धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 7 नवंबर। खरीफ धान फसल की कटाई तेज गति से हो रही है। धान कटाई के बाद दूसरी फसल लेने किसानों ने पराली जलाना भी शुरू कर दिया है। कृषि विभाग ने किसानों को पराली नहीं जलाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद भी किसान पराली जला रहे हैं।
खपरी में किसान प्रेमलाल साहू अपने खेत में पराली जला रहा था। कृषि व राजस्व विभाग की संयुक्त टीम पहुंची और सरपंच, कोटवार, ग्रामीणों की उपस्थिति में मौका मुआयना किया। जांच में किसान प्रेमलाल पराली जलाते पकड़ाए। टीम ने पंचनामा बनाया। आगे की कार्रवाई के लिए उच्च कार्यालय भेजा है।
उप संचालक कृषि मोनेश साहू ने बताया कि फसल अवशेष जलाने वायु प्रदूषित होता है। धुएं में फेफड़ा संबंधी बीमारी, कैंसर समेत अन्य घातक बीमारी भी हो सकती है। फसल अवशेष जलाने से मिट्टी में 15 सेमी तक के लाभदायक सूक्ष्मजीव मर जाते हैं। केंचुए, मकड़ी जैसे मित्र कीटों की संख्या कम होने के कारण प्राकृतिक नियंत्रण नहीं हो पाता। इस कारण महंगे व जहरीले कीटनाशकों का इस्तेमाल करना पड़ता है।
उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाने पर किसानों को अर्थदंड का भी प्रावधान किया है। 0.80 हेक्टेयर तक के भू-स्वामी को 2500 रुपए, 0.80 से 2.02 हेक्टेयर या उससे अधिक के भू-स्वामी पर 5 हजार रुपए, 15 हजार अर्थदंड का प्रावधान किया है।
पैरा जलाने से नष्ट होते हैं पोषक तत्व
कृषि विभाग के मुताबिक एक टन धान पैरा को जलाने से 5.5 किग्रा नाइट्रोजन, 2.3 किग्रा फास्फोरस 25 किग्रा पोटेशियम तथा 1.2 किग्रा सल्फर नष्ट हो जाता है। सामान्य तौर पर भी फसल अवशेषों में 80 फीसदी नाइट्रोजन, 25 फीसदी फास्फोरस, 50 फीसदी सल्फर व 20 फीसदी पोटाश होता है। इनका उचित प्रबंधन कास्त लागत में पर्याप्त कमी कर सकता है।