बीजापुर

डोर-टू-डोर सर्वे कर मरीजों की पहचान
22-Sep-2021 5:34 PM
डोर-टू-डोर सर्वे कर मरीजों की पहचान

एमडीआर टीबी मरीजों की बढ़ती संख्या से हडक़म्प

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 22 सितंबर।
जिले में इन दिनों एमडीआर टीबी के मरीजों की बढ़ती संख्या से स्वास्थ्य महकमे में हडक़म मचा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग की टीम घर घर दस्तक देकर संदेहास्पद लोगों की पहचान कर रही है। वही संदेहास्पद लोगों के बलगम की जांच कर उन्हें उपचार मुहैया कराई जा रही है। 

बीते साल ओवर ऑल स्कोरिंग में टीबी को लेकर बीजापुर को प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत भी किया गया था। इसके बावजूद सामान्य टीबी से एमडीआर में तब्दीली चिंता जनक है। बीजापुर जिले में वर्तमान में मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट के अब भी 8 मामले सक्रिय हैं। जबकि  तीन मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट के मरीज पूर्णत: ठीक हो गए हैं। आठ एमडीआर मरीजों के होने से स्वास्थ्य अमला अतिरिक्त सावधानी बरत रहा है। जिले में फस्र्ट और सेकेंड फेस का ट्रीटमेन्ट लेने वाले मरीजों की संख्या 236 बताई गई है। 

जिला क्षय अधिकारी डॉ चेलापति राव ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत क्षय मुक्त करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए एक्टिव केश फाइडिंग के तहत जिला बीजापुर के सभी संदेहास्पद व्यक्तियों का टीबी जांच करने हेतु टीबी हारेगा बीजापुर जीतेगा अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान   10 अक्टूबर तक  चलाया जाएगा। अभियान के दौरान जिले के 2 लाख 87 हजार 908 जनसंख्या में संभावित टीबी मरीजों को खोजने के लिए घर-घर जाकर सर्वे एवं जांच किया जा रहा है। इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग के मितानिन कार्यकर्ता, ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक सहित टीबी कार्यक्रम के कर्मचारियों का दल शामिल है।

डॉ चेलापति राव ने बताया कि दो सप्ताह से अधिक खांसी व बुखार आना, बलगम में खून आना, भूख न लगना, चक्कर आना, वजन में कमी आना, रात में पसीना आने के लक्षणों को नजर अंदाज न करते हुए स्वास्थ्य दल को इसकी जानकारी देते हुए समय पर जांच एवंईलाज कराने से टीबी को जड़ से मिटाया जा सकता है।  जिले में ट्रूनॉट, सीबी नॉट मशीन सहित माईक्रोस्कोफिक जैसे आधुनिक तकनीकी के माध्यम से टीबी की जांच नि:शुल्क किया जा रहा है। 

डॉ चेलापति राव ने बताया कि टीबी के ईलाज के दौरान दवाइयों को बीच मे छोडऩे से मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट का खतरा बढ़ता जाता है जिसका ईलाज थोड़ा मुश्किल होता है। एमडीआर मरीज साधारण मरीजों की तुलना में अधिक संक्रमण फैला सकते है।
 

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