भाजपा को जो करना रहेगा, वह करती रहेगी, लेकिन इससे इतना तो हुआ है कि लोगों के बीच सेक्स एक बार चर्चा में आया है। जितने लोग इस आदमी को धिक्कार रहे हैं, उनमें से हो सकता है बहुत से लोग जलन की वजह से भी ऐसा कर रहे हों कि यह आदमी इस तरह मजा कर रहा है, और उनकी अपनी जिंदगी से सेक्स समय के पहले आखिरी पतझड़ झेलकर सूख चुका है।

दुनिया के किसी भी दूसरे देश के मुकाबले भारत में मंदिरों की दीवारों पर बाहर की तरफ खुले में सेक्स-प्रतिमाएं लदी हुई हैं। अभी किसी का यह शोध सामने नहीं आया है कि ऐसे तमाम मंदिरों में कुल मिलाकर कितने आसन दिखते हैं। लेकिन लोग धरम का करम मानकर ऐसे मंदिरों में परिवार सहित जाते भी हैं, और इन्हीं दीवारों के सामने परिवार सहित खड़े होकर फोटो भी खिंचवाते हैं। इसलिए सेक्स सैकड़ों सदी पहले इतना बड़ा मुद्दा नहीं था, जितना बड़ा मुद्दा आज के भारतीय नवशुद्धतावादियों ने बना दिया है। अब मंदसौर के इस नेता के हमउम्र लोगों को अपने बारे में सोचना चाहिए कि खुली सडक़ पर न सही, किसी निजी जगह पर सेक्स के लिए उनके मन में कितना उत्साह बाकी है? जैसे लोग आपदा में अवसर ढूंढते हैं, ऐसे मैं किसी बुराई में छिपी हुई अच्छाई को ढूंढने का आदी हूं। और मैं इसमें भारत के बहुत से लोगों के लिए उत्साह और प्रेरणा का सामान देख रहा हूं, बस सडक़ों का खतरा न उठाएं, ऐसे उत्साही साथी को ढूंढकर आपसी सहमति से, सुरक्षा के साथ किसी निजी जगह पर जिंदगी का सुख उठाएं।  (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)


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