‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 नवम्बर। दशहरा, दीपावली अवकाश खत्म होते ही उम्मीद थी कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई रफ्तार पकड़ेगी किन्तु हो इसके उल्ट रहा है। वोटर लिस्ट पुनरीक्षण कार्य के चलते एक बार फिर शिक्षकों को गैर शिक्षकीय कार्य में लगा दिया गया है। चुनाव आयोग, इस समय फोटोयुक्त वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण करवा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक पूरे प्रदेश में यह कार्य चल रहा है जो 8 नवंबर से 8 दिसंबर, पूरे एक माह चलेगा। इसके लिए प्रदेशभर में शासकीय शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट्स के, यह निर्देश कि शिक्षकों से गैर शिक्षकीय कार्य न लिया जाए, के बावजूद राज्यभर में 60 हजार से अधिक शिक्षक-शिक्षकाओं को अभिहित अधिकारी नियुक्त कर मतदान केन्द्रों में तैनात किया गया है। जो मतदाता सूची में दावा आपत्ति, और संशोधन के लिए आवेदन लेंगे।
शिक्षकों का कहना है कि शिक्षकों से चुनाव ड्यूटी खासकर वोटर लिस्ट पुनरीक्षण कार्य, 7 से शुरू किया गया है। जब राज्य के ही एक आईएएस अफसर (सेवानिवृत्त) चुनाव आयोग में उपयुक्त पदस्थ है। उससे पहले निगम तहसील आफिस के कर्मचारियों से यह कार्य कराया जाता रहा है। 7 के बाद यह व्यवस्था सारे देश में लागू है और स्कूली शिक्षा व्यवस्था बेपटरी हो गई।
बहरहाल, राजधानी के साथ पूरे प्रदेश के 90 विस क्षेत्रों में पुनरीक्षण कार्य आज से शुरू हो गया है जिसमें 50 हजार से अधिक शिक्षकों को तैनात किया गया है। इन सबकी उनके अपने स्कूल के ही मतदान केन्द्र में ड्यूटी लगनी तो भी कोई दिक्कत नहीं थी, मूल कार्यस्थल से मीलों दूर के मतदान केन्द्र (स्कूल) में अभिहीत अधिकारी बनाया गया है। जैसे अकेले रायपुर उत्तर विस क्षेत्र के लिए कुल 214 शिक्षकों की ड्यूटी लगी है।
अब वह पढ़ाना छोडक़र मीलों दूर जाएगा। अपने ही स्कूल में होने पर पढ़ाई के साथ वोटर के आने पर वह कार्य भी साथ-साथ कर सकता था। शिक्षक प्रश्न कर रहे हैं कि अब बच्चों को पढ़ाना जरूरी है या वोटर लिस्ट बनाना। इनमें से कई शिक्षकों को बीएलओ भी बनाया गया है, अब एक शिक्षक डबल ड्यूटी कैसे करे। सबसे बुरी स्थिति तो कम शिक्षकों वाले स्कूलों की है, यहां के बचे शिक्षकों को भी तैनात कर दिया गया है।
हाईकोर्ट का खौफ
सूत्रों ने बताया कि मुंगेली, बिलासपुर, और आसपास के जिलों के शिक्षकों की ऐसी ड्यूटी कम ही लगती है। ऐसा हाईकोर्ट के अवमानना के भय से। क्योंकि हाईकोर्ट ने कुछ शिक्षकों को इस पर स्टे देते हुए और शिक्षकीय कार्य ना लेने का आदेश भी दिया है।
कैंसिलेशन में भी कमाई
शिक्षक संगठनों के सूत्रों का कहना है कि इस ड्यूटी से नाम कटवाने का भी रास्ता है। तहसील दफ्तरों से कानून शाखा के अधिकारी-कर्मचारियों से लेन देन कर ड्यूटी से मुक्त हुआ जा सकता है।