महासमुन्द
धान खरीदी की प्रारंभिक तैयारियां भी प्रभावित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 8 नवंबर। धान खरीदी में सूखत की मांग को लेकर सहकारी कर्मियों की हड़ताल आज छठवें दिन भी जारी है। हड़ताल की वजह से जहां 182 उपार्जन केन्द्रों में तालाबंदी की स्थिति है। वहीं 50 प्रतिशत राशन दुकानों में चावल, शक्कर, नमक, चना तथा मिट्टी तेल का वितरण रूक गया है। हड़ताल की वजह से आगामी 14 नवम्बर से की जाने वाली धान खरीदी पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यदि हड़ताल समाप्त नहीं होती तो बुरी तरह से खरीदी प्रभावित हो प सकती है।
खरीदी की प्रारंभिक तैयारियां जिसमें धान के रखरखाव की व्यवस्था, साफ.-सफाई, बारदाना डंपिंग, प्रकाश व्यवस्था तराजू का सत्यापन आदि कार्य प्रभावित हैं। इन कार्यों को करने के लिये ही सप्ताह भर का समय लग जाता है। इधर नमी का हवाला देकर 1 नवंबर के जगह 14 नवंबर करके खरीदी पखवाड़े भर के लिए बढ़ा दिया गया है। धान में उसी नमी पर सूखत की मांग को लेकर अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर सहकारी समिति कर्मचारी संघ के कर्मचारियों ने पांचवें दिन भी हड़ताल पर अड़े हुए हैं। जिसमें जिले के 182 उपार्जन केंद्र के कर्मचारी शामिल हैं। आलम यह है कि राशन दुकान से मिलने वाली चावल, नमक, चना तथा मिट्टी तेल का वितरण रुक गया है। निराश्रित जनों के समक्ष संकट की स्थिति है। दुकानों में तालाबंदी की वजह से बीपीएल कार्डधारियों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
फलस्वरूप कार्डधारी बाजार से 25 से 30 रुपए किलो मुफ्त राशन का चावल खरीदकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। बीपीएल परिवारों को शासन मुफ्त में चावल तथा सस्ते दर पर शक्कर, चना प्रदान करती हैं। वहीं अंत्योदय तथा निराश्रितों के समक्ष संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
सहकारी कर्मचारी संघ जिलाध्यक्ष जयप्रकाश साहू ने बताया कि समर्थन मूल्य धान खरीदी का कार्य शासन की नीतियों के तहत समितियों के माध्यम से की जाती है। किसान समितियों मे टोकन के माध्यम से प्रति एकड़ एक निश्चित मात्रा में धान बेचने आते हंै और समिति के कर्मचारी किसानों के धान का प्रति बोरी 40 किलोग्राम के मान से क्रय कर तोलकर समितियों मे सुरक्षित डंप करता है। यहां से ऑनलाइन भुगतान किसानों को होता है। समिति द्वारा किसानों के धान को 17 प्रतिशत की नमी पर खरीदा जाता है। इसके बाद विपणन संघ के माध्यम से मिलर्स को धान उठाव हेतु डिलवरी आर्डर प्राप्त होता है। पश्चात 15 दिनों के भीतर धान का परिवहन करना होता है। इस बीच जो माह भर समिति में धान डंप होता है, उससे धान की नमी सूखकर 14 प्रतिशत हो जाता है। जैसे-जैसे समय बीतते जाता है, धान में सूखत की मात्रा बढ़ती जाती है जिसका पूरा नुकसान समिति को उठाना पड़ता है। जिले के सहकारी कर्मचारी भोजराम साहू, कौशल साहू, माखन सिन्हा, बागबाहरा से रुद्रनाथ सिंह ठाकुर, मनीष चंद्राकर, मनोज भारद्वाज, थानेश्वर तिवारी, कोमाखान से भेख लाल यादव, गुमान साहू, घासीराम नागवंशी, तेंदुकोना से तुलाराम ध्रुव, मनी राम साहू, पिथौरा से ईश्वर पटेल, गुलाब पटेल, संतोष साहू, बसना से भोजराम साहू, समेत हड़ताल में शामिल कर्मचारियों ने बताया कि धान में सूखत की मांग कर्मचारियों की व्यक्तिगत हित मांग नहीं है। बल्कि समितियों की साख को बचाने को लेकर है।
कोरोना काल के दौरान जब धान खरीदी के दौरान परिवहन में विलम्ब हुआ था। तब तत्कालीन राज्य सरकार ने शेष समितियों में स्टॉक धान पर 3 प्रतिशत सूखत देकर राहत पहुंचाई थी। इस वर्ष जारी धान खरीदी नीति में बफ र लिमिट से अधिक धान का 72 घंटे के अंदर परिवहन संबंधी नियम को हटाया जाना समिति के हित में नहीं है।
बावजूद इसके धान खरीदी के एक माह तक समिति से उठाव हेतु नीति को लेकर कर्मचारियों में हडकंप है।
ऐसी परिस्थितियों में धान उपार्जन का कार्य करना किसी संकट से कम नहीं है।