सुकमा, 10 अक्टूबर। बस्तर मुख्यालय जगदलपुर प्रवास पर पहुँचे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. रमन सिंह से छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन बस्तर संभाग के पदाधिकारियों ने सौजन्य भेंट कर शिक्षकों की बहुप्रतिक्षित मांग एल बी संवर्ग के शिक्षकों को संविलियन पूर्व की सेवा की गणना कर पेंशन निर्धारण करने की मांग छत्तीसगढ़ शासन से की।
प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि 1998 से पंचायत विभाग में सेवा दे रहें शिक्षार्मियों को रमन सिंह की सरकार द्वारा 2018 में शिक्षा विभाग में संविलियन किया गया था। शिक्षाकर्मियों की नई और पुरानी सेवा के सेवा शर्तो पर अधिकारी नियमों को ताक में रख कर अपनी सुविधा अनुसार व्याख्या करते आ रहे है। संघ ने मध्यप्रदेश सरकार, केन्द्र सरकार, उत्तरप्रदेश सरकार व उत्तराखंड सरकार के आदेशों का हवाला देते छत्तीसगढ़ सरकार से न्याय की मांग की है।
पदाधिकारियों ने बताया कि पेंशन को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार का पेंशन नियम 1976 में परिभाषित जो दिनाँक 01/01/1996 से प्रभावशील है के अनुसार 33 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर पूर्ण पेंशन यानि मूल वेतन का 50 प्रतिशत तथा 33 वर्ष से कम होने पर अनुपात के अनुसार कम पेंशन का प्रावधान है। इस नियम के तहत एल बी संवर्ग के शिक्षक जो कि 1998 से ग्रामीण एवं पंचायत विभाग में नियमित रूप से सेवाएं दे रहे थे, को 2018 में शिक्षा विभाग में आने के बाद उनकी पुरानी सेवा को शून्य घोषित कर पूर्ण पेंशन से वंचित कर कम पेंशन के निर्धारण की मंशा से कार्य किया जा रहा है, जबकि शिक्षाकर्मी 1998 से मध्यप्रदेश शासनकाल से अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं।
मध्यप्रदेश सरकार का पेंशन 1964 के अनुसार स्थानीय निकाय के अंतर्गत की गई सेवा को शासकीय सेवा के समतुल्य पेंशन योग्य माना गया है यानि पूर्ण पेंशन देने का प्रावधान है वहीं भारत सरकार के आदेश पेंशन मंत्रालय 2009 में 33 वर्ष की सेवा की अनिवार्यता को समाप्त कर 20 वर्ष की सेवा पर पूर्ण पेंशन का प्रावधान है, इसी के अनुसरण में उत्तरप्रदेश सरकार में पेंशन नियम 2009 व उत्तराखंड के पेंशन आदेश 2010 में भी 20 वर्ष की सेवा में पूर्ण पेंशन ( अन्तिम वेतन का 50 प्रतिशत ) का प्रावधान किया गया है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2004 से पुरानी पेंशन को समाप्त कर नवीन पेंशन योजना एनपीएस ( अंशदायी पेंशन ) योजना लागु किया गया था। 2004 के बाद से रिटायर्ड हो रहें कर्मचारियों को ना के बराबर पेंशन मिल रहा था, जिसको लेकर छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों के मांग एवं आंदोलन के बाद छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा राजपत्र 11 मई 2022 को प्रकाशित कर जिसमें एनपीएस ( अंशदायी पेंशन ) योजना के स्थान पर नवंबर 2004 से भूतलक्षीय प्रभाव से पुरानी पेंशन लागु किया गया है। पुरानी पेंशन लागू होने से अन्य कर्मचारियों को इसका लाभ मिल रहा है, लेकिन एलबी संवर्ग के शिक्षक इसके लाभ से वंचित है।
छत्तीसगढ़ सरकार के पेंशन नियम में पुरानी पेंशन के 33 वर्ष होने पर ही पूर्ण पेंशन व 1998 से 2017 तक कार्यरत शिक्षाकार्मियों की पुरानी सेवा गणना को शून्य मानने व 2018 में संविलियन से सेवा की गणना करने के कारण पुन: शिक्षाकर्मी ( एलबी संवर्ग शिक्षक ) अल्प पेंशन पर आ गए है। इसको लेकर पुराने शिक्षकों में व्यापक रूप से नाराजगी दिख रही है। सरकार द्वारा बार बार छले जाने से शिक्षकों में आक्रोश है।
पदाधिकारियों ने न्याय की मांग करते हुए डॉ. रमन सिंह के माध्यम से मांग की कि छत्तीसगढ़ में एल बी संवर्ग के शिक्षकों को केन्द्र सरकार के नियमों के तहत मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश व उत्तराखंड सरकारों की तरह 20 वर्ष की सेवा में पूर्ण पेंशन दिया जाए।
उक्ताशय की मांग जिला अध्यक्ष आशीष राम, प्रांतीय पदाधिकारी राजेश यादव, जिला संयोजक चैतू राम सेठिया,जिला सचिव किरण मरकाम, कोमल देव मरकाम, शंकर नेताम (कोंटा)दूजाल पटेल (छिंदगढ़), मेन सिंह ध्रुव, ब्लॉक अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद सिन्हा, उपाध्यक्ष वैशाली झवर, आकाश कनौजिया, अलबर्ट टोप्पो,सचिव गंगा धर राणा, कोषाध्यक्ष गंगा बहादुर सिंह मंडावी, छोटेलाल नेताम, किशोर कुमार साहू,सरस्वती कोर्राम, अनुपमा नाग, अनिता नागे,जयमाला, परिणीता कश्यप, देवनाथ कवाची, भीखम नेताम,सोमला राम नायक रामशरण, हनुमान सिंह ठाकुर, लीलाधर साहू, ने की।