धमतरी
अफसरों की उदासिनता, ठेकेदार की अनदेखी से क्षेत्र का कारोबार चौपट
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, 28 नवंबर। कुरूद और मगरलोड को जोडऩे वाला मेघा के महानदी पुल ढहने के बाद से शुरू हुई क्षेत्रवासियों की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। सरकार ने हाईब्रिज निर्माण के लिए राशि मंजूर कर दी है, लेकिन ठेकेदार की लापरवाही का खामियाजा हजारों लोगों को रोज उठाना पड़ रहा है। डायवर्सन रोड के लिए किसान और व्यापारी चिल्ला रहे हैं, लेकिन उनकी पीड़ा संबंधित अधिकारियों के कानों तक नहीं पहुंच रही है।
गौरतलब है कि रेत के अवैध उत्खनन के चलते कम उम्र में ही 21 सितंबर 2024 की मध्य रात्रि में मेघा महानदी पर बना पुल ढह गया था। तब से कुरूद और मगरलोड ब्लॉक की सीधी कनेक्टिविटी खत्म हो गई है और मगरलोड क्षेत्र के हजारों लोगों का इस रास्ते से आना-जाना बंद हो गया है।
आवागमन सुविधा के अभाव में यहां का व्यापार चौपट और किसानों की आमदनी पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। ताजी सब्जी भाजी नहीं मिलने से स्थानीय लोग हताश और निराश हैं। अब तक शासन-प्रशासन द्वारा इस मार्ग पर किसी वैकल्पिक व्यवस्था की पहल नहीं की गई है, जबकि सेतु निर्माण अनुबंध के तहत ठेकेदार को वैकल्पिक मार्ग बनाना अनिवार्य है। लेकिन इसमें हिला-हवाला किया जा रहा है। पिछले दिनों नदी पार के व्यापारी संघ ने संबंधित पक्ष को अपनी परेशानी बताई हैं।
भारतीय किसान संघ ने भी प्रशासन को ज्ञापन सौंप धान खरीदी से पहले वैकल्पिक मार्ग बनाने की मांग कर चुके हैं। क्षेत्रीय किसानों ने बताया कि 15 नवंबर से समर्थन मूल्य पर किसानों का धान खरीदी कार्य शुरू हुआ है। मगरलोड क्षेत्र के लगभग 20 खरीदी केंद्रों से धान का परिवहन कुरूद, भाटगांव संग्रहण केंद्र और कुरूद की राइस मिलों तक किया जाता है, लेकिन वैकल्पिक मार्ग नहीं होने कारण परिवहन कार्य प्रभावित हो रहा है।
मेघा के लोगों ने बताया कि कुरूद से आने वाली बस यात्रियों को नदी के उस पार उतार कर लौट जाती है, शाम के वक्त छात्राओं एवं अन्य महिला यात्रियों को नदी पार जाने के लिए वहीं अपने परिजनों का इंतजार करना पड़ता है, ऐसे में उन्हें नशापान करने वाले असमाजिक तत्वों का सामना करना पड़ता है, इस जगह पर छेड़छाड़ और लूट की घटना आए दिन होती है। कहने को तो सेतु निगम के द्वारा 40 करोड़ 97 लाख 68 हजार की लागत से नये पुल का निर्माण कार्य कराया जा रहा है, जिसे पूरा होने में अभी और कई महीने लगेंगे। तब तक आवागमन की सूचारु व्यवस्था करने में प्रशासन पुरी तरह नाकाम सिद्ध हो रहा है। बीते मई-जून में ठेकेदार ने मिट्टी का एक अस्थायी मार्ग तैयार किया था, जो पहली बारिश में बह गया। तब से लोग नारी खट्टी मार्ग से लंबी दूरी तय कर रहे हैं। दुपहिया और पैदल लोग एनीकट से काम चला रहे थे, लेकिन उसकी हालत भी खस्ता हो गई है।
इस बारे में अधिक जानकारी के लिए सेतु निगम एसडीओ रंजना कश्यप से संपर्क का प्रयास किया गया तो उन्होंने दो दिन में फोन रिसिव नहीं किया। वहीं एसडीएम कुरूद नभसिंह कोसले ने कहा कि मेघा महानदी में वैकल्पिक मार्ग निर्माण के लिए ठेकेदार को पत्र जारी कर दिया गया है, नदी में जल बहाव की स्थिति देख कर जल्द ही अस्थाई मार्ग बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा।


