बिलासपुर
जिला शिक्षा अधिकारी ने अनोखी दलील थी- वहां कोई जाने के लिए तैयार नहीं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 26 अक्टूबर। शिक्षा विभाग में रिश्वतखोरी को संरक्षण देने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। 10% कमीशन मांगने के आरोप में निलंबित किए गए बीईओ कार्यालय मस्तूरी के लिपिक को केवल 44 दिन बाद ही बहाल कर दिया गया है। यह फैसला जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) विजय टांडे ने लिया है। उन्होंने तर्क दिया कि उस पद पर काम करने कोई और कर्मचारी तैयार नहीं था।
मालूम हो कि शासकीय प्राथमिक शाला खपरी के शिक्षक संतोष कुमार साहू ने मेडिकल बिल भुगतान में देरी की शिकायत की थी। उनका 1 लाख 87 हजार 459 रुपए का बिल स्वीकृत हुआ था, लेकिन बीईओ कार्यालय के सहायक ग्रेड-02 सीएस नौरके ने फोन पर 10 प्रतिशत रिश्वत मांगी थी। शिक्षक ने इसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग डीईओ और कलेक्टर को सौंपी, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। शिकायत के बाद नौरके को निलंबित किया गया, लेकिन अब मात्र 44 दिन बाद चेतावनी देकर पुनः बहाल कर दिया गया।
दिलचस्प बात यह है कि खुद डीईओ विजय टांडे पर भी रिश्वत लेने के गंभीर आरोप लग चुके हैं। कोटा में बीईओ पद पर रहते हुए उन्होंने लिपिक एकादशी पोर्ते के माध्यम से पति को खो चुकी एक शिक्षिका नीलम भारद्वाज से 1 लाख 24 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। शिक्षिका ने यह शिकायत 3 मार्च को जनदर्शन में तत्कालीन कलेक्टर से की थी, जिसके बाद तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी। जांच में टांडे और पोर्ते दोनों को दोषी पाया गया था।
इसी तरह, बीईओ रहते हुए विजय टांडे पर शिक्षकों के गलत स्कूल में जॉइनिंग कराने का भी आरोप है। सितंबर 2022 में तबादले के दौरान शिक्षक शैलेष यादव को बिल्लीबंद से धौराभाठा बिल्हा भेजा गया था, लेकिन आदेश को बदलकर टांडे ने उन्हें कोटा क्षेत्र के स्कूल में जॉइन करा दिया था।
लिपिक की बहाली पर डीईओ टांडे ने कहा कि लिपिक को बहाल किया गया है क्योंकि वहां कोई कर्मचारी जाने को तैयार नहीं था। दोष सिद्ध होने के बाद उसकी वेतन वृद्धि रोकी गई है और दोबारा गलती करने पर सेवा समाप्त करने की चेतावनी दी गई है।


