कोण्डागांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 30 जून। मुख्य सचिव अमिताभ जैन की अध्यक्षता में मक्का प्रसंस्करण प्लांट में स्टार्च निर्माण के स्थान पर इथेनॉल निर्माण ईकाई स्थापित करने हेतु रणनीति तैयार करने के लिये वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम 30 जून को बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सचिवालय से वित्त सचिव अलरमेलमंगई डी. व जिला कार्यालय से कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा, डिप्टी कलेक्टर पवन कुमार प्रेमी, सहायक पंजीयक केएल उईके शामिल हुए।
इस बैठक में मुख्य सचिव द्वारा कलेक्टर को जल्द से जल्द स्थल का सर्वे कर डीपीआर निर्माण व कार्ययोजना 45 दिनों में बनाने के निर्देश दिये गये। पूर्व में बन रहे मक्का प्रसंस्करण प्लांट के स्टार्च निर्माण ईकाई के अब तक निर्मित संरचनाओं के संबंध में मुख्य सचिव द्वारा उनका प्रबंधन राज्य शासन की सहायता से इथेनॉल निर्माण में प्रयुक्त करने के साथ प्रबंधन किये जाने की बात कही गई। इसके अतिरिक्त इथेनॉल निर्माण के लिए राज्य शासन के निर्णय अनुसार ऋण पर गारंटी दी जायेगी, ताकि प्लांट निर्माण के लिए आसान शर्तों पर ऋण प्राप्त किया जा सके। ऋण हेतु व्यवसायिक बैंकों से ब्याज दरों पर छूट से प्लांट निर्माण के कार्य में तेजी आयेगी। बैठक में प्लांट हेतु पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप अथवा समिति द्वारा निर्माण के संबंध में शासन द्वारा अनुशंसा के उपरांत ही निर्णय लेने पर सहमति जताई गई।
ज्ञात हो कि मक्का प्रसंस्करण प्लांट से बनने वाले स्टार्च, ग्लूटन, फाइबर, जर्म मील, हस्क निर्माण के पश्चात् उसके मुख्य उत्पाद स्टार्च की मार्केटिंग व वितरण की लागत बहुत अधिक होती है तथा मक्का प्रसंस्करण में प्रमुख उत्पाद के रूप में 63 फीसदी स्टार्च उत्पादन किया जाना था। जिसका भूमिपूजन के पश्चात् से अब तक खुले बाजार में कीमतों में 35 प्रतिशत तक कमी हुई है, यह दर लगातार गिरती जा रही है, साथ ही इन उत्पादों के निर्माण में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अचानक से मांग पक्ष में भी कमी देखने को मिल रही थी। जिससे मक्का प्रसंस्करण ईकाई को लगातार घाटा होने की संभावना बढ़ती जा रही थी साथ ही इसके प्रारंभिक क्षमता को 60 फीसदी से अधिक नहीं किया जा सकता था।
जिससे घाटे का अंतराल और बढऩे से प्लांट को आगामी 6 से 8 वर्षों तक घाटे में संचालित करना होता। जिसे देखते हुए राज्य शासन ने जिला प्रशासन की अनुशंसा पर निर्णय लेते हुए मक्का प्रसंस्करण ईकाई में स्टार्च निर्माण के स्थान पर इथेनॉल निर्माण का निर्णय लिया गया।
इथेनॉल निर्माण से जिले में उत्पादित होने वाले मक्का, अनाज, अन्य खाद्य फसलों का उपयोग कर इथेनॉल का निर्माण किया जाएगा। इससे जिले में उत्पादित खाद्यान्नों का जिले में ही प्रसंस्करण सुनिश्चित हो सकेगा। जिससे किसानों को सीधा लाभ प्राप्त होगा। इथेनॉल को केन्द्र सरकार द्वारा ईको फ्रेंडली ईंधन निर्माण की वृहद् योजना में जोड़ा जाएगा। जिसके तहत् केन्द्र सरकार परम्परागत ईंधनों में 20 प्रतिशत तक के इथेनॉल को जोडक़र 2025 तक पर्यावरण को कम क्षति पहुंचाने वाले ईंधन उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा अनाज जैसे गेंहू, धान, बांस, बारले, मक्का, गन्ना आदि से इथेनॉल उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए पांच साल तक सब्सीडी एवं एक साल तक ऋण की किस्तों में छूट प्रदान की जायेगी साथ ही ऋण पर 6 प्रतिशत ब्याज या बैंकों के ब्याज पर आधे दर पर ऋण प्राप्त होगा। जिससे प्लांट तेजी से तैयार किये जा सकेंगे।
इथेनॉल बनने से प्रथम दिन से ही लाभ प्राप्त होगा। इस प्लांट से बनने वाले इथेनॉल को ईंधन तेल निर्माण कम्पनियों द्वारा स्वयं के व्यय पर परिवहित किया जायेगा साथ ही 21 दिनों में उत्पादित इथेनॉल का भुगतान भी प्राप्त हो जाएगा। जिससे ईकाई को अलग मार्केटिंग एवं खरीददारों के प्रबंधन की आवश्यकता नहीं होगी। इससे निकलने वाले सह उत्पादों का पशु चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है। मक्का प्रसंस्करण ईकाई से उत्पादित स्चार्ट निर्माण में बढ़ते प्रतिस्पर्धी दबाव के कारण 8 वर्षों तक घाटा होने की संभावना जताई गई थी, जबकि इथेनॉल के उत्पादन से प्रथम दिन से ही लाभ होगा व 5 साल में यह 88 करोड़ से अधिक का लाभ अर्जित करेगी। इथेनॉल प्लांट में कार्यशील पूंजी की आवश्यकता भी नहीं होगी, क्योंकि ओएमसी द्वारा प्रत्येक 21 दिनों में भुगतान किया जाएगा।