बेमेतरा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 23 जुलाई। मूल निवासी के तौर पर नोटिफिकेशन में नहीं दर्शाए जाने के कारण पारधी जाति के लोगों का जाति प्रमाण नहीं बन पा रहा है, जिसके कारण वे छात्रवृत्ति सहित शासन के अन्य योजनाओं के लाभ वे वंचित हो जा रहे हैं।
पारधी जाति के सैकड़ों विद्यार्थी प्रमाण-पत्र नहीं होने की वजह से स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा संचालित छात्रवृत्ति व अन्य योजनाओं का लाभ नही ले पा रहे है। जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर ग्राम बहेरा में 200 से अधिक विद्यार्थियों का जाति प्रमाण-पत्र नहीं बना है। इसी तरह करीब 12 गांव के पारधी विद्यार्थी वंचित हो रहे हैं। जनजाति के लोगो ने बताया कि उन्हें बेमेतरा जिला में अपनी पहचान नहीं मिली है, जबकि दीगर जिलों में इस तरह की स्थिति नहीं है। जानकारी हो कि जिले के बेमेतरा, साजा बेरला व नवागढ़ ब्लाक के अलग-अलग गांव के पारधी जनजाति के सैकड़ों परिवार ग्राम बहेरा, सेमरिया डी, सुवरतला, सुहागपुर, कुसमी, बहेरा धिवरी, अचुवा, झालम, डगनिया, मारों, तेंन्दुवा, लेजवारा व राखीजोबा में रहते हैं, जहां के स्कूल में अध्ययन करने वाले सैकड़ों स्कूली विद्यार्थियों का जाति प्रमाणपत्र नहीं बना है।
असाधरण राजपत्र में बेेमेतरा जिला का उल्लेख नहीं
बेरला के तहसीलदार आशुतोष गुप्ता ने बताया कि भारत सरकार के असाधारण राजपत्र में पारधी जाति के मूल निवास की सूची जारी की गई थी, जिसमें बेमेतरा जिले के किसी भी तहसील का उल्लेख नहीं है जिसके कारण इस तरह की दिक्कतें आ रही हैं। इसके लिए शासन से मार्गदर्शन मांगा जाएगा।
पोर्टल में पारधी जाति का ऑप्शन नहीं
ग्राम बहेरा के ग्रामीणो ने बताया कि स्कूल के विद्यार्थी जब जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए तहसील कार्यालय व अन्य स्थानों पर जाते हैं तो पोर्टल में पारधी जाति का ऑप्शन नहीं होने के नाम पर लौटा दिया जाता है। कई कार्यालयों में मिशल जमा करने के लिए कहा जाता है । आवेदकों के पास मिशल नहीं होने की वजह जनजाति के विद्यार्थियों का जरूरी प्रमाणपत्र नहीं बन पाए हैं। ग्राम बहेरा निवासी निकेश पारधी ने बताया कि गांव में रहने वाले बुजुर्ग व बच्चे सभी पहुंचे थे । उनके गांव में उनकी जाति के 200 से अधिक विद्यार्थी जाति प्रमाण-पत्र सें वचित हैं।
कक्षा दूसरी से नवमीं के बच्चों का भी नहीं बना जाति प्रमाण पत्र
ग्राम बहेरा धिवरी के सरकारी स्कूल में पारधी पारा के करीब 200 से अधिक बच्चे स्कूल में अध्ययन करते हैं या फिर अध्ययन कर चुके हैं। स्कूल में पढऩे के दौरान कक्षा एक से लेकर कक्षा नवमीं व दसवी के विद्यार्थियों का आज तक जाति प्रमाणपत्र नहीं बन पाया है। कक्षा 9वीं की छात्रा प्रतिज्ञा पारधी ने अपना अनुभव बताया कि वह जाति प्रमाणपत्र बनवाने के लिए तहसील कार्यालाय, कचहरी, कलक्टोरेट का चक्कर काट चुकी है, लेकिन प्रमाणपत्र नहीं बन पाया है। उसके परिवार में उसकी छोटी बहन व छोटे भाई का भी जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाया है। कक्षा तीसरी की दिव्या पारधी, सुप्रीया पारधी व कक्षा दसवीं में अध्ययनरत आरती पारधी समेत कई बच्चे प्रमाण-पत्र के अभाव में योजनाओं से दरकिनार हो रहे हैं ।
मध्यप्रदेश में बाहुल्य जनप्रतिनिधि चुने गए
जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में पारधी जाति के लोगों का बालाघाट, सिवनी व अन्य जिलों में बाहुल्य है, जहां पर उन्हें अन्य पिछडा वर्ग की श्रेणी में रखा गया है। इन जिलों में कई जनप्रतिनिधि निर्वाचित होकर प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ में पारधी जनजाति को घुंमतू मानकर स्थायित्व नहीं मिलने से बेमेतरा जिला में इस तरह की स्थिति बनने की बात जानकारों ने कही है।
जांच कर किया जाएगा निराकरण -कलेक्टर
कलेक्टर रणबीर शर्मा ने कहा कि पारधी जाति के लोग आज आए थे, जिनके द्वारा जाति प्रमाण-पत्र नहीं बनने की जानकारी दी गई है। जाति प्रमाण-पत्र नहीं बनने को टीएल में शामिल किया गया है। नही बनाए जाने के कारण की जांच कर उचित निराकरण किया जाएगा।
4323 का बनाया जाना है जाति प्रमाण पत्र
जिले के 1299 स्कूलो में पढऩे वाले कक्षा पहली से लेकर बारहवीं तक के 96 हजार 593 विद्यार्थियों का जाति प्रमाण पत्र बनाया जाना है जिनमें से 92 हजार 270 विद्यार्थियों का जाति प्रमाणपत्र बनाया जा चुका है।
इसके बाद अभी भी 4 हजार 323 विद्यार्थियों का प्रमाण पत्र बनने का इंतजार है। इसी तरह 96 हजार 593 विद्यार्थियों में से 96 हजार 250 विद्यार्थियों का निवास प्रमाण पत्र बन चुका है। वहीं 343 विद्यार्थियों को निवास प्रमाण पत्र नहीं मिला है।
िजले में 150 विद्यार्थियों का आय प्रमाण- पत्र बनाया जाना लंबित है।
दीगर जिले में दर्शा रहा मूल निवास
19 फरवरी 2016 को जारी हुए नोटिफिकेशन में पारधी, बहेलिया, बहेल्लिया, चिता पारधी, लंगोटी पारधी, शिकारी टाकनकार टांकिया, बस्तर, दंतेवाडा, कांकेर, रायगढ़, जशपुरनगर, सरगुजा, कोरिया जिला व कोरबा जिला के कटघोरा, पाली, करतला व कोरबा तहसील, बिलासपुर जिले के बिलासपुर, पेंडरा, कोटा, तखतपुर तहसील, दुर्ग जिले के दुर्ग, पाटन, गुंडरदेही, धमधा ,बालोद, गुरूर, डोडीलोहारा, तहसील, राजनांदगांव जिला के चौकी, मानपुर, मोहला के राजस्व सर्किल में, महासमुंद जिला के महासमुंद, सराईपाली व बसना तहसील, रायपुर जिला के बिन्द्रानवागढ़, राजिम, देवभोग तहसील, धमतरी जिला के धमतरी, कुरूद व सिंहावा तहसील के निवासी के तौर पर दर्शाया गया है।