बालोद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दल्ली राजहरा, 7 दिसंबर। नगर की विख्यात समाजसेवी व वरिष्ठ साहित्यकार लेखिका डॉ. शिरोमणि माथुर को अगासदिया दुर्वासा लाल निषाद सम्मान 2025 से नवाजा गया।
6 दिसंबर को गौरव ग्राम बाघमार में आयोजित कंगला मांझी महोत्सव 2025 में सम्मानित हुर्इं डॉ. शिरोमणि माथुर पूर्व में भी देश की राजधानी नई दिल्ली, मध्य प्रदेश के खजुराहो, रायपुर सहित कई शहरों में आयोजित अनेक मंचों में सम्मानित हो चुकी हंै।
बालोद जिले के देवरी गांव में जन्में देश की रक्षा के लिए शहादत देने वाले सपूत दुर्वासा लाल निषाद सम्मान 2025 के लिए प्रसिद्ध लेखिका डॉ. शिरोमणि माथुर को स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र दिया गया।
डॉ. शिरोमणि माथुर प्रसिद्ध समाजसेविका और श्रेष्ठ शिक्षाविद् हैं। वे देश की विलक्षण लेखिका हैं जिनकी रचनाएं 65 साझा संकलन में संकलित हैं। अब तक उन्होंने ग्यारह श्रेष्ठ ग्रंथों का लेखन किया है।
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड, वल्र्ड वाइड बुक रिकार्ड्स एवं सेन्ट्रल प्राइड ऑफ इंडिया ने उनकी साधना का सम्मान किया है। उनके द्वारा लिखित ग्यारह हजार दोहों का संकलन विशिष्ट काव्य संग्रह है। आध्यात्मिक रूचि की विलक्षण लेखिका डॉ. शिरोमणि माथुर आगे भी साहित्य जगत की समृद्धि के लिए नई पीढ़ी को प्रोत्साहित करते हुए और सतत् लेखन कर अपार यश अर्जित करेंगी इस आशा के साथ यह सम्मान सादर प्रदत्त किया गया।
ज्ञात हो कि प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी क्रांतिवीर कंगला मांझी जी की 41वीं स्मृति दिवस कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह 2025 का आयोजन किया गया था।
श्री मांझी अंतरराष्ट्रीय समाजवाद आदिवासी किसान सैनिक संस्था, नई दिल्ली एवं अखिल भारतीय माता दंतेवाडिऩ समाज समिति के सौजन्य से क्रांतिवीर कंगला मांझी की 41वीं स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में गौरव ग्राम बघमार (मांझीधाम), पो. चिपरा, थाना व तहसील डौण्डीलोहारा, जिला बालोद (छ.ग.) में चार दिवसीय आदिवासी सम्मेलन एवं स्मृति दिवस कार्यक्रम तथा ग्रामीण बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
राष्ट्र ख्याति के सपूत क्रांतिवीर कंगला मांझी ने समतामूलक समाज लाने और देश में अमन-चैन के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, न केवल आदिवासी समाज उनसे आशा करता था, बल्कि पूरा छत्तीसगढ़ उनकी चमत्कारिक छवि से सम्मोहित था। उन्होंने अपने संगठन श्री मांझी अंतर्राष्ट्रीय समाजवाद आदिवासी किसान सैनिक संस्था के जरिए कई आंदोलन भी चलाए।
आदिवासी जननायक कंगला मांझी की स्मृति दिवस के अवसर पर उनकी कर्म स्थली ग्राम बघमार में विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। क्रांतिवीर कंगला मांझी जी की 41 वीं स्मृति दिवस समारोह आयोजित किया गया था।
5 से 8 दिसंबर तक चले इस समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति प्रतिदिन संध्याकालीन समय में संपन्न हुई। आदिवासी सामाजिक सांस्कृतिक समागम एवं सम्मान समारोह में लोग सपरिवार उपस्थित हुए।


