राजपथ - जनपथ
एक काबिल के आने का फर्क
रेणु पिल्ले के डीजी बनने के बाद से प्रशासन अकादमी का माहौल बदला है। अब तक एक हजार अफसर अकादमी में टे्रनिंग ले चुके हैं। ट्रेनिंग क्वालिटी में काफी सुधार आया है। यही वजह है कि टे्रनिंग ले रहे नए-पुराने अफसर अकादमी की क्लास में पूरी दिलचस्पी लेते नजर आते हैं। जबकि पहले ट्रेनिंग क्वालिटी ठीक नहीं थी। इसके चलते अनुशासनहीनता भी बढ़ गई थी। क्लास में प्रशिक्षु अफसर लेक्चर पर ध्यान देने के बजाए मोबाइल पर वीडियोगेम खेलना ज्यादा पसंद करते थे।
आईएएस की 91 बैच की अफसर रेणु पिल्ले को डीजी का काम संभाले सालभर हो गए हैं। उनकी गिनती बेहद ईमानदार और अनुशासनप्रिय अफसरों में होती है। वे सुबह ठीक 10 बजे अकादमी पहुंच जाती हैं। उनकी वजह से अकादमी का स्टाफ भी समय पर आने लगा है। वैसे तो रेणु पिल्ले घर से लंच बॉक्स लेकर आती हैं, यदि लंच बॉक्स लेकर नहीं आईं, तो अकादमी के कैंटीन में लंच करती हैं और बिल का भुगतान भी खुद करती हैं। उनके आने से पहले अकादमी के स्टाफ की मुफ्तखोरी की आदत पड़ चुकी थी, लेकिन डीजी की ईमानदारी का असर स्टाफ पर भी हुआ है, और उन्होंने भी मुफ्तखोरी बंद कर दी।
प्रशासन अकादमी में व्यवस्था ठीक करने के नाम पर खरीदी-बिक्री का खेल चलता रहा। सुनते हैं कि अकादमी के एक अफसर ने अलग-अलग प्रयोजन पर करीब 5 करोड़ का बजट प्रस्ताव डीजी रेणु पिल्ले को दिया था। मगर रेणु पिल्ले ने गैरजरूरी खर्चों पर रोक लगाकर बजट को 7 करोड़ से घटाकर 17 लाख कर दिया। जबकि उनसे पहले एक अफसर ने तो केन्द्र से मिली राशि से फर्नीचर खरीद लिया था। चूंकि पिछली सरकार में उनका काफी दबदबा था। इसलिए उनके मातहत असहमति के बावजूद इसका विरोध नहीं कर पाए और वे अपना हाथ साफ कर निकल गए। ऐसे में रेणु पिल्ले की साफ-सुथरी कार्यशैली से हर कोई प्रभावित दिख रहा है, क्योंकि उसका असर दिख रहा है। ([email protected])