कोण्डागांव

वैक्सीनेशन में छत्तीसगढ़ की जनता को मोदी ने कुछ नया नहीं दिया-मरकाम
10-Jun-2021 8:05 PM
वैक्सीनेशन में छत्तीसगढ़ की जनता को मोदी ने कुछ नया नहीं दिया-मरकाम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कोण्डागांव, 10 जून। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने मोदी सरकार के वैक्सीनेशन कार्यक्रम पर सवाल खड़ा किये हैं। मोहन मरकाम ने कहा है कि वैक्सीनेशन में छत्तीसगढ़ की जनता को मोदी ने कुछ नया नहीं दिया है। 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के वैक्सीनेशन में समस्या यह है कि वैक्सीन पर्याप्त मिले। वर्तमान में 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के लिये मिल रही वैक्सीन अपर्याप्त है। 18 से 45 वर्ष की आयु की लिये फ्री वैक्सीनेशन की घोषणा राज्य सरकार कर ही चुकी थी। छत्तीसगढ़ सरकार ने तो 18 से 45 वर्ष के वैक्सीन का पैसा भी जमा कर दिया था। भाजपा नेताओं के वैक्सीनेशन पर बड़े-बड़े बयानो से आम जनता में बेहद नाराजगी है। 

वैक्सीनेशन पर भाजपा नेताओं के बयानों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के सुस्पष्ट निर्देशों के कारण विपक्षी दलों और नागरिकों के दबाव के कारण मोदी सरकार को यूनिर्वसल वैक्सीन का फैसला लेना पड़ा। 35 हजार करोड़ रू. बजट प्रावधान के बावजूद बजट के 14 प्रतिशत से भी कम खर्च कर मोदी सरकार तो वैक्सीनेशन की अपनी जिम्मेदारी से बचने में लगी थी।

मोहन मरकाम ने कहा है कि राहुल गांधी की यूनिवर्सल वैक्सीनेशन की सही सलाह मानने में मोदी सरकार ने महीनों लगाये, समय रहते पूर्व राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बाते मानना शुरू कर दें मोदी सरकार, क्योंकि देश ने, तो पूर्व राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ चलने का अपना मन बना लिया है। कोरोना की शुरूआत में पूर्व राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने समय रहते चेतावनी दी थी, यदि समय रहते उस चेतावनी पर मोदी सरकार कार्यवाही करती, तो यह हाल नहीं होता, देश का नागरिक नहीं वैक्सीन कंपनियों की मुनाफाखोरी मोदी सरकार की प्राथमिकता है। देश में वैक्सीनेशन की दरें विश्व में सर्वाधिक है। 

देश में यूनिर्वसल वैक्सीनेशन की घोषणा करने के दूसरे ही दिन मोदी सरकार ने निजी अस्पतालों में टीकाकरण की दरों की घोषणा की है। कोविशिल्ड 780 रूपये, कोवैक्सीन 1410 रूपये, स्पूतनिक 1145 रूपये हैं। विश्व के किसी भी अन्य देश ने नागरिकों को इतनी ज्यादा कीमत देने के लिये नहीं कहा है। वैस्टेज को अधिक वैक्सीन दिये जाने का आधार तय करने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में वैक्सीन में वेस्टेज सिर्फ 1.36 प्रतिशत, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर वेस्टेज 6.5 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ के डाक्टरों ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य कर्मियों ने छत्तीसगढ़ के सरकारी निजी अस्पतालों ने और छत्तीसगढ़ सरकार ने पूरे देश की तुलना में बहुत बेहतर काम किया है। यह आंकड़े केन्द्र सरकार के कोविन एप्प से इस आधार पर लिये गये और प्रामाणिक है, इसलिये मांग है कि छत्तीसगढ़ की 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के वैक्सीनेशन की फस्र्ट डोज की जरूरत के मुताबिक 1 करोड़ 35 लाख वैक्सीन तत्काल छत्तीसगढ़ को दी जाये। 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार को यूनिवर्सल वैक्सीनेशन कार्यक्रम की राष्ट्रीय नीति बना कर सरकारी और निजी क्षेत्रों को पर्याप्त निशुल्क वैक्सीन उपलब्ध कराना चाहिये और निजी क्षेत्रों में वैक्सीन लगाने का खर्चा भी केंद्र सरकार को ही वहन करना चाहिये। दुर्भाग्य की बात है वैक्सीन निर्माण होने के बाद 6 करोड़ वैक्सीन की खेप विदेश में भेजी गयी, जबकि देश में वैक्सीनेशन 3 करोड़ भी नहीं हुआ था। देश के नागरिकों को वैक्सीन से वंचित रखा गया, देश महामारी संकट से जूझ रहा है लड़ रहा है और मोदी की भाजपा की सरकार अपने नागरिकों पर विदेशियों को तरजीह देकर विदेशों में वाहवाही लूटने में लगी रही। 

कांग्रेस लगातार वैक्सीनेशन की व्यवस्था सुधारने मांग करती रही। नागरिक भी फ्री युनिर्वसल वैक्सीनेशन के लिये आवाज उठाते रहे। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगायी, पर कही जाकर सत्ता और घमंड के नशे में चूर मोदी सरकार जागी और नि:शुल्क वैक्सीनेशन की घोषणा की, लेकिन इसमें में भी लूप होल है, मात्र 75 प्रतिशत वैक्सीन ही केंद्र सरकार खरीदी करेगी और कम्पनियां 25 प्रतिशत निजी अस्पतालों को देगी, यानी देश के 75 प्रतिशत आबादी को ही फ्री टीकाकरण का लाभ मिलेगा। 

अगर समय पर केंद्र सरकार सरकारी टीकाकरण केंद्रों को वैक्सीन उपलब्ध नहीं करायेगी, तो लोग बड़ी संख्या में निजी क्षेत्रों में पैसा देकर वैक्सीन लगवायेगें, जब सदन में 35 हजार करोड़ रुपए का बजट वैक्सीनेशन के लिए रखा गया, फिर देशभर के मात्र 75 प्रतिशत जनता को ही फ्री वैक्सीनेशन के दायरे में क्यो रखा गया है? 25 प्रतिशत आबादी को निजी अस्पतालों में महंगे दामों में वेक्सीन लगवाने क्यों मजबूर किया जा रहा है? पहले चरण में भी 45 साल से ऊपर वालों को सरकारी केंद्रों में निशुल्क वैक्सीन लगाया गया और निजी क्षेत्रों में टीका लगवाने वालो से 250 रु. प्रति डोज कीमत वसूल की गई, 18 प्लस वालो को वैक्सीन लगाने की बारी आई, तो मोदी सरकार ने जिम्मेदारी राज्य सरकारों के ऊपर छोड़ दी थी और वैक्सीन के दाम अलग अलग निर्धारित कर दिया गया। एक देश में वैक्सीन के दाम एक होना चाहिये था। राज्य सरकारों ने अपने खजानें से वैक्सीन की खरीदी के ग्लोबल टेण्डर जार किये, तो वैक्सीन की आपूर्ति में बाधायें तक उत्पन्न की गई। विदेशी कम्पनियों से राज्य सरकारों के सीधी वैक्सीन खरीदी में रोक लगाई गई।


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