महासमुन्द
स्थानीय वन अफसरों का चुनावी खेल तो नहीं...
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 8 नवंबर। स्थानीय वन परिक्षेत्र में हरे भरे जंगलों की भारी भरकम अवैध कटाई जारी है। हालांकि गुरुवार को रायपुर से वन विभाग के उडऩदस्ता ने गिरना जंगल का मुआयना किया है परन्तु अब तक किसी तरह की कोई कार्रवाई की खबर नहीं मिली है।
पिथौरा मुख्यालय से कोई 20 किलोमीटर दूर सांकरा उप वन क्षेत्र के ग्राम लोहरीनडोंगरी एवम लाटादादर में राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे कक्ष क्र. 257 के जंगल में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई जारी है।कथित मंदिर निर्माण के नाम पर पहले भी यहां हजारों पेड़ों की बलि चढ़ाई जा चुकी है,अब एक बार फिर से इस हफ्ते के भीतर बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई की गई है।
स्थानीय ग्रामीण सूत्र बताते हैं कि, कथित मंदिर निर्माण के नाम पर किए जा रहे इस जंगल के विनाश से पर्यावरण पर गहरा असर पड़ रहा है। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि इस पर वन विभाग की ओर से इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया गया है। जबकि अभी तक कोई 30 एकड़ मिश्रित प्रजाति का जंगल मैदान बन चुका है।
करीब माह भर पूर्व पिथौरा परिक्षेत्र का प्रभार एक स्थानीय निवासी रेंजर को सौंपा गया है। जिनके प्रभार में आने के बाद सें पूर्व में कटाई पर कार्यवाही किये गए जंगल में पुन: अंधाधुंध कटाई की जा रही है।
पूर्व में मात्र दो एकड़ जंगल को कथित मंदिर निर्माण हेतु काटा जा रहा था, जिसके सम्बन्ध में ‘छत्तीसगढ़’ में खबर प्रकाशन के बाद तात्कालिक प्रभारी रेंजर ने रोक दिया था, परन्तु रेंजर बदलते ही इस बार पहले से दुगुनी रफ्तार से जंगल काट कर मैदान बना दिया गया।
ग्रामीणों का मानना है कि अब ग्राम के कुछ दबंग कटे जंगल में कब्जा कर अफसरों के सहयोग से अधिकार पत्र प्राप्त करने वाले है। धीरे धीरे इस स्थान पर स्थित एक बड़ा जंगल विनास की कगार पर पहुच गया है।इस स्थान पर कटाई की सूचना ग्रामीणों द्वारा वन अफसरों को भी दी थी, परन्तु वन अफसर मात्र मूकदर्शक बन जंगल कटाई देखते रहे और जंगल तेजी से कटता जा रहा है।
ज्ञात हो कि पूर्व में इस जंगल की कटाई की शिकायत के बाद क्षेत्र के एक वन रक्षक को निलंबित किया जा चुका है। जंगल की अवैध कटाई की सूचना सूत्रों से मिलने के बाद इस प्रतिनिधि ने लोहरिन डोंगरी (सांकरा) क्षेत्र का दौरा कर हालात देखे। पूर्व में लोहरिन डोंगरी बीट के कक्ष क्र 258 के हरेभरे पेड़ पौधों को बेरहमी से काट कर उसे मैदान में तब्दील कर दिया गया है।काटे गए जंगल मे अब ताल पत्री लगा कर कब्जा कर लिया गया है । इस मामले की खबर लगातार प्रकाशन के बाद भी जिन हाथों में सुरक्षा की जिम्मेदारी है वहीं उक्त मामले में मूकदर्शक बने बैठे है। जिससे वह विभाग की भूमिका संदिग्ध हो गयी है।
मुझे पता नहीं, कार्रवाई करेंगे -बसंत
दूसरी ओर स्थानीय वन विभाग के एसडीओ यू आर बसंत ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि उन्हें इस अवैध कटाई की जानकारी नही है। आप बता रहे है तो कार्रवाई करवाता हूं।
अफसर रिटायरमेंट के करीब, चुनावी मामला होने की संभावना
इधरं वन विभाग के ही एक सूत्र ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि वर्तमान में पिथौरा में विगत 10 वर्षों से पदस्थ एसडीओ बसना के समीप एक ग्राम के मूल निवासी है जबकि नये पदोन्नत होकर आये रेंजर स्थानीय निवासी है। अक्सर अफसर सेवानिवृत होने के बाद राजनीति में प्रवेश कर चुनाव लडऩे का मन बनाते है।कुछ ऐसा ही मामला पिथौरा वन परिक्षेत्र का भी लगता है। परन्तु अपने राजनीतिक भविष्य के लिए वनों को कटने से न रोकना अपने आप मे बड़ा आपराधिक मामला है।
गिरना में 20 एकड़ जंगल ठूंठ में बदला
पिथौरा वन परिक्षेत्र के तहत ही जंगलों की अवैध कटाई का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रही है।समीप के गिरने क्षेत्र में भी क्यों 20 एकड़ से अधिक के जंगल पर विगत माह भर से कुल्हाड़ी चल रही है। यहां अब तक करीब 600 से अधिक छोटे बड़े परिपक्व पेड़ काट डाले गए। यहां भी क्षेत्र के कुछ दबंगो ने वन विभाग से सेटिंग कर अंधाधुंध कटाई कर जंगल को मैदान में बदल रहे है।
ग्रामीणों के अनुसार अब इसी कटे जंगल में खेत बन जाएंगे और वन विभाग इन्हें अधिकार पत्र प्राप्ति के लिए अनुशंसा करेंगे और अधिकार पत्र बन जाएगा। इसी तरह क्षेत्र के जंगलों को लगातार काट कर विनाश किया जा रहा है।जिससे निश्चित ही स्वार्थ सिद्ध करने वाले अफसरों के कारनामो से पर्यावरण बिगडऩा तय माना जा रहा है।
रायपुर से आया उडऩदस्ता, औपचरिकता पूरी कर वापस
अवैध कटाई की पूरी जानकारी स्थानीय पत्रकारों द्वारा सीसीएफ श्री राजू को दी गई। जिसे उन्होंने काफी गम्भीरता से लेते हुए स्वयम का उडऩदस्ता क्षेत्र के निरीक्षण के लिए भेजा। परन्तु प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उडऩदस्ता की टीम कटाई हुए प्रभावित जंगल का निरीक्षण करने की बजाय रोड किनारे से ही घूम कर ऑवचरिकता पूरी कर ली।