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राजपथ-जनपथ : खाली कुलपति-कुर्सियां, और बोली!!
26-Jul-2025 5:10 PM
राजपथ-जनपथ : खाली कुलपति-कुर्सियां, और बोली!!

खाली कुलपति-कुर्सियां, और बोली!!

छत्तीसगढ़ से कुल 11 सरकारी विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर स्थानीय, और बाहरी का विवाद छिड़ रहा है। दो दिन पहले एक और विवि, पंडित सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विवि में प्रो. डॉ. विरेन्द्र कुमार सारस्वत को कुलपति बनाया गया, जो कि आगरा विवि के प्रोफेसर हैं। खास बात ये है कि छत्तीसगढ़ के सरकारी विवि में जितनी भी नियुक्तियां हो रही है, उनमें प्रदेश के बाहर के शिक्षकों को कुलपति बनाकर लाया गया है।

ज्यादातर विवि में छत्तीसगढ़ के बाहर के प्रोफेसर कुलपति के पद पर काबिज हैं। रायपुर के रविशंकर विवि में यूपी के शिक्षक डॉ. सच्चिदानंद शुक्ला, बिलासपुर विवि में भी यूपी के डॉ. एडीएन वाजपेयी, खैरागढ़ संगीत विवि की कुलपति प्रो. लवली शर्मा भी यूपी के आगरा विवि से आई हैं। बस्तर विवि में कुलपति प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव, और रायगढ़ विवि के कुलपति डॉ. ललित प्रकाश पटेरिया भी छत्तीसगढ़ के बाहर के हैं। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि, विवेकानंद तकनीकी विवि, और गाहिरा गुरू विवि अंबिकापुर में कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है।

सरकारी विवि में स्थानीय शिक्षकों की दावेदारी को नजर अंदाज कर बाहर से नियुक्तियों पर सवाल उठ रहे हैं। पहले भी विशेषकर कुलपतियों की नियुक्ति में स्थानीय व बाहरी का विवाद सुर्खियों में रहा है। कांग्रेस सरकार के समय राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने तो सीएम भूपेश बघेल पर स्थानीय के नाम पर समाज विशेष से कुलपति की अनुशंसा करने का आरोप लगा दिया था।

सरकार बदलने के बाद भी स्थिति बदली नहीं है। खैरागढ़ में तो विवि के कर्मचारियों ने कुलपति के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। खैरागढ़ विवि की कुलपति प्रो. लवली शर्मा पर पहले ही कई आरोप लगे हैं। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने तो बस्तर विवि के कुलपति पर भर्ती में गड़बड़ी का आरोप विधानसभा में लगाया था।

खास बात यह है कि विवि के कुलपतियों की नियुक्तियों में लेनदेन का भी हल्ला है। ऐसी चर्चा है कि विवेकानंद तकनीकी विवि के कुलपति पद के लिए एक सीआर से अधिक की बोली लगाई गई है। इन चर्चाओं में कितना दम है यह तो पता नहीं, लेकिन बाहर के विवादित शिक्षकों को कुलपति बनाया जाएगा, तो सवाल तो उठेंगे ही। वैसे कुलाधिपति अब इस बात पर जोर देने लगे हैं कि प्रदेश के प्रोफेसर कुलपति बन सकें।

चेतावनी की जुबान में धोखा है

पूंजी बाजार से लोग अभी बहुत रफ्तार से रकम निकाल रहे थे, तो म्युचुअल फंड चलाने वालों ने खूब इश्तहार करके लोगों को इससे रोकने की कोशिश की। बीबीसी के अंग्रेजी वल्र्ड न्यूज पॉडकास्ट में भारत के म्युचुअलफंडसहीहैडॉटकॉम की तरफ से एक-एक इश्तहार को लगातार तीन-तीन, चार-चार बार सुनाया जाता था। अब दो दिन पहले एक अखबार में म्युचुअल फंड में पूंजीनिवेश जारी रखने का हौसला देने वाला एक इश्तहार छपवाया गया, तो उसमें जितनी चेतावनी थी, वह हिन्दी इश्तहार में भी अंग्रेजी में छपवाई गई। जब कभी किसी इश्तहार में चेतावनी को छुपाना रहता है, तो वह दूसरी भाषा में दे दिया जाता है, और देश-प्रदेश की जिन संवैधानिक संस्थाओं को ऐसी तिकड़म पर नजर रखनी चाहिए, वे मानो ऐसे इश्तहारबाजों के दिए हुए नर्म गद्दों पर सोती रहती हैं।

खेत सरीखा बैंक

लोगों को हथियारों का शौक इतना अधिक दिखता है कि अभी राजधानी रायपुर में हमारे अखबार के दफ्तर के सामने खड़ी एक नई चमचमाती गाड़ी पर मशीनगन, और रिवाल्वर दोनों के फोटो लगे हुए दिखे। सामने एक नोटिस भी लगा था कि यह गाड़ी अतिआवश्यक बैंक कार्य में लगी हुई है। गाड़ी इतनी नई थी कि सजावट की रिबन तक नहीं निकली थी, लेकिन ऐसे हथियारों की तस्वीरें सज गई थीं, जिनका इस्तेमाल बैंक सुरक्षा की ड्यूटी गार्ड नहीं करते। लेकिन इतनी बारीकी को न जानने वाले लुटेरे हो सकता है कि इन तस्वीरों से ही डर जाएं, फिर चाहे भीतर मामूली बंदूक लिया हुआ गार्ड भी न हो। जिस तरह खेतों में पंछियों को दूर रखने के लिए इंसानी कपड़े पहानकर पुतला लगा दिया जाता है, उसी तरह बैंक की गाड़ी पर भारी-भरकम ऑटोमेटिक हथियार की फोटो लगा दी गई है। न वहां खेत में खम्भे पर टंगा इंसान होता, और न यहां ऐसे हथियार हैं।

दिल्ली दौरा और फेरबदल

सीएम विष्णुदेव साय 30, और 31 तारीख को दिल्ली में रहेंगे। संसद सत्र के बीच सीएम की केन्द्रीय मंत्रियों के साथ बैठक भी है। सीएम के दिल्ली दौरे की खबर से पार्टी के अंदरखाने में हलचल है। कई लोग सीएम के दिल्ली दौरे को कैबिनेट विस्तार से भी जोडक़र देख रहे हैं। इससे पहले भी उनके दिल्ली प्रवास पर कैबिनेट फेरबदल की अटकलें लगाई जाती रही हैं। इन चर्चाओं से पार्टी के वो सीनियर विधायक परेशान हैं, जिनका नाम संभावित मंत्रियों के रूप में मीडिया में उछलते रहा है।

पार्टी के एक पूर्व मंत्री ने कुछ लोगों के बीच दर्द बयां करते हुए कहा कि आम तौर पर 20-30 लोग ही मिलने के लिए आते हैं। मगर जैसे ही मीडिया में कैबिनेट विस्तार की खबर उड़ती है, अगले दिन मुलाकातियों की संख्या बढक़र सौ-डेढ़ सौ तक पहुंच जाती है। यही हाल कमोबेश सभी सीनियर विधायकों का है।

वैसे भी भाजपा में इस बार सीनियर विधायक ज्यादा संख्या में जीतकर आए हैं, जो पहले भी मंत्री रहे हैं। इनमें अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, विक्रम उसेंडी, लता उसेंडी, और राजेश मूणत हैं। इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष रह चुके धरमलाल कौशिक को मंत्री पद का स्वाभाविक दावेदार माना जाता है। पद तो दो खाली हैं, लेकिन दावेदारों की संख्या अधिक होने के कारण पार्टी में काफी कुछ बातें होते रहती है। एक-दो पूर्व मंत्रियों ने तो संभावित मंत्री के रूप में बधाई देने वालों को झिडक़ भी दिया है। अब जब सीएम दिल्ली जा रहे हैं, तो भले ही कैबिनेट को लेकर हाईकमान से कोई चर्चा न हो, लेकिन राजनीतिक हलकों में इस पर बात होते रहेगी। और यह तब तक जारी रहेगा, जब तक कैबिनेट विस्तार नहीं हो जाता।


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