सरगुजा

मनरेगा से सडक़-पुलिया निर्माण में जेसीबी-ट्रैक्टर का उपयोग
08-Jan-2025 11:05 PM
मनरेगा से सडक़-पुलिया निर्माण में जेसीबी-ट्रैक्टर का उपयोग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

प्रतापपुर, 8 जनवरी। प्रतापपुर जनपद पंचायत के ग्राम जज़ावल में मनरेगा के तहत गोरगी से गडही मार्ग तक मिट्टी-मुरूम सह पुलिया निर्माण कार्य में जेसीबी-ट्रैक्टर का उपयोग का मामला सामने आया है।

 इस परियोजना के तहत कुल 19 लाख 75 हजार रुपये का बजट आवंटित किया गया था, जिसमें से 14 लाख 63 हजार रुपये मजदूरी के लिए, 4 लाख 32 हजार रुपये मटेरियल के लिए, और 1 लाख 15 हजार रुपये अन्य खर्चों के लिए निर्धारित किए गए थे। हालांकि, इस निर्माण कार्य में जेसीबी, ट्रैक्टर जैसे भारी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, जो मनरेगा के नियमों के खिलाफ है।

उक्त मामले को लेकर जिला पंचायत सीईओ नंदनी साहू ने कहा -मुझे इस मामले की जानकारी मिली है और मैं इस पर उचित कार्रवाई करूंगी। जो भी दोषी होंगे, उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि मनरेगा के तहत मजदूरी के लिए निर्धारित राशि का सही उपयोग हो और मजदूरों को उनका हक मिले। प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।

मनरेगा योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को मैन्युअल श्रम के जरिए रोजगार प्रदान करना है, लेकिन इस निर्माण कार्य में मशीनों के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण ग्रामीणों को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे।

मजदूरों का कहना है कि उन्हें इस कार्य में शामिल किया जाना चाहिए था, लेकिन मशीनों से काम कराया जा रहा है, जिससे उनकी रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है।

मशीनों के इस्तेमाल से मनरेगा का उद्देश्य विफल

मनरेगा के तहत यह स्पष्ट निर्देश है कि केवल मैन्युअल श्रम का ही उपयोग किया जा सकता है, जबकि इस कार्य में भारी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। इससे योजना का उद्देश्य ग्रामीणों को रोजगार देना विफल हो रहा है। ग्राम जज़ावल के स्थानीय मजदूरों का कहना है कि उन्हें काम मिलने की बजाय मशीनों से काम कराया जा रहा है, जिससे उनके लिए रोजगार के मौके घट गए हैं। एक स्थानीय मजदूर ने कहा हमारे लिए मनरेगा एक रोजगार योजना थी, लेकिन अब मशीनों से काम हो रहा है, जिससे हमें काम नहीं मिल रहा। यह हमारे लिए बहुत नुकसानदेह है।

मजदूरों में आक्रोश

ग्राम जज़ावल के ग्रामीणों और मजदूरों का कहना है कि जब मनरेगा का उद्देश्य ही रोजगार सृजन करना है, तो मशीनों का अत्यधिक उपयोग करने से उन्हें अपने हक से वंचित किया जा रहा है। एक अन्य ग्रामीण ने कहा हमारे लिए मनरेगा का मतलब था काम और आय, लेकिन अब मशीनों के चलते हमें कोई काम नहीं मिल रहा। प्रशासन को इस पर गंभीर कदम उठाने चाहिए।


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