राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : इसीलिए कहते हैं गुप्तदान महाकल्याण...
04-Apr-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : इसीलिए कहते हैं गुप्तदान महाकल्याण...

छत्तीसगढ़  भाजपा ने कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए पीएम केयर्स में चंदा देने की अपील की है। पार्टी ने चंदा जुटाने के लिए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल को जिम्मेदारी भी दी है। पार्टी नेताओं ने कार्यकर्ताओं से कम से कम 10 और लोगों को पीएम केयर्स में दान देने के लिए प्रेरित करने कहा है। मगर पार्टी के कई नेता पीएम केयर्स में अंशदान करने के बजाए सीधे सीएम सहायता कोष में दान दे रहे हैं। इसको लेकर पार्टी के बड़े नेता नाराज बताए जा रहे हैं। 

सुनते हैं कि कांकेर के भाजपा नेता और अपेक्स बैंक के पूर्व अध्यक्ष  महावीर सिंह राठौर ने सीएम सहायता कोष में 51 हजार रूपए दान दिए। उन्होंने कांकेर के भाजपा सांसद मोहन मंडावी और स्थानीय कांग्रेस विधायक शिशुपाल सोरी की मौजूदगी में कलेक्टर को चेक दिया। मोहन मंडावी पहले ही सार्वजनिक तौर पर सीएम भूपेश बघेल की तारीफ कर चर्चा में रहे हैं। इसके अलावा पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी और उनके भाई मोहन सुंदरानी ने भी पिछले दिनों कोरोना आपदा कंट्रोलरूम पहुंचकर सीएम सहायता कोष में 51 हजार रूपए दिए। इस मौके पर कोन्ग्रेस्स विधायक सत्यनारायण शर्मा भी थे। 

इसकी खबर जब पार्टी के रणनीतिकारों को लगी, तो उन्होंने आपसी चर्चा में दानदाता पार्टी नेताओं को काफी भला-बुरा कहा। वे इसे पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन मान रहे हैं। इससे परे राज्य के कांग्रेस नेता इस बात से खफा हैं कि प्रदेश के भाजपा सांसद-विधायक राज्य के कोष में सहायता देने के बजाए पीएम केयर्स में धनराशि दे रहे हैं। जबकि राज्य की समस्या को निपटने में सहयोग देने उनकी पहली जिम्मेदारी है। भाजपा की तरह कांग्रेस ने अपने नेताओं को कोरोना के रोकथाम के लिए सीएम सहायता कोष में दान देने के लिए कहा है। इसी सब को देखते हुए किसी समझदार ने बहुत पहले कहा था- गुप्तदान महाकल्याण..!

तबलीगी जमात
छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक मस्जिद में ठहराए गए तबलीगी जमात के लोगों में से एक के कोरों पॉजि़टिव निकल जाने के बाद अब इस संस्था के बारे में सच-झूठ कई कि़स्म की बातें फैल रही हैं।

एक शब्द चर्चा में है और वो है 'तबलीगी जमात'। कुछ दिनों पहले ही दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात का कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसमें 2000 के करीब लोग शामिल हुए थे। इसमें शामिल 200 के करीब लोग कोरोना के संक्रमित हो सकते हैं। जिस कार्यक्रम में ये लोग पहुंचे थे उसका नाम है मरकज तबलीगी जमात।

आम तौर पर मोटी बातें सही लिखने वाले विकिपीडिया के मुताबिक़- मरकज, तबलीगी, जमात, ये तीनों शब्द अलग-अलग हैं। तबलीगी का मतलब होता है, अल्लाह के संदेशों का प्रचार करने वाला। जमात मतलब, समूह और मरकज का अर्थ होता है मीटिंग के लिए जगह। यानी की अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला समूह। तबलीगी जमात से जुड़े लोग पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं और इसी का प्रचार-प्रसार करते हैं। इसका मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित है। एक दावे के मुताबिक इस जमात के दुनिया भर में 15 करोड़ सदस्य हैं। 20वीं सदी में तबलीगी जमात को इस्लाम का एक बड़ा और अहम आंदोलन माना गया था।

कहा जाता है कि 'तबलीगी जमात' की शुरुआत मुसलमानों को अपने धर्म बनाए रखने और इस्लाम का प्रचार-प्रसार तथा जानकारी देने के लिए की गई। इसके पीछे कारण यह था कि मुगल काल में कई लोगों ने इस्लाम धर्म कबूल किया था, लेकिन फिर वो सभी हिंदू परंपरा और रीति-रिवाज में लौट रहे थे। ब्रिटिश काल के दौरान भारत में आर्य समाज ने उन्हें दोबारा से हिंदू बनाने का शुद्धिकरण अभियान शुरू किया था, जिसके चलते मौलाना इलियास कांधलवी ने इस्लाम की शिक्षा देने का काम प्रारंभ किया।तबलीगी जमात आंदोलन को 1927 में मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने भारत में हरियाणा के नूंह जिले के गांव से शुरू किया था। हरियाणा के मेवत इलाक़े का हाल यह है की यहाँ की अधिकतर आबादी मुस्लिम दिखाई पड़ती है। 

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