बेमेतरा

8 सरकारी भवन देखरेख के अभाव में कंडम, हादसे को दे रहे न्यौता
25-Jul-2025 4:18 PM
8 सरकारी भवन देखरेख के अभाव में कंडम, हादसे को दे रहे न्यौता

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 25 जुलाई। जिला मुख्यालय में कई सरकारी भवन देखरेख के अभाव में कंडम होते जा रहे हैं। पूर्व में नया भवन बनने के बाद पुराने भवनों में संचालित कार्यालयों को शिफ्ट किया गया था। शिफ्ट होने के बाद छोड़े गए भवनों में दोबारा कार्यालयों का संचालन नहीं किया गया है न ही भवन की उपयोगिता बरकरार रखने के लिए संधारण की दिशा में काम हुआ है, जिसकी वजह से कई भवन अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। बारिश की वजह से कंडम भवनों की वजह से खतरा बढ़ गया है।

जिला मुख्यालय में अस्पताल भवन, पुराना कलेक्टोरेट जैसे कई शासकीय भवन देखरेख की कमी की वजह से कंडम होते जा रहे हैं। खाली पड़े दोनों सरकारी भवन को अभी भी उपयोगी बनाया जा सकता है। पहल कर सरकारी संपत्ति को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है। सरकारी उदासीनता के कारण शहर में करोड़ों की लागत से बनाए गए सरकारी भवन खंडहर हो चुके हैं, जिसे अब पूरी तरह से जमींदोज किया जाना जरूरी हो गया है। नागरिक अमरिका साहू ने कहा कि जिला बनं एक दशक से अधिक का समय बीत चुका है। आज शहर का विस्तार भी हो चुका है, जिसे देखते हुए पुराने व खाली पड़े भवनों का उपयोग किया जाना जरूरी हो गया है।

खंडहर भवन की वजह से आसपास के रहवासी परेशान

जिला मुख्यालय के बीटीआई कॉलोनी मैदान में पुराना जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का भवन है, जिसके खाली होने के बाद कलेक्टोरेट का संचालन कई वर्ष तक किया गया था। 2018 के बाद कंपोजिट भवन बनने पर रोजगार कार्यालय, उद्योग विभाग, श्रम विभाग समेत अन्य विभाग शिफ्ट हुए। तब से पुराने भवन को भवन भरोसे छोड़ दिया गया है। जर्जर भवन से निकलने वाले जीव-जंतुओं की वजह से कॉलोनी व बीटीआई के कर्मचारी परेशान रहने लगे हैं।

शहर में कई भवन, जो हादसे को दे रहे हैं निमंत्रण

पुराना जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बीटीआई मैदान, पुराना कन्या कॉलेज, पीजी कॉलेज का पुराना भवन, जल संसाधन विभाग का नलकूप यूनिट कार्यालय, दो छात्रावास भवन मिलाकर करीब 8 ऐसे भवन हैं, जिन्हें सुरक्षा की दृष्टि से गिराने की जरूरत है।

युवक प्रकाश साहू ने कहा कि पुराने भवन से कभी भी हादसा हो सकता है, जिसे समय रहते तोड़ा जाना जरूरी हो गया है। पुराना भवन तोडक़र उसी स्थान पर नया भवन जरूरत के हिसाब से बनाया जा सकता है। जिला मुयालय में इस तरह की एक कार्य योजना बनाने की जरूरत है, जिससे सरकारी जमीन का बेहतर उपयोग हो सके।

 

जर्जर भवन के संधारण पर नहीं है कोई योजना

नगर पालिका के पास करोड़ों की लागत की कई की योजनाएं हैं, जिसमें से अधिकतर योजनाएं नाली, सडक़, बिजली, भवन, पानी को लेकर तैयार की गई हैं पर पुराने व जर्जर भवन को संधारित कर उपयोगी बनाने के लिए किसी तरह की योजना नहीं है। जर्जर भवनों की सूची तक नगर पालिका ने तैयार नहीं की है।

40 लाख का खर्च आज किसी काम का नहीं

 जिला गठन के बाद कलेक्टोरेट का सबसे बड़ा कार्यालय आईटीआई के नए भवन में संचालित किया गया था। करीब 7 साल तक उस भवन में कलेक्टोरेट का संचालन किया गया। इन सात साल में इस भवन पर 40 लाख रुपए से अधिक का व्यय किया गया था। कलेक्टोरेट के शिफ्ट होने के बाद इस भवन के एक हिस्से में कुछ साल तक आरटीओ कार्यालय संचालित होता रहा।

आज की स्थिति में अलग-अलग तीन विभाग के गोदाम की तरह पुराने कलेक्टोरेट भवन का उपयोग किया जा रहा है। भवन की स्थिति को देखते हुए कहा जाने लगा है कि स्थानीय प्रशासन चाहे तो इस भवन में दोबारा जिला स्तर के कुछ विभागों के कार्यालयों का संचालन किया जा सकता है।

पालिका के पास जर्जर भवन नहीं -सीएमओ

नगर पालिका सीएमओ कोमल ठाकुर ने बताया कि नगर पालिका क्षेत्र में पालिका का अपना जर्जर भवन नहीं है। अन्य विभागों का है। खतरे की आशंका को देखते हुए संबंधित विभाग को नोटिस जारी कर तोडऩे के लिए कहा जा सकता है पर अभी तक इस तरह की कार्यवाही नहीं हुई है। खतरे की स्थिति में भवन को डिस्मेंटल करने के लिए नोटिस देते हैं।


अन्य पोस्ट