बिलासपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 20 अगस्त। रायपुर के बहुचर्चित सूदखोरी और वसूली मामले में फरार तोमर बंधुओं की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की सिंगल बेंच ने रायपुर पुलिस अधीक्षक को व्यक्तिगत शपथ पत्र पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि एसपी अपने हलफनामे में दोनों भाइयों का पूरा आपराधिक इतिहास और उन पर दर्ज मामलों का ब्यौरा पेश करें।
दरअसल, तोमर बंधुओं पर दस से ज्यादा आपराधिक प्रकरण पहले से दर्ज हैं और वे गुंडा एक्ट के मामलों में भी शामिल रह चुका है। वर्तमान मामले में निचली अदालत उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर चुकी है। मालूम हो कि रायपुर के रोहित और वीरेंद्र तोमर पर सूदखोरी, वसूली और ब्लैकमेलिंग जैसे गंभीर आरोप हैं। दोनों भाई फिलहाल फरार चल रहे हैं। इन्हीं मामलों में फंसे होने के चलते उन्होंने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की गुहार लगाई थी। उनका कहना है कि पुलिस एक ही मामले में कई एफआईआर दर्ज कर उन्हें परेशान कर रही है।
ज्ञात हो कि दोनों भाइयों ने 2016-17 में रायपुर और आसपास की प्राइम लोकेशन पर करीब 1.31 करोड़ रुपये में चार प्लॉट खरीदे थे। अब इन संपत्तियों की कीमत तीन करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जा रही है। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि यह संपत्ति उन्होंने सूदखोरी से कमाई रकम से खरीदी थी। कलेक्टर ने उनकी इन संपत्तियों की कुर्की की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
पुलिस की अर्जी पर कोर्ट ने भी संपत्ति कुर्की का आदेश दिया था। इनमें भाठागांव और खमतराई इलाके की जमीनें शामिल हैं। वीरेंद्र तोमर ने भाठागांव और खमतराई में तीन जमीनें खरीदी थीं, जबकि रोहित ने भाठागांव में 1500 वर्ग फीट का एक प्लॉट लिया था, जिस पर उसने ऑफिस बनाया था। बाद में नगर निगम ने इसे तोड़ दिया।
पुलिस का कहना है कि फरारी की वजह से उनकी संपत्ति जब्त की जा रही है, लेकिन आगे जांच में यह भी देखा जाएगा कि अवैध आय से खरीदी गई और कितनी संपत्तियां इनके नाम पर हैं। इसमें जमीन-जायदाद के अलावा नकदी, गाडिय़ां और जेवरात भी शामिल हो सकते हैं। कई पीडि़तों ने आरोप लगाया है कि तोमर बंधुओं ने कर्ज न चुका पाने वालों की जमीन-जायदाद पर जबरदस्ती कब्जा किया और रजिस्ट्री अपने नाम करा ली।