बस्तर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दंतेवाड़ा, 17 मई। दंतेवाड़ा के विकासखंड कुआकोंडा का टापू कहे जाने वाला गांव मुलेर कुछ वर्ष पूर्व तक हेलीकॉप्टर द्वारा ही पहुंचा जा सकता था। अब तस्वीर बदल चुकी है। प्रदेश की विष्णु देव साय के शासन और प्रशासन द्वारा समस्त बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। नियद नेल्लानार योजना’ द्वारा क्रांतिकारी परिवर्तन मुलेर में भी नजर आ रहा है।
9 करोड़ से बही विकास की गंगा
जहां पहले ग्रामीण सडक़, पेयजल, स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल और पुल-पुलिया जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए ग्रामीणों को संघर्ष करना पड़ता था, वहीं अब इन सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं। योजना के तहत मुलेर ग्राम पंचायत में कुल 62 विकास कार्यों को स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसकी अनुमानित लागत 9 करोड़ 32 लाख 58 हजार रुपये है। इन कार्यों में से 11 कार्य पूर्ण हो चुके हैं,11 कार्य प्रगतिरत हैं, और 30 कार्यों की जल्द ही शुरुआत की जाएगी। उल्लेखनीय है कि ये सभी कार्य डीएमएफ एवं मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के अंतर्गत संचालित किए जा रहे हैं, जिससे न केवल आधारभूत ढांचे का निर्माण हो रहा है बल्कि ग्रामीणों को रोजगार भी मिल रहा है।
ग्रामीणों को मिली बेहतर सुविधाएं
मुलेर गांव में हो रहे बदलाव केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका प्रत्यक्ष प्रभाव गांव की जमीनी हकीकत में देखा जा सकता हैं। जल जीवन मिशन के बेहतरीन क्रियान्वयन से मुलेर ग्राम के शत - प्रतिशत घरों में नलों से पेयजल की सुविधा प्राप्त है। जिसका मुख्यमंत्री द्वारा स्वयं अवलोकन किया गया। मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों से संवाद कर धरातल पर विकास की जानकारी ली।
जन-विश्वास की पुन:स्थापना
‘नियद नेल्लानार’ का मूल उद्देश्य था ‘जहां प्रशासन नहीं पहुंचा, वहां तक पहुंच बनाना’। इस संकल्पना को जमीनी स्तर पर उतारने में जिला प्रशासन ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ग्रामीणों और प्रशासन के बीच संवाद को प्रोत्साहित किया गया, जिससे लोग अपनी आवश्यकताओं और समस्याओं को खुलकर साझा कर पाए। इसी के परिणाम स्वरूप अब ग्रामीण स्वयं अपने गांव के विकास में भागीदारी निभा रहे हैं। दंतेवाड़ा प्रशासन की यह पहल केवल मुलेर तक सीमित नहीं रहेगी। आने वाले समय में योजना के विस्तार के साथ जिले के अन्य सुदूर और वंचित इलाकों तक यह परिवर्तनकारी पहल पहुंचाई जाएगी। नियद नेल्लानार केवल एक योजना नहीं, बल्कि यह एक विश्वास, एक समर्पण और एक नए दंतेवाड़ा के निर्माण की कहानी है , जहां हर गांव विकास की मुख्यधारा से जुड़ा है, और हर नागरिक को उसका अधिकार और सम्मान प्राप्त है।
474 आदिवासी परिवारों को लाभ
कुआकोंडा अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मुलेर, जो जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बुनियादी सुविधाओं और शासन की योजनाओं का लाभ जनजातीय समाज तक पहुंच रहा है। इस ग्राम पंचायत में कुल 112 घर और 474 की जनसंख्या है, जिसमें सभी माडिय़ा जनजाति के लोग निवास करते हैं। ग्राम में 11 हैंडपंप, 2 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, वहीं बच्चे हितावर के नहाड़ी आश्रम में अध्ययनरत हैं। ग्राम पंचायत में 81 मनरेगा जॉब कार्ड, 123 राशन कार्ड, 15 विधवा पेंशन, 8 वृद्धावस्था पेंशन, 37 किसान क्रेडिट कार्ड, 120 नल जल योजना के लाभार्थी, 55 श्रमिक पंजीयन और 30 महतारी वंदन योजना के हितग्राही पंजीकृत हैं। ये सभी योजनाएं मुख्य रूप से नेल्लानार ग्राम के तहत संचालित की जा रही हैं। ग्राम वासियों को उम्मीद है कि शासन की इन योजनाओं से उनकी जीवनशैली में सुधार आएगा और बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का और विस्तार होगा।
मुख्यमंत्री ने दी सौगातें
इस क्रम विगत गुरुवार को मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय द्वारा सुशासन तिहार अभियान अंतर्गत मुलेर ग्राम में चौपाल लगाई गई थी। जहां उन्होंने ग्रामीणों से संवाद करते हुए मुलेर ग्राम के सर्वांगीण विकास का आह्वान करते हुए ग्रामीणों से सहभागिता की अपील की। इसके साथ ही कलेक्टर कुणाल दुदावत ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि मुलेर में सभी विभागों की योजनाओं क्रियान्वयन मिशन मोड में किया जा रहा है।
इसी क्रम में यहां फ्रेब्रिकेटकेड आंगनबाड़ी और उचित मूल्य की दुकान का निर्माण किया गया है। इसके अलावा शिक्षा सुविधाओं के तहत प्राथमिक शाला भवन का निर्माण भी अति शीघ्र किया जायेगा। इसके साथ ही ग्राम विद्युतीकरण विस्तारीकरण, पुल-पुलिया और सडक़ निर्माण, तालाब निर्माण, सामुदायिक भवन को भी स्वीकृति दी गई है।