कोण्डागांव

मिर्ची किसानों की तोड़ी कमर, लाखों का नुकसान
प्रकाश नाग
केशकाल, 18 मई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। कोंडागांव जिले के केशकाल विकासखंड क्षेत्र के मिर्ची के पौधों में ब्लैक थ्रिप्स कीटों का प्रकोप हो गया है जो कि मुख्यत: मिर्ची के फूल को नुकसान पहुंचाती है, जिसके कारण पत्तियां सिकुडऩे लगती है, वहीं फल भी मुडऩे लगते हैं। बताया जा रहा है कि इस कीट के प्रकोप से मिर्च की फसल पूरी तरह तबाह हो गई है।
आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना के बाद छत्तीसगढ़ में भी ब्लैक थ्रिप्स की दस्तक ने किसानों की कमर तोड़ दी। किसानों का कहना है कि इस बीमारी के कारण फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है, हमने संबंधित विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना भी दे दी है।
इस संबंध में गारका के किसान प्रदीप सिन्हा ने बताया कि मैं प्रतिवर्ष मिर्च की खेती करता हूं, इस वर्ष भी मैंने 20 एकड़ में मिर्च की फसल ली है। इससे पहले 2 वर्षों तक लॉकडाउन के कारण हमारी फसल काफी प्रभावित हुई थी, वहीं इस वर्ष ब्लैक थ्रिप्स नामक कीट के आक्रमण से हमारी फसलों को नुकसान हो रहा है। हमारे खेतों में लगी मिर्च की फसल को बचाने के लिए हमनें लाखों रुपये की दवाइयों का छिडक़ाव किया है, लेकिन कोई भी दवा ब्लैक थ्रिप्स से बचाव में कारगर साबित नहीं हो रही है। हमने उद्यानिकी विभाग के सक्षम अधिकारियों को सूचना दिया था, अधिकारी निरीक्षण के लिए भी हमारे खेत आये थे, लेकिन अब तक उनके द्वारा इस समस्या का कोई समाधान नहीं बताया गया है।
सिंगनपुर के किसान प्रसन्न दुबे ने बताया कि इस वर्ष मैंने 16 एकड़ खेत मे मिर्ची की फसल लगाई है, लेकिन इस ब्लैक थ्रिप्स कीट के लगने के कारण उत्पादन लिए बिना ही फसलें पूर्णत: प्रभावित होने लगी है। शुरुआती समय में हमें प्रति एकड़ 4-5 टन मिर्ची तोड़ी जाती है, लेकिन इस बार डेढ़ टन का उत्पादन भी संभव नहीं है। हमें लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. ऐसे में हम मिर्च पौधों को उखाडक़र फेंकने को मजबूर हो गए हैं, साथ ही इस वर्ष मिर्च की फसल लेने वाले किसान कर्ज में भी डूब गए हैं।
इस संबंध में उद्यानिकी विभाग के प्रभारी एसडीओ चंद्रेश ध्रुवे ने बताया कि ब्लैक थ्रिप्स एक तरह से मिर्ची के पौधों पर होने वाला कीटों का आक्रमण है। केशकाल क्षेत्र में मिर्ची की फसल लगाने वाले कई किसान इससे प्रभावित हुए हैं।
इस संबंध में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर एवं उद्यानिकी विभाग के उच्चधिकारियों से यह जानकारी मिली है कि इस बीमारी का कोई कारगर इलाज अब तक नहीं मिला है। ऐसे में केवल कुछ सावधानियां हैं, जिनकी जानकारी किसानों को दी जा रही है।