राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अपनी पार्टी से तिरछे-तिरछे- 1
06-Oct-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अपनी पार्टी से तिरछे-तिरछे- 1

अपनी पार्टी से तिरछे-तिरछे- 1

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर विधानसभा के विशेष सत्र में ड्रेस कोड में न आकर पूर्व मंत्री अमितेश शुक्ल ने पार्टी हाईकमान की नाराजगी मोल ले ली है। सदन में सत्ता और विपक्ष के सदस्य एक जैसे ही पोशाक पहनकर आए थे। अमितेश ने विशेष पोशाक तो सिलवाई थी, लेकिन पहनकर नहीं आए। बाकी सदस्यों की तरह अमितेश की पोशाक का खर्च भी शायद विधानसभा ने ही उठाया था। उन्हें सादे कपड़ों में देखकर विपक्षी सदस्यों ने काफी चुटकी ली। खास बात यह है कि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत की पहल पर गांधी जयंती को यादगार बनाने के लिए पहली बार देश के किसी राज्य में विशेष सत्र बुलाया गया, इसकी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हो रही है। ऐसे मौके पर अमितेश के असंयमित व्यवहार ने पार्टी नेताओं को नाराज कर दिया। वे सदन में बोलने का मौका नहीं मिलने पर एक बार बहिर्गमन भी कर गए। सुनते हैं कि अमितेश के तौर-तरीकों से प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत भी नाखुश बताए जाते हैं, जो कि अब तक उनके प्रति विशेष सद्भावना रखते रहे हैं। 

जोगी परिवार नामौजूद
दो दिनी विशेष सत्र में जोगी दंपत्ति की गैर मौजूदगी भी चर्चा में रही। चर्चा है कि अजीत जोगी, फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्रकरण की कानूनी लड़ाई में व्यस्त थे, तो डॉ. रेणु जोगी, अपने पुत्र अमित जोगी के जेल में होने के कारण परेशान चल रही थीं। हालांकि एक महीने जेल में रहने के बाद अमित को जमानत मिल गई, लेकिन तब तक सत्र का समापन हो चुका था। 

अपनी पार्टी से तिरछे-तिरछे-2
प्रदेश भाजपा ने यह फैसला तो ले लिया है कि कांग्रेस के साथ भाजपा नेता किसी भी टीवी डिबेट अथवा अन्य संवाद में शामिल नहीं होंगे। मगर, पार्टी के नेता इसकी परवाह नहीं कर रहे हैं। पार्टी के इस फरमान की पार्टी-प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी ने धज्जियां उड़ा दी। दो दिन पहले उन्होंने गोदड़ीधाम के एक कार्यक्रम में सीएम भूपेश बघेल का न सिर्फ स्वागत किया बल्कि उन्होंने साथ फोटो खिंचवाने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने भी हंसकर उनके साथ फोटो खिंचवाया, साथ ही सुंदरानी पर चुटकी भी ली कि फोटो दिल्ली भेज देना...। मगर, सुंदरानी इससे बेपरवाह रहे और पूरे कार्यक्रम में सीएम के आगे-पीछे होते रहे और उनके साथ मजाक करते दिखे। 

राम के रूप अनेक
पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में गांधी पर चर्चा होते-होते गोडसे और सावरकर से होते हुए राम पर पहुंच गई। अब राम तो हर किस्म की परिस्थिति में इस तरह इस्तेमाल किए जाते हैं कि कण-कण में राम की बात सही लगती है। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे के राम और भाजपा के राम का फर्क बहस का सामान बन गया, और कांग्रेस, भाजपा के लोग कुछ इस तरह एक-दूसरे पर टूट पड़े कि तुम्हारा राम मेरे राम से अधिक उजला कैसे? राम की भक्ति किसी डिटर्जेंट की झकास सफेदी जैसी हो गई, और लोग अपने किस्म के, अपनी पसंद के राम के गुणगान में लग गए। लोगों को हिन्दी कहावत-मुहावरे का कोष या लोकोक्ति कोष देखना चाहिए कि राम का कितनी तरह का इस्तेमाल भाषा में होता है। पहली मुलाकात पर राम-राम से लेकर गोली खाने के बाद की बिदाई के हे राम तक, राम के अनगिनत रूप हैं। रामचरित मानस राम के व्यक्तित्व के सैकड़ों पहलू अलग-अलग घटनाओं में इस तरह बताता है कि मानो किसी हीरे के सैकड़ों पहलू हों। अब जो जिधर से देखे उसे राम वैसे ही दिखते हैं, और छत्तीसगढ़ में जहां हत्यारा गोडसे गोडसेजी हो गया है, वहां पर तो हर व्यक्तित्व के एक से अधिक पहलू दिखाई पड़ रहे हैं। भाजपा के सबसे दिग्गज विधायकों में से एक, और संसदीय कार्य मंत्री रहे हुए अजय चंद्राकर ने किसी चूक के तहत गोडसेजी नहीं कहा था, यह उनका सोचा-समझा बयान था, और इस बयान पर रामनाम की कौन सी कहावत या कौन से मुहावरे को ठीक समझा जाए, यह सोचकर देखें। ([email protected])

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