रायपुर, 7 नवंबर। पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम, साइंस कॉलेज परिसर में पांच दिवसीय विशेष प्रवचनमाला के पंचम दिवस रविवार को विदाई समारोह- याद रहेगा रायपुर: याद रखेगा रायपुर के प्रसंग पर संतप्रवर महोपाध्यायश्री ललितप्रभ सागरजी महाराज ने कहा कि याद रखेगा रायपुर क्योंकि चार माह में धर्म का ऐसा परिणाम उसने कभी पाया नहीं होगा और हमें याद रहेगा रायपुर क्योंकि जिंदगी में ऐसा धर्म परिणाम हमें कभी मिल नहीं पाया।
हजारों लोगों ने अपनी बुरी आदतें छोड़ीं, इसीलिए यह चातुर्मास केवल सन् 2022 का चातुर्मास ही नहीं यह परिवर्तन का चातुर्मास है। एक ओर जहां युवाओं ने जीवन निर्माण की बातें सीखीं, प्रगति के नए द्वार खोले, पारिवारिक प्रेम की जहां बात हुई तो हजारों लोगों ने मां की ममता की मिठास को अनुभूत किया। यह शहर कभी भूल नहीं पाएगा जब हमारे दिल में नहीं स्टेडियम के एक-एक कण में मां की ममता की मिठास घुल गई थी। सर्व धर्म समभाव का वातावरण वहां निर्मित हुआ।
प्राण-प्राण में शांति दीप जल जाए, धरती पर स्वर्ग उतर जाए... इस प्रेरक भावगीत से शुरूआत करते हुए संतप्रवर ने कहा कि छत्तीसगढ़ की इस गौरवमयी भूमि को प्रणाम करते हुए मैं यहां उपस्थित रायपुर की छत्तीस कौम की जनता को अभिवादन करता हूं।
ये वो शहर है, यहां जो आते हैं उन्हें यहां के लोग इतना लाड़़-प्यार, दुलार, सम्मान, सद्भावनाएं देना जानते हैं। हर शहर से जब हम जाते हैं तो वहां के लोग भावुक होते हैं पर रायपुर एक ऐसा शहर है, यहां से हम जा रहे हैं तो हमारा दिल भारी हो रहा है। पूरी जिंदगी हम छत्तीसगढ़ को कभी भूल नहीं पाएंगे।
डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय सागरजी ने गुरू चरणों में समर्पित भावगीत- मनुष्य जनम अनमोल रहे, मिट्टी में मत घोल रे, अब तो मिला है, फिर न मिलेगा कभी नहीं-कभी नहीं कभी नहीं रे... से शुरूआत करते हुए भव्य चातुर्मास के आयोजन के लिए श्रीऋषभदेव मंदिर ट्र्स्ट के अथक प्रयासों की भूरी-भूरी अनुमोदना की। छत्तीसगढ़ हम आए तो हमें ऐसा लगा कि ये तो धान का कटोरा ही नहीं यह तो धर्म की भूमि है, ध्यान की भूमि है। पहली बार लगातार युवा वर्ग पूरे चातुर्मास के हर आयोजन में बड़ी संख्या में जुड़े रहना और महिला मंडल की सक्रियता बनी रहना, यह अत्यंत अनुमोदनीय है। हम यहां से भले चले जाएंगे, पर इस चातुर्मास का ये परिणाम आया है कि लोग कपड़े बदल कर भले संत बने न बने, पर अब तक पांच हजार से ज्यादा लोग अपना स्वभाव बदल कर संत बन चुके हैं। घर-घर में प्रभु परमात्मा की प्रतिमा और धर्म की प्रतिष्ठा हो चुकी है।
धर्मसभा का शुभारंभ गुरूवंदन व तीर्थंकर परमात्मा के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। दीप प्रज्ज्वलन श्री राजेशजी-साधनाजी मूणत, श्रीऋषभदेव मंदिर ट्र्स्ट के कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली व ट्र्स्टी तिलोकचंद बरडिय़ा, श्रीदिव्य चातुर्मास समिति के महासचिव प्रशांत तालेड़ा, कोषाध्यक्ष अमित मूणोत व सदस्यों, मांगीलाल बरडिय़ा, ललित चोरडिय़ा, प्रकाशचंद श्रीश्रीमाल, नरेश डाकलिया-राजनांदगांव, कमलचंद्र भंजदेव-बस्तर महाराजा, नवीन सांखला, विकास सेठिया, राजेश सांखला, इस स्मरणीय अवसर पर वामा महिला मंडल के अतिरिक्त श्रीमती अंजू पारख, श्रेयांश बरडिय़ा ने भावपूर्ण विदाई गीत की प्रस्तुति दी। वहीं महासमुंद की पलक बरडिय़ा ने विदाई प्रसंग पर अपनी काव्य रचना प्रस्तुत की। विदाई समारोह में दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोक बरडिय़ा, श्रीऋषभदेव मंदिर ट्र्स्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया सहित कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली व पूर्व ट्र्स्टी प्रकाशचंद सुराना, महेंद्र धाड़ीवाल, श्रीमती कुसुम श्रीश्रीमाल, श्रीमती अंकिता बरडिय़ा, श्रीदिव्य चातुर्मास समिति के महासचिव पारस पारख व प्रशांत तालेड़ा ने भावाभिव्यक्ति दी।