राजपथ - जनपथ
म्युनिसिपल से बेहतर
पंचायत चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन म्युनिसिपल चुनाव से बेहतर रहा है। म्युनिसिपल में तो पार्टी एक भी जगह अपना मेयर-सभापति नहीं बना पाई। मगर जिला पंचायतों में ऐसा नहीं होगा। कम से कम 4 जिला पंचायतों में भाजपा समर्थित अध्यक्ष बनना तय है। इनमें जशपुर, बलरामपुर, कवर्धा और बस्तर है। बाकी कुछ जगहों पर बढ़त के बावजूद अपना अध्यक्ष बनाने के लिए निर्दलियों का समर्थन हासिल करना जरूरी होगा। सुनते हैं कि पंचायत चुनाव के प्रभारी अजय चंद्राकर ने ज्यादा से ज्यादा जिलों में अपना अध्यक्ष बनाने के लिए रणनीति तैयार की है।
कहा जा रहा है कि जिन जिलों में कांग्रेस-भाजपा, दोनों को बहुमत नहीं है, पार्टी वहां निर्दलियों को समर्थन देकर कांग्रेस को रोकने की कोशिश करेगी। यानी हर हाल में कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष न बन पाए, इसके लिए भाजपा नेता एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। और अभी से निर्दलियों से चर्चा भी शुरू हो गई है। अजय की रणनीति सफल रही, तो पांच और जिलों में भाजपा समर्थित अध्यक्ष बन सकते हैं। अजय की रणनीति पूरी तरह सफल भले न हो, लेकिन उन्होंने कांग्रेस के खेमे में हलचल मचा दी है। उन्होंने यह भी दिखाया कि वे अमर अग्रवाल जैसे बेदम नहीं हैं, जो कि खुद प्रभारी थे और अपने ही बिलासपुर म्युनिसिपल के मेयर चुनाव में मैदान छोड़ दिया था।
इंदिरा का पुनर्जन्म !
राजस्थान शादी का एक दिलचस्प कार्ड अभी सामने आया है जिसमें कुछ बातों का मतलब निकालना भी मुश्किल है। वहां के करौली जिले के वैद्य हरिप्रसाद शर्मा (रमल ज्योतिषी) का भेजा कार्ड बताता है कि उन्हें गृहमंत्री अमित शाह से धन्यवाद प्राप्त हुआ है, महामहिम राष्ट्रपति कलाम, अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से धन्यवाद प्राप्त हुआ है। यह भी लिखा है कि रायबरेली संसदीय सीट से वे 1977 में चुनाव लड़े थे, और उन्हें 2703 वोट मिले थे। यह भी लिखा है कि वे भारत के राष्ट्रपति चुनाव में 2012-2017 में उम्मीदवार थे। लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह लिखी हुई है कि इंदिरा गांधीजी पुनर्जन्म स्वरूप पुत्री यमुना के भ्राता का विवाह!
अब इन बातों का जो मतलब निकल सके, निकाल लें।
एक निजीकरण तो हो ही चुका है
केन्द्र सरकार बड़ी-बड़ी सरकारी कंपनियों के निजीकरण में लगी है। एयर इंडिया पूरी ही बिकने जा रही है, और एलआईसी का कुछ हिस्सा बिकने वाला है। ऐसे में रायपुर एयरपोर्ट पर पार्किंग ठेकेदारी के अंधाधुंध भ्रष्टाचार को एयरपोर्ट मैनेजमेंट जिस खूबी से बचा रहा है, उसके चलते लोगों का मानना है कि एयरपोर्ट का निजीकरण जब होना है, तब हो, फिलहाल तो एयरपोर्ट के मुखिया को सरकारी काम से आजाद करके पार्किंग ठेकेदारी में लगाना चाहिए। हैरानी इस बात की है कि रायपुर के भाजपा सांसद सुनील सोनी की अध्यक्षता में इस एयरपोर्ट के लिए बनी कमेटी के सामने भी इस भ्रष्टाचार के बारे में दर्जनों लोगों ने बताया है, लेकिन एयरपोर्ट मैनेजर की ताकत के सामने सांसद पानी भरते नजर आते हैं। यह भी संभव है कि अगले चार साल पार्किंग ठेकेदारी करने के बाद मैनेजर रायपुर से चुनाव लड़कर भी जीत जाए।
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