‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दल्लीराजहरा, 25 मार्च। माह भर पहले हुए भालू की मौत के मामले में हर दिन नए नए खुलासे होते जा रहे हैं। पहले तो भालू की मौत के राज को दफन कर दिया गया, फिर बालोद वन परिक्षेत्र अधिकारी रामनाथ टेकाम को मौखिक जानकारी दिए जाने के बावजूद सप्ताह भर तक उनकी ओर से मामले को दबाने की कोशिश की जाने लगी और जब मीडिया में खबर चली तो भालू की लाश को दफन स्थल से खोदकर बरामद किया गया। भालू के अंगों का सैंपल लेकर उसे फोरेंसिक लैब भेज दिया गया।
अब फिर भालू की मौत से जुड़ा एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जिस दिन भालू की मौत हुई और जब उस क्षेत्र में ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों को भालू के मौत की जानकारी लगी तो तत्काल अपने वरिष्ठ अधिकारी डिप्टी रेंजर भूषण निषाद को सूचना दी। उस दौरान डिप्टी रेंजर भूषण निषाद वन परिक्षेत्र अधिकारी कार्यालय बालोद में बिल वाउचर बनाने का काम कर रहे थे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिस समय डिप्टी रेंजर को सूचना दी गई, उस दौरान बालोद रेंजर रामनाथ टेकाम भी वहां मौजूद थे।
चार लोगों को ही नोटिस क्यों?
भालू की मौत को गुपचुप तरीके से दफन किए जाने का मामला सामने आने के बाद बालोद डीएफओ बलभद्र सारोटे ने निचले स्तर के कर्मचारियों पर ठीकरा फोड़ दिया और डिप्टी रेंजर सहित तीन वन रक्षकों को नोटिस थमा दिया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिन चार लोगों को नोटिस थमाया गया है वह मौके पर मौजूद थे लेकिन परिक्षेत्र स्तर के अधिकारियों के कहने पर भालू को दफनाने का काम किए है।
जानकारी है कि उस दौरान बालोद रेंजर रामनाथ टेकाम भी उनके साथ मौजूद था। इससे बालोद रेंजर रामनाथ टेकाम की भूमिका भी इसमें संदिग्ध प्रतीत होती है। क्योंकि भालू की मौत की सूचना के दौरान डिप्टी रेंजर और रेंजर साथ में थे। इसलिए रेंजर को भी नोटिस थमाया जाना था।
रेंजर को बचाने में लगे
जिले के अफसर
भालू की मौत और उसके राज के दफन किए जाने के मामले में रेंजर रामनाथ टेकाम को ही वन कर्मियों और मछुआरों के बयान लेने के लिए भेजा गया था। जबकि नियमानुसार उनके रेंज में अगर घटना हुई है तो दूसरे रेंज के अधिकारी को मामले में जांच के लिए शामिल किया जाना था। लेकिन रेंजर रामनाथ टेकाम द्वारा बयान लिया गया तो वह अपने बचाव में ही बयान दर्ज किया होगा।
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि डीएफओ ने भी डिप्टी रेंजर और तीन वन रक्षकों को ही नोटिस जारी किया है जबकि रेंज ऑफिसर की भी भूमिका पूरे मामले पर संदिग्ध है।
इस संबंध में वन विभाग बालोद की एसडीओ डिंपी बैस का कहना है कि जांच समिति गठित की गई है। जिसमें बालोद रेंजर सदस्य नहीं है। उन्हें भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। जांच अभी प्रक्रियाधीन है।