कोण्डागांव

कोण्डागांव, 28 जून। डीजल की महंगाई व समय पर आवश्यक उर्वरकों के नहीं मिलने से जिले के किसानों के परेशान होने के संबंध में विज्ञप्ति जारी कर अखिल भारतीय किसान सभा के नेता बिरज नाग ने जानकारी दी है।
उन्होंने कहा है कि जहां एक ओर किसान खरीफ मौसम में धान व मक्का सहित अन्य फसलों को लगाने की तैयारी करने के जद्दोजहद में लगे हुए हैं और वहीं जब इसके लिए किसान अपने-अपने क्षेत्र के लेम्प्स में पहुंचकर अपनी आवश्यकता के अनुसार उर्वरकों की मांग कर रहे हैं, तो लेम्प्स के अधिकारी-कर्मचारी उन्हें बता रहे हैं कि उनके द्वारा मांगा जा रहा उर्वरक उपलब्ध नहीं है, वे लेम्प्स से ऋण की नगद राशि लेकर खुले बाजार से आवश्यक उर्वरक ले सकते हैं, जबकि खुले बाजार में उर्वरकों के दाम लेम्प्स द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे दाम से अधिक है, ऐसे में क्या किसान अधिक दाम देकर खेती के लिए आवश्यक उर्वरक की पर्याप्त मात्रा लेकर खेती कर पाने की स्थिति में होगा ? ऐसे ही ऐन खेती किसानी के समय डीजल का दाम अत्यधिक बढ़ जाने से खेती की जुताई की लागत भी बढ़ गई है, जिससे किसान असमंजस की स्थिति में है कि वे खेती करें तो कैसे करें ? या तो किसान डीजल के बढ़े दामों के कारण अधिक किराया देकर खेतों की जुताई व मचाई करवाकर धान का रोपा लगवाए या फिर कम रकबा की जुताई करवाकर पैसे बचाएं और बचाए गए रकम से खुले बाजार में जाकर अधिक दाम में मिल रहे उर्वरक को खरीदे।
आगे कहा कि कुल मिलाकर केंद्र और राज्य दोनों सरकारें चीख-चीखकर अपने को किसानों की हितैषी होने का दावा जरुर करती है, लेकिन न केंद्र में बैठी भाजपा और न राज्य में बैठी कांग्रेस की सरकार दोनों को किसानों की बिल्कुल भी चिंता नहीं है, ऐसा इसलिए, क्योंकि यदि केंद्र व राज्य दोनों सरकारों को किसानों की वाकई में चिंता होती तो दोनों ही सरकारें ईंधनों विशेष रूप से डीजल की किमतों को अपने-अपने द्वारा लिए जा रहे भारी भरकम टेक्स में कटौती करके कम कर सकती है, लेकिन ऐसा करेगी नहीं। यदि केंद्र व राज्य सरकारों ने ईंधनों की कीमतों में कमी कर दिया, तो तथाकथित आमजनों व किसानों की हितैषी बताने वाली दोनों सरकारों द्वारा जनहित की आड़ में भारी कमीशन मिलने वाले भौतिक विकास कार्यों के लिए अथाह धन कैसे जमा हो पाएगा।