हर साल रायपुर से मुंबई के रास्ते दुबई तक जाते थे
घोड़ारी, बडगांव सहित 10 से अधिक गांव में फसल बर्बाद
संदीप सिन्हा
रायपुर, 12 जनवरी (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। महानदी के सीने में होने वाले तरबूज की मिठास दुबई तक फैली हुई है पर इस साल बेमौसम बारिश से नदी में लगी फसल डूबने से खराब हो गई है। इस साल करीब 10 हजार एकड़ में तरबूज, खरबूज और ककड़ी की फसल लेने वाले किसानों ने नदी में बीज डाले थे पर दो दिन की बारिश ने सब कुछ बर्बाद कर दिया।
बारिश के चलते बह गए बीज
बेमौसम बारिश के चलते महानदी में पानी बहाव शुरू हो गया, जिसमें पौधे व बीज बह गए। हालांकि कृषि वैज्ञानिक शेख अली हुमायुं कहना है अभी तरबूज लगाने का समय है किसान चाहे तो फिर से लगा सकते है।
नदी का बहाव बदलकर 50 साल से कर रहे खेती
नदी किनारे बसे गांव बडगांव, बरबसपुर, घोड़ारी, मुढ़ेना सहित 10 से अधिक गांव के भूमिहीन परिवार पिछले 50 सालों से नदी की रेत में परंपरागत तरीके से सब्जी, ककड़ी व तरबूज की खेती करते आ रहे हैं। अक्टूबर के बाद पानी का बहाव जब कम होता है तब उस बहाव को किनारे में मोड़ देते हैं।
इसके बाद बीच के हिस्से को फसल लगाने तैयार किया जाता है। सफाई के बाद गोबर खाद मिलाना फिर उसे जानवरों से बचाने घेरा लगाया जाता है। नवंबर के पहले में हफ्ते किसान परिवार समेत झोपड़ी तान कर रहना शुरू कर देते हैं। मई-जून तक इलाके में हरी सब्जियां, तरबूज व ककड़ी बहुत कम कीमत पर बेचते हैं।
घोड़ारी के किसान राम लाल निषाद, धनेश निषाद, मानिक साहू ने बताया कि हर साल बड़ी मात्रा में तरबूज रायपुर से मुंबई के रास्ते दुबई भेजे जाते हैं। दुबई के हर बड़े होटलों में महासमुंद के तरबूज परोसे जाते हैं। इसके लिए बाकायदा बड़े फल व्यापारी किसानों से संपर्क करते हैं। लेकिन इस साल फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है।
लागत से बारह गुना आमदनी
उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक ने बताया कि यह कम लागत की फसल है। तीन महीने के सीजन वाले इस फसल से किसान को कम समय में लागत से करीब 12 गुना ज्यादा आमदनी कमा सकते हैं। लेकिन इस बार अचानक हुई बारिश से नदी में उपज प्राप्त करने वाले किसानों को नुकसान हुआ है। हालांकि अभी समय है, किसान चाहे तो फिर से फसल की तैयारी कर सकता है।
नये साल में ही हो गई दोगुनी बारिश...
प्रदेश में नए साल में ही दोगुनी से ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 11 दिन में 128.7 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई। इस दौरान प्रदेश में बारिश का औसत 63.6 मिमी रहा है, यानी अब तक लगभग 202 प्रतिशत पानी बरस चुका है।
अगले 24 घंटे में प्रदेश के कई स्थानों में गरज
चमक के साथ छींटे पडऩे के संकेत, ठंड बढ़ेगी
मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार अगले 24 घंटे में राज्य के अनेक स्थानों पर गरज चमक के साथ छींटे पडऩे की संभावना है। अधिकतम तापमान में गिरावट होने की संभावना है। इससे ठंड बढऩे के आसार हैं।
मौसम विभाग ने बताया है कि ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा उत्तर हरियाणा के ऊपर में स्थित है। यहीं से एक द्रोणिका 0.9 किलोमीटर ऊंचाई तक दक्षिण-पूर्व मध्य प्रदेश तक स्थित है। एक द्रोणिका उत्तर अंदरूनी-कर्नाटक से उत्तर मध्य-महाराष्ट्र 0.9 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। हरियाणा से लेकर दक्षिण पूर्व मध्य प्रदेश तक द्रोणिका के मौजूदगी के कारण प्रदेश के मध्य भाग में एक-दो स्थानों पर ओला गिरने की संभावना है, जबकि उत्तर अंदरूनी कर्नाटक से लेकर उत्तर मध्य महाराष्ट्र में तक द्रोणिका की मौजूदगी के कारण दक्षिण छत्तीसगढ़ के सभी भाग में भी खराब मौसम की चपेट में रहने की संभावना है। इसके कारण दक्षिण छत्तीसगढ़ में एक-दो स्थानों पर ओलावृष्टि भी संभावित है।
प्रदेश के उत्तरी भाग में विंड कॉन्फ्लूएंस जोन बनने की संभावना है इसके कारण प्रदेश में अभी फिलहाल अगले 3 दिनों तक मौसम में विशेष परिवर्तन होने की संभावना नहीं है। प्रदेश के उत्तरी भाग (सरगुजा संभाग) में मौसम में आंशिक सुधार होने की संभावना है, किंतु आंशिक रूप से बादल बने रहने तथा एक दो स्थानों पर हल्की वर्षा होने की संभावना बना हुआ रहेगा।
बेमौसम बारिश का असर कहां-कहां पर
फसल- कृषि विशेषज्ञों का कहना था कि बेमौसम बारिश से सब्जी वर्गीय फसलों को नुकसान है, इस दौरान कीट काफी पैदा हो जाते हैं। वर्तमान में टमाटर की फसल भारी नुकसान होगा।
सेहत- वहीं डॉक्टर्स भी इसे स्वास्थ्य की दृष्टि ठीक नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है इस दौरान ज्यादा देर पानी में भीगने से वायरल, सर्दी-जुकाम, इन्फेक्शन का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है।