सरगुजा

वरिष्ठ चिकित्सकों ने कोरोना इलाज में रेमडेसिविर इंजेक्शन की निहायत जरूरत को नकारा
28-Apr-2021 10:23 PM
वरिष्ठ चिकित्सकों ने कोरोना इलाज में रेमडेसिविर इंजेक्शन की निहायत जरूरत को नकारा

बिना रेमडेसिविर इंजेक्शन के 8 हजार से अधिक मरीज हुए स्वस्थ

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 28 अप्रैल।
अम्बिकापुर के वरिष्ठ तथा आइएमए के सदस्य चिकित्सकों ने संयुक्त रूप से विज्ञप्ति जारी कर कोविड संक्रमण से प्रभावित मरीजों में रेमडेसिविर इंजेक्शन की बढ़ती माँग को अनुचित बताते हुए कोरोना के इलाज के लिए अति आवश्यक होने के दावे को नकारा है।

 उन्होंने कहा है कि कोविड संक्रमण के प्रभावी रोकथाम के लिए दवाइयों के प्रति शारीरिक प्रतिक्रिया, फेफड़े में संक्रमण से हुए क्षति की मात्रा व शरीर के विभिन्न अंगों की क्रियाशीलता पर निर्भर करती है। रेमडेसिविर केवल वाइरस के संक्रमण को कम कर सकता है। संक्रमण के बाद हुई क्षति को दूर करने में इसका कोई योगदान नहीं होता। रेमडेसिविर के बिना भी मरीज की जान बचाई जा सकती है।

नगर के लाइफलाइन हॉस्पिटल के सीनियर डॉ. अमित असाटी ने बताया कि उनके संस्थान में लगभग 230 कोविड मरीज भर्ती हुए हैं, जिनमें से ज्यादातर गम्भीर लक्षण वाले थे। इनमें से 200 से ज्यादा मरीज ऐसे हैं, जिनमें रेमडेसिविर इंजेक्शन का प्रयोग नहीं किया गया। जबकि यह देखा गया कि जिनकी मृत्यु हुई उनमें रेमडेसिविर का प्रयोग किया गया था। यह कहना बिल्कुल गलत है कि रेमडेसिविर से कोविड पेशेंट की जान बच सकती है।

जीवन ज्योति हॉस्पिटल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. जेके सिंह ने बताया कि उनके अस्पताल में 500 से अधिक गंभीर प्रकृति के कोविड मरीजों का इलाज किया गया। इनमें लगभग 5 से 7 मरीजों की मृत्यु हुई। इनमें रेमडेसिविर के प्रयोग के बावजूद भी मरीज को बचाया नहीं जा सका। कोविड इंफेक्शन को रोकने के लिए रेमडेसिविर एक एंटीवायरल दवा है जो जरूरी नहीं की हर व्यक्ति में काम करे।

शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के छाती तथा श्वसन तंत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.रोशन लाल वर्मा तथा कोविड हॉस्पिटल के मुख्य प्रभारी अधिकारी ने बताया कि रेमडेसिविर का इंजेक्शन प्रारम्भ के 7 दिन के अंदर लगना उचित रहता है। यह ऐसे मरीज में लाभदायक होता है जिनका ऑक्सीजन सैचुरेशन 90 से कम होता है। हम लोगों ने सफलतापूर्वक बहुत से गम्भीर लक्षण वाले कोविड मरीजों को बचाया है जिनको रेमडेसिविर का इंजेक्शन नहीं लगा है।

इण्डियन मेडिकल एसोसिएसन आईएमए के सदस्य डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता ने कोविड पेशेंट को रेमडेसिविर की अति आवश्यकता का खंडन किया। उन्होंने कहा कि जितने भी उच्चतर स्वास्थ्य संस्थान जैसे आईसीएमआर, डब्लूएचओ आदि में से किसी ने भी रेमडेसिविर इंजेक्शन को कोविड संक्रमण के लिए एकमात्र दवाई निरूपित नहीं किया है। ये सही है कि रेमडेसिविर का उपयोग कोविड से संक्रमित मरीजों के उपचार में किया जाता है। अन्य दवाइयों के साथ-साथ जिन व्यक्तियों को रेमडेसिविर का इंजेक्शन लगता है वह व्यक्ति स्वस्थ होता है। लेकिन यह कहना पूरी तरह से गलत है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन लगने के बाद मरीज की जान बचाई जा सकती है। यह शरीर की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। बिना रेमडेसिविर इंजेक्शन के उपयोग के पूरे सरगुजा में 8000 से अधिक मरीजों की जान बचाई जा चुकी है।
 


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