ताजा खबर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 27 जुलाई। कथित फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के सहारे सरकारी नौकरी कर रहे कर्मचारियों को लेकर हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि जिन कर्मचारियों पर दिव्यांग प्रमाणपत्र की सत्यता को लेकर शक है, वे 20 अगस्त 2025 तक राज्य मेडिकल बोर्ड से अपना शारीरिक परीक्षण कराएं।
कोर्ट ने कहा है कि जो भी कर्मचारी इस तय समय में जांच नहीं कराएंगे, उन्हें यह बताना होगा कि उन्होंने मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होकर परीक्षण क्यों नहीं करवाया। साथ ही कोर्ट ने यह चेतावनी भी दी है कि अगर जांच नहीं कराई गई, तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट ने विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों को भी निर्देशित किया है कि वे सुनिश्चित करें कि उनके विभाग के सभी संदिग्ध कर्मचारी निर्धारित समय पर मेडिकल जांच कराएं। अगर ऐसा नहीं होता, तो संबंधित अधिकारियों की भूमिका भी जांच के घेरे में लाई जाएगी।
इस मामले में जिन कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं, उनमें व्याख्याता मनीषा कश्यप, टेक सिंह राठौर, रवीन्द्र गुप्ता, पवन सिंह राजपूत, योगेन्द्र सिंह राजपूत के अलावा शिक्षक मनीष राजपूत, सहायक शिक्षक नरहरी सिंह राठौर और राकेश सिंह राजपूत शामिल हैं।
इसके अलावा श्रम विभाग के सहायक ग्रेड-2 कर्मचारी नरेन्द्र सिंह राजपूत, कृषि विभाग के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी प्रभा भास्कर, अमित राज राठौर, धर्मराज पोर्ते, नितेश गुप्ता, विजेन्द्र नार्गव, टेकचंद रात्रे, निलेश राठौर, सुरेन्द्र कश्यप, गुलाब सिंह राजपूत और बृजेश राजपूत आदि हैं।
प्रयोगशाला सहायक भीष्म राव भोसले, जिला योजना एवं सांख्यिकी विभाग के सहायक ग्रेड-2 सत्य प्रकाश राठौर, उद्यान विभाग की ग्रामीण अधिकारी पूजा पहारे और सतीश नवरंग, तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के विकास विस्तार अधिकारी राजीव कुमार तिवारी को भी जांच के लिए बुलाया गया है।