‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर/दिल्ली, 3 अप्रैल। देश में विकेन्द्रीकृत खाद्यान्न भंडारण क्षमता का निर्माण करने के लिए सरकार ने मई 23 को सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना को मंजूरी दी थी। इसे पायलट परियोजना के रूप में शुरू किया गया। इसमें प्राथमिक कृषि ऋण सोसायटी (पीएसीएस) के स्तर पर विभिन्न कृषि अवसंरचनाओं का सृजन जैसे विकेन्द्रीकृत गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, छंटाई एवं ग्रेडिंग सुविधाएं, शीत भंडारण इकाइयां, पैकहाउस आदि को भारत सरकार (जीओआई) की विभिन्न मौजूदा योजनाओं के अभिसरण में किया गया है, जिसमें कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ), कृषि विपणन अवसंरचना योजना (एएमआई), कृषि मशीनीकरण उप मिशन (एसएमएएम), प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण योजना (पीएमएफएमई) आदि शामिल हैं।
पीएसीएस स्तर पर अनाज के भंडारण को सक्षम बनाती है, जिससे लंबी दूरी के परिवहन की लागत और हानि न्यूनतम हो जाती है। इसके अलावा, पीएसीएस को कृषि विपणन एवं खरीद प्रणालियों के साथ एकीकृत करके, किसानों के लिए भंडारण सुविधाओं तक सीधे पहुंच सुनिश्चित की जाती है, जिससे बिचौलियों पर उनकी निर्भरता कम हो जाती है। इसलिए, योजना का उद्देश्य किसानों के लिए बेहतर मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित करना, परिवहन लागत कम करना और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उत्पन्न करना है।
योजना की पायलट परियोजना के अंतर्गत पूरे देश में 11 पैक्स में 11 गोदामों का निर्माण किया गया है तथा कुल 9,750 टन भंडारण क्षमता प्राप्त की गई है। इसमें बीते दो वर्ष में छत्तीसगढ़ में एक भी पैक्स को शामिल नहीं किया गया ।
सरकार ने 15 फरवरी 23 को योजना को मंजूरी प्रदान की। इस योजना का उद्देश्य पांच वर्षों में देश की सभी पंचायतों/गांवों को कवर करते हुए दो लाख नए बहुउद्देशीय पैक्स (एम-पैक्स), डेयरी, मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना भारत सरकार की विभिन्न मौजूदा योजनाओं के अभिसरण से डेयरी अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ), राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी), पीएम मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) आदि की स्थापना करना शामिल है, जिसे राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) और राज्य सरकारों से सहयोग प्राप्त होगा।
उसके बाद से, 27 जनवरी 25 तक पूरे देश में कुल 3,667 नई पैक्स पंजीकृत हुई हैं, जिनमें महाराष्ट्र में 148 नई पैक्स शामिल हैं।
भारत सरकार ने कार्यात्मक पैक्स का कम्प्यूटरीकरण करने के लिए 2,516 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ एक परियोजना को मंजूरी प्रदान की है, जिसमें सभी कार्यात्मक पैक्स को ईआरपी (उद्यम संसाधन योजना) आधारित सामान्य राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर लाना, उन्हें राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के माध्यम से नाबार्ड से जोडऩा शामिल है। परियोजना के लिए नाबार्ड द्वारा राष्ट्रीय स्तर का कॉमन सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है और 27.01.2025 तक 50,455 पैक्स ईआरपी सॉफ्टवेयर पर ऑनबोर्ड हो चुके हैं।
अब तक 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से 67,930 पैक्स के कंप्यूटरीकरण के प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गई है, जिसके लिए 27.01.2025 तक संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को भारत सरकार के भाग के रूप में 741.34 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं और 60,382 पैक्स को हार्डवेयर वितरित किए गए हैं।