महाराष्ट्र के चंद्रपुर ज़िले से एक बहुत ही परेशान करने वाली ख़बर आई है. यहां कर्ज़ के बोझ तले दबे एक किसान ने परेशान होकर अपना गुर्दा बेच दिया.
किसान का नाम है रोशन कुले. 36 साल के रोशन मिनठुर गांव (नागभीड़ तालुका) के रहने वाले हैं.
रोशन का कहना है कि साहूकारों ने उसे इतना परेशान किया कि वह कंबोडिया जाकर अपना गुर्दा बेचने पर मजबूर हो गए.
उनके वीडियो सामने आने पर जब हम उनके घर पहुंचे तो उस समय पुलिस भी वहां मौजूद थी. हमने रोशन से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने यह कहकर इनकार कर दिया कि अभी पुलिस जांच कर रही है, इसलिए वह कुछ नहीं बोलेंगे.
हालांकि उनके पिता शिवदास कुले ने साहूकारों के दबाव और शोषण के बारे में बताया.
साहूकारों के गिरोह में फंसे
बीबीसी मराठी से बात करते हुए शिवदास कुले ने बताया, "मेरा बेटा दूध का कारोबार करता था लेकिन कोविड के समय वह ठप हो गया. बाद में लंबी बीमारी से हमारी छह गाय मर गईं. यह 2021 की बात है. इलाज के लिए हमने दो साहूकारों से 50,000-50,000 रुपये का कर्ज़ लिया था, यानी कुल एक लाख रुपये."
"कर्ज़ चुकाने के लिए फिर हमें दूसरे साहूकार से उधार लेना पड़ा. ब्रह्मपुरी में छह साहूकारों का एक गिरोह है. ये लोग उधार लेने वालों को मजबूर करते हैं कि पहले वाला कर्ज़ चुकाने के लिए किसी और साहूकार से पैसा लें."
उन्होंने आरोप लगाया कि साहूकार घर पर आकर धमकाते थे, गाली-गलौज करते थे और मारपीट की धमकी भी देते थे. रोशन बैंक ऑफ़ इंडिया में बिज़नेस कॉरेस्पॉन्डेंट के रूप में भी काम करता था. साहूकार वहां भी पहुंच जाते और बकाया कर्ज़ को लेकर उन्हें गाली देते. उनके पिता का दावा है कि इसी वजह से रोशन ने नौकरी भी छोड़ दी.
एफ़आईआर के मुताबिक़, एक लाख का कर्ज़ बढ़कर 50 लाख रुपये हो गया. इसे चुकाने के लिए किसान ने अपनी ज़मीन बेच दी, करीब तीन चौथाई एकड़ ज़मीन साहूकार के नाम कर दी गई. घर का छह तोला सोना भी बेच दिया गया.
इसके बावजूद भी कर्ज़ पूरा नहीं उतरा. आख़िरकार रोशन ने अपना गुर्दा बेचने का फ़ैसला किया. आरोप है कि वह कंबोडिया गए और अपना गुर्दा 8 लाख रुपये में बेच दिया.
रोशन ने आरोप लगाया है कि "साहूकारों ने मुझे कहा कि गुर्दा बेचकर पैसा दो. इसी वजह से मैंने गुर्दा बेचा."
बाईं किडनी गायब
पुलिस ने फ़िलहाल छह साहूकारों को गिरफ़्तार किया है: मनीष पुरुषोत्तम घाटबांधे, किशोर रामभाऊ बावनकुले, लक्ष्मण पंडित उरकुड़े, प्रदीप रामभाऊ बावनकुले, संजय विठोबा बल्लारपुरे और सत्यवान रामरतन बोरकर. इनके ख़िलाफ़ अवैध रूप से कर्ज़ देने के मामले दर्ज किए गए हैं.
पुलिस को साहूकारों और किसान के बीच पैसों के लेन-देन के सबूत भी मिले हैं. अभियुक्तों को ब्रह्मपुरी कोर्ट में पेश किया गया और उन्हें 20 दिसंबर तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया.
स्थानीय मीडिया को दिए वीडियो इंटरव्यू में किसान रोशन कुले को कहते हुए देखा जा सकता है कि साहूकारों के कर्ज़ की वजह से उन्होंने अपना गुर्दा बेचा.
उनका कहना है कि वह पिछले चार महीने से न्याय की मांग कर रहे थे लेकिन उनकी शिकायत दर्ज करने को कोई तैयार नहीं था. उसकी सिर्फ़ एक ही मांग है, "मुझे मेरा पैसा वापस चाहिए."
चंद्रपुर के पुलिस अधीक्षक मुमका सुदर्शन ने बीबीसी मराठी से कहा, "हमने सुनिश्चित किया कि शिकायत दर्ज हो और अब जांच चल रही है."
किडनी बेचने की बात सच है या नहीं, इसकी पुष्टि के लिए पुलिस ने बुधवार, 17 दिसंबर को रोशन कुले की मेडिकल जांच करवाई. रिपोर्ट में साफ़ हुआ कि रोशन की बाईं किडनी गायब है.
किडनी तस्करी का रैकेट?
एसपी सुदर्शन के मुताबिक़, किसान ने एक डॉक्टर का नाम लिया है जो चेन्नई का है. आरोप है कि उस डॉक्टर ने किडनी बेचने में किसान की मदद की और उसके साथ कंबोडिया तक गया.
अब पुलिस यह जांच कर रही है कि डॉक्टर की इसमें कोई भूमिका थी या नहीं.
एसपी ने यह भी कहा कि पुलिस जाँच कर रही है कि किडनी सिर्फ़ साहूकारों का कर्ज़ चुकाने के लिए बेची गई या किसी निजी वजह से, क्या साहूकार सीधे तौर पर इसके लिए ज़िम्मेदार थे?
'कहीं कोई किडनी तस्करी का रैकेट तो नहीं है? और क्या यह बिक्री उसी रैकेट के ज़रिए हुई?
बीबीसी मराठी ने गिरफ़्तार किए गए छह अभियुक्तों में से एक, संजय बल्लारपुरे की पत्नी सपना बल्लारपुरे से मुलाक़ात की.
सपना बल्लारपुरे ने कहा, "मेरे पति की बीयर की दुकान है. अगर किसी को ज़रूरत होती है तो वह पैसे देते हैं, लेकिन ब्याज पर नहीं. उन्होंने रोशन नाम के इस व्यक्ति को कोई पैसा नहीं दिया. बाकी अभियुक्त मेरे पति की दुकान पर बैठते थे, इसी वजह से उनका नाम गलत तौर पर घसीटा गया है."
बीबीसी ने बाकी अभियुक्तों के परिवारों से भी प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल पाया. उनकी ओर से कोई भी प्रतिक्रिया मिलती है तो उसे इस रिपोर्ट में शामिल कर दिया जाएगा.( bbc.com/hindi)