जगह की कमी से अंतिम संस्कार में दिक्कत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 19 अक्टूबर। नगर का सबसे पुराना पिकरी मुक्तिधाम लंबे समय से बदहाल स्थिति में है। लगभग 10 एकड़ क्षेत्र मुक्तिधाम के लिए आरक्षित है, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा दलदली जमीन और जंगली घास से घिरा हुआ है। निस्तारी नालियों का पानी भरने से भूमि दलदली हो गई है, जिससे दफन और अंतिम संस्कार के लिए स्थान की कमी हो रही है।
तीन साल से रुकी उन्नयन योजना
तीन वर्ष पूर्व मुक्तिधाम के उन्नयन के लिए एक योजना स्वीकृत की गई थी और बजट भी जारी हुआ था, लेकिन सीमांकन नहीं होने के कारण कार्य शुरू नहीं हो सका। स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर पालिका की उदासीनता से मुक्तिधाम का बड़ा हिस्सा अनुपयोगी बना हुआ है।
घेराबंदी अधूरी, अतिक्रमण का खतरा
करीब 3.51 हेक्टेयर में फैले मुक्तिधाम का केवल एक-तिहाई हिस्सा घेराबंदी से सुरक्षित है। शेष क्षेत्र में बाउंड्रीवॉल का निर्माण अब तक नहीं हुआ है। दलदली जमीन और घास के कारण लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा दफन कार्य के लिए इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। नागरिकों का कहना है कि हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र पास होने से अतिक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
13 वार्डों की आबादी निर्भर
नगर के 21 वार्डों में से 13 वार्डों के लोग पिकरी मुक्तिधाम पर निर्भर हैं। इनमें पिकरी, विद्यानगर, मानपुर, कुर्मीपारा, साहू पारा, सिविल लाइन, कचहरीपारा, मोहभ_ा रोड और पुरानी बस्ती शामिल हैं। आसपास की नालियों से आने वाला गंदा पानी मुक्तिधाम परिसर में पौधों को भी प्रभावित कर रहा है।
अधूरा निर्माण और ठेकेदार का काम बंद
जानकारी के अनुसार लगभग तीन साल पहले राठी धर्मशाला की ओर से नाली विस्तार कार्य प्रारंभ हुआ था। लगभग 200 मीटर नाली बनने के बाद दलदली जमीन और घास की समस्या के कारण ठेकेदार ने कार्य अधूरा छोड़ दिया।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि मुक्तिधाम नगर की आस्था और परंपरा से जुड़ा स्थान है, इसलिए उन्नयन योजना को जल्द से जल्द लागू करना आवश्यक है।
तैयार किया गया है प्रस्ताव -सीएमओ
नगरपालिका के सीएमओ नरेश वर्मा ने कहा कि मुक्तिधाम के सौंदर्यीकरण और उन्नयन के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। उन्होंने स्वीकार किया कि नाली निर्माण और सीमांकन की प्रक्रिया लंबित है।