हिंदुत्व का मुकाबला बंधुत्व से करेंगे-मेघवंशी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 अक्टूबर। फासीवाद के खिलाफ प्रतिरोध, आजादी और लोकतंत्र की संस्कृति के लिए एकजुटता का आह्वान करते हुए आज राजधानी के पंजाब केसरी भवन में जसंमं का राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हुआ। सम्मेलन स्थल, परिसर, सभागार और मंच को मुक्तिबोध, कॉमरेड बृजबिहारी पांडे, रामनिहाल गुंजन, मंगलेश डबराल व हबीब तनवीर को समर्पित किया गया था।
सम्मेलन की शुरुआत एक प्रतिरोध मार्च से हुई। मार्च आशीर्वाद भवन से चलकर डॉ अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए शहीद ए आज़म भगत सिंह की मूर्ति तक पहुँचा। जन संस्कृति मंच के अध्यक्ष प्रो राजेंद्र कुमार ने एक संक्षिप्त वक्तव्य में मौजूदा निज़ाम के ख़िलाफ़ सम्विधान की हिफ़ाज़त और लोकतंत्र की लड़ाई के लिए एकजुटता का आह्वान किया।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र का आरंभ सम्मेलन स्वागत समिति के संयोजक राजकुमार सोनी ने किया। मुक्तिबोध व हबीब तनवीर आदि रचनाकारों और शंकर गुहा नियोगी आदि शहीदों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि फ़ासीवादी ताक़तें इस देश की अवाम को तबाह कर रही हैं, उनके संसाधन लूट रही हैं और कारपोरेट के कंधों पर चढक़र जनता पर दमन ढ़ा रही हैं।
इस सत्र के मुख्य अतिथि गाँधीवादी और मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने गाँधी जी को याद करते हुए कहा कि भारत की सरकार ने जनता के खिलाफ सम्पूर्ण युद्ध इन्हीं संसाधनों की लूट के लिए शुरू किया है और भारत का लोकतंत्र पूरी तरह सैन्यतंत्र में बदल चुका है। अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि आदिवासियों की अगुवाई में हम इस फ़ासीवादी निज़ाम से बिना डरे लड़ें हैं। उन्होंने कहा कि हमारा काम फ़ासीवादी निज़ाम के खिलाफ लड़ रहे लोगों की लड़ाई में शामिल होना है।
विशिष्ट अतिथि भँवर मेघवंशी ने कहा कि हमारे देश में लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस फ़ासीवादी निज़ाम को सिर्फ राजनीति के मोर्चे पर ही नहीं संस्कृति के मोर्चे पर भी शिकस्त देनी होगी। फ़ासीवाद को परास्त करने के लिए उन्होंने छोटी-छोटी प्रतिरोध लड़ाइयों का व्यापक साझा मोर्चा बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व का मुक़ाबला बंधुत्व से करने की जरूरत है।
झारखंड से आए दस्तावेज़ी फि़ल्मकार मेघनाद ने कहा कि लोकतंत्र की तमीज़ जनता से सीखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के लिए सबकी सहमति और बहुलतावाद बहुत जरूरी है।
युवा कार्यकर्ता और ट्राली टाइम्स की सम्पादक मंडल की सदस्य नवकिरन नट ने कहा कि किसान आंदोलन ने इस निज़ाम से लडऩे की एक राह विकसित की है। उन्होंने किसान आंदोलन में किए गए बहुत से सांस्कृतिक प्रयोगों को रेखांकित करते हुए संस्कृति के मोर्चे पर लड़ाई को बहुत जरूरी बताया।
दलित लेखक संघ की ओर से संरक्षक हीरालाल राजस्थानी का संदेश आँचल बाबा ने पढ़ा। प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से कथाकार रणेंद्र ने और जनवादी लेख संघ की ओर से नासिर अहमद सिकंदर ने सम्मेलन के लिए संदेश दिया और मौजूदा दौर में सभी संघर्ष की ताक़तों की एकजुटता का आह्वान किया। सम्मेलन का संचालन आलोचना पत्रिका के सम्पादक आशुतोष कुमार ने लिया और धन्यवाद ज्ञापन जसंमं के रायपुर अध्यक्ष आनंद बहादुर ने किया। इस सत्र की अध्यक्षता जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो राजेंद्र कुमार के किया।
सम्मेलन स्थल पर एक कला-प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था। युवा चित्रकार राकेश दिवाकर को सामर्पित इस प्रदर्शनी में वरिष्ठ कवि व चित्रकार अजय कुमार के पोस्टकार्ड-चित्रों की प्रदर्शनी है, युवा कलाकार नितिन की चित्र प्रदर्शनी है और विभिन्न कविताओं के पोस्टर लगाए गए हैं, जिन्हें युवा चित्रकारों अनुपम, नितिन व ने तैयार किया है। सम्मेलन स्थल पर पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गयी है।