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देशभर से 26 प्रतिभागी हुए शामिल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बचेली, 12 जनवरी। कहते हैं अगर हौसला बुलंद हो तो बड़े से भी बड़े लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है दंतेवाड़ा जिले के बचेली के कमलेश कुमार ने। उन्होंने ट्रैकर्स के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित केदार कांठा ट्रैक जिसकी ऊंचाई 12500 फीट (3800 मीटर) ऊंची चोटी पर ट्रैकिंग कर तिरंगा लहराकर फतह हासिल किया है। इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन के तत्वावधान में कमलेश कुमार टंडन ने यह लक्ष्य हासिल किया है।
इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन द्वारा उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में सात दिवसीय नेशनल विंटर ट्रैक कैंप का आयोजन किया गया था, जिसमें छत्तीसगढ़ से 10 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें दंतेवाड़ा जिले से कमलेश कुमार टंडन शामिल हुए थे।

28 दिसंबर से 4 जनवरी तक सात दिवसीय नेशनल विंटर ट्रैक का आयोजन इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन द्वारा उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में आयोजन किया गया था। राष्ट्रीय स्तर पर कराए गए इस आयोजन में देशभर के 26 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। इनमें से छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के (बचेली) कमलेश कुमार टंडन ने भी भाग लिया था। यह आयोजन राजनांदगांव जिले के प्रथम पर्वतारोही रोहित कुमार झा के नेतृत्व में किया गया।
चोटी पर पहुंचने के बाद भारत माता की जय, वन्दे मातरम्, छत्तीसगढ़ महतारी की जय, छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा के जयकारे लगाए और दंतेवाड़ा जिले सहित छत्तीसगढ़ प्रदेश का नाम गौरवान्वित किया।
पिता बताते हैं कि चट्टान पर चढऩे के लिए चट्टान जैसे ही मजबूत इरादे होने चाहिए। इरादे मजबूत थे, इसलिए हमने यह कार्य कर दिखाया।
सफलतापूर्वक चढ़ाई करने की एक अलग खुशी
जब चढ़ाई शुरू की तो कमलेश ने पीछे मुडक़र नहीं देखा। कई बार परिस्थितियां ऐसी भी बनी थी कि किसी भी समय हिम्मत टूट जाए, लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी और दृढ़ इच्छाशक्ति, संकल्प और विश्वास के साथ लगातार चढ़ाई करते रहे और आखिरकार अपने लक्ष्य को हासिल किया।
कमलेश कुमार टंडन ने बताया कि कई दिनों की लंबी ट्रैकिंग और कड़ी मेहनत के बाद इस कठिन लक्ष्य को हासिल किया।
खड़ी चढ़ाई ने दी थी चुनौती
कमलेश कुमार टंडन ने बताया कि 12500 फीट ऊंची चोटी केदार कांठा ट्रैक तक पहुंचने का सफर काफी बेहद मुश्किल और चुनौतीपूर्ण था। रात के 3 बजे से शुरू ट्रैकिंग काफी अंधेर में चलना और बर्फ के जूतों में फिसलन हो रही थी। लेकिन पहली बार यहां इतनी अधिक ऊंचाई पर पहुंचने के बाद तिरंगा लहराना हमारे लिए किसी सपने से कम नहीं था।
इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन के 26 ट्रैकर्स के साथ 280 फीट लम्बा तिरंगा लहराना हमारे लिए एक गर्व और गौरव के क्षण रहे।
पिता ने कहा गर्व है बेटे पर
कमलेश कुमार टंडन जब 10 साल के थे, तब कमलेश की मां पीलिया बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई। इतनी कम उम्र में मां का छोड़ जाना कमलेश के लिए बहुत ही दु:ख का समय था। तब पिता राजेश कुमार टंडन ने उनका पालन पोषण किया। और कहा कि बेटे ने राष्ट्रीय स्तर पर केदार कांठा ट्रैकिंग में हिस्सा लेकर उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित हिमालय का सबसे ऊंचा ट्रैक केदारकांठा की चोटी पर तिरंगा लहराकर छत्तीसगढ़ सहित दंतेवाड़ा जिले और अपने गांव, समाज और हमारा नाम रोशन किया है। हमें गर्व है कि कमलेश हमारा बेटा है।
इस साहसिक कार्य के लिए इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन के प्रेसिडेंट इफ्राहीम अहमद, राजनांदगांव जिले के प्रथम पर्वतारोही रोहित कुमार झा छत्तीसगढ़ से टीम लीडर और साथ में नेशनल लीडर भी हंै।


