सरगुजा

भूमि का विवरण, क्षेत्रफल एवं परिसंपत्ति का विवरण प्रकाशित होने के बाद घाटबर्रा के ग्रामीणों में आक्रोश
15-Dec-2024 8:48 PM
भूमि का विवरण, क्षेत्रफल एवं परिसंपत्ति का विवरण प्रकाशित होने के बाद घाटबर्रा के ग्रामीणों में आक्रोश

एसडीएम से मिलकर संपत्ति का परीक्षण करने की मांग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

उदयपुर, 15 दिसंंबर। परसा ईस्ट एवं केते बासेन कोल परियोजना हेतु न्यायालय भू-अर्जन अधिकारी, उदयपुर, जिला-सरगुजा. (छ.ग.) द्वारा भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 की धारा 21 (1) के अंतर्गत भू-अर्जन हेतु ग्राम घाटबर्रा के प्रकरणों के लिए सूचना-पत्र का प्रकाशन कर तीन दिनों 11 से 13 दिसंबर तक दावा-आपत्ति की सुनवाई की गई।

प्रकाशित सूचना के द्वारा प्रभावितों को सूचित किया कि अनुविभागीय अधिकारी (रा.) एवं भू-अर्जन अधिकारी उदयपुर के कार्यालय में स्वयं अथवा अपने अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से उपस्थित होकर निम्नांकित भूमि पर अपने स्वत्व, अर्जित क्षेत्रफल, किस्म भूमि, निहित अंश अथवा क्षतिपूर्ति के संबंध में यदि कोई आपत्ति हो तो लिखित में दस्तावेजी प्रमाणों के साथ प्रस्तुत करने कहा गया। साथ ही अनुपस्थित रहने की स्थिति में एकपक्षीय कार्रवाई कर नियमानुसार मुआवजा निर्धारित करने की बात लिखी गई।

भूमि का विवरण, क्षेत्रफल एवं परिसंपत्ति का विवरण की जानकारी का सूचना प्रकाशित होने के बाद ग्राम घाटबर्रा के ग्रामीणों में आक्रोश पनप गया।

ग्रामीणों ने 11 दिसंबर को अनुभागी कार्यालय पहुंचकर एसडीएम बन सिंह नेताम से मिलकर अपनी परेशानियों को बताया तथा ग्राम में ही अधिकारी कर्मचारियों को भेज कर संपत्ति का परीक्षण करने की बात कही। जिस पर एसडीएम ने ग्रामीणों की बात को मानकर 12 एवं 13 दिसंबर को ग्राम घाटबर्रा में ही दावा-आपत्ति का आवेदन लिया।

चर्चा के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि परिसंपत्तियों के विवरण का प्रकाशन में बहुत ज्यादा खामियों है उक्त प्रकाशन किए गए सूची में किसी का घर छूटा तो किसी का मवेशी छूटा तो किसी ने पेड़ों की जानकारी गलत भरने या बिल्कुल भी परिसंपत्ति में उसे शामिल नहीं करने का आरोप लगाया यहां तक की ग्राम के सरपंच का परिसंपत्ति का विवरण ही गलत दर्ज था, जिस पर उन्होंने एसडीएम से इनमें सुधार करने की मांग की ग्राम के अन्य लोगों ने जिस तरह की समस्याएं बताई उनमें भूमि के कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं कि वर्तमान स्थिति में भूमि पर काबिज कोई और है और मुआवजा प्रकरण किसी और के नाम पर दिख रहा है।

कई ऐसे प्रकरण भी सामने आए, जिनमें भूमि की रजिस्ट्री के पेपर तो भूमि स्वामियों के पास हैं परंतु उनके वर्तमान बी वन खसरा में पूर्व के जमीन मालिक या किसी अन्य के नाम दर्ज रहे हैं।    पारिवारिक बंटवारा के तहत जिन परिवारों में चार लोग हैं, चारों के मकान अलग है परंतु उनमें सिर्फ एक या दो के ही मकान का विवरण प्रदर्शित हो रहा है, इस पर भी लोगों ने आपत्तियां दर्ज की है।

100 से अधिक ऐसे प्रकरण है, जिसमें इस तरह की परेशानियां आई है और लोगों ने अपनी आपत्तियां दर्ज करें में सुधार की मांग की है।     ग्रामीणों ने यह भी बताया कि अभी तक उन्हें इस बात का पता ही नहीं है क्यों उन्हें विस्थापन कहां दिया जा रहा है किस गांव में उन्हें विस्थापित करके भेजा जाएगा।

इस बारे में जब हमने अनुविभागीय अधिकारी बन सिंह नेम से बात की तो उन्होंने कहा -ग्रामीणों की समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है। इन तीन दिनों में यदि पूरे आवेदन जमा नहीं हो पाए तो ग्रामीणों को कुछ और वक्त भी दिया जाएगा। शासन के नियमानुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।


अन्य पोस्ट