बड़े नेता और छोटे चुनाव!
नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा इस हफ्ते हो सकती है। भाजपा ने प्रत्याशी चयन के लिए मापदण्ड भी तय कर लिए हैं। रायपुर जैसे बड़े नगर निगमों में पार्टी विधानसभा टिकट के दावेदार रहे नेताओं को वार्ड चुनाव लड़ा सकती है।
सुनते हैं कि कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में पिछले दिनों पार्टी संगठन के नेताओं की अनौपचारिक बैठक हुई। जिसमें प्रत्याशी चयन से लेकर प्रचार की रणनीति पर चर्चा की गई। विशेषकर नगर निगमों में पार्टी के सीनियर नेताओं को चुनाव मैदान में उतारने का मन बनाया गया है ताकि मेयर प्रत्याशी को इसका फायदा मिल सके। रायपुर मेयर पद महिला, और बिलासपुर पिछड़ा वर्ग आरक्षित है।
पार्टी की सोच है कि यदि मेयर प्रत्याशी कमजोर रहे, तो भी वार्ड में मजबूत पार्षद प्रत्याशी होने से मेयर प्रत्याशी को इसका फायदा मिल सकता है। हालांकि रायपुर में विधानसभा टिकट के दावेदार नेता निगम-मंडलों में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। ये नेता पार्षद चुनाव लडऩे के लिए तैयार होंगे या नहीं, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
मंत्रियों की तल्खी, अब तक चार
कोरबा, जांजगीर-चांपा सहित अन्य जिलों में माइक्रो फाइनेंस और चिटफंड कंपनियों के जाल में फंसकर हजारों महिलाओं पर लगभग 125 करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ गया है। ये महिलाएं मुख्यत: रोज़ी-मजदूरी या छोटे-मोटे व्यवसाय करने वाली हैं। माइक्रो फाइनेंस कंपनियां बिना जमीन-ज्वेलरी गिरवी रखे, केवल आधार कार्ड के आधार पर 25-30 हजार रुपये तक का लोन देती हैं।
एक फ्रॉड कंपनी, फ्लोरा मैक्स ने इन महिलाओं से यह कहकर लोन निकलवाया कि वह इस रकम से व्यवसाय करेगी और अच्छा मुनाफा देगी। अब कंपनी के लोग कर्ज की रकम लूटकर फरार हैं। फाइनेंस कंपनियां इन महिलाओं पर कर्ज चुकाने का दबाव बना रही हैं, जिससे उनकी परेशानियां बढ़ गई हैं। महिलाओं की रातों की नींद उड़ गई है, वे घबराई हुई हैं, और परिवारों में कलह बढ़ रहा है।
पहले ये महिलाएं रायपुर में प्रदर्शन कर चुकी हैं, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। अब जब वसूली एजेंटों का दबाव बढ़ा, तो उन्होंने कोरबा में कृषि मंत्री रामविचार नेताम और उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन को घेर लिया। महिलाएं कर्ज माफी की मांग कर रही थीं, जबकि मंत्री समझा रहे थे कि ऐसा संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कंपनी के लोगों को पकडक़र उनसे पैसा वसूलने का प्रयास किया जाएगा।
हालांकि, यह भी व्यवहारिक नहीं लगता। भाजपा सरकार के कार्यकाल में चिटफंड कंपनियों ने हजारों करोड़ रुपये की उगाही की थी। कांग्रेस सरकार ने इस मुद्दे पर काम शुरू किया, लेकिन अब तक पीडि़तों को 3-4 प्रतिशत रकम भी वापस नहीं मिल सकी है।
कोरबा में, मंत्री संयमित आचरण नहीं रख पाए। महिलाओं से उनका बर्ताव ठीक नहीं था। लखन लाल देवांगन ने तो महिलाओं को ‘फेंकवा देने’ तक की धमकी दे दी। इससे पहले, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल झोलाछाप डॉक्टरों के मामले में और मंत्री केदार कश्यप नारायपुर के छात्रावासों की दुर्दशा के मामलों में इसी तरह तल्खी दिखा चुके हैं। अब ऐसे मंत्रियों की संख्या बढक़र चार हो गई है, जो जनता के सवालों पर धीरज खो रहे हैं।
सत्तारूढ़ संगठन चुनाव, किसकी चली?
भाजपा के जिला अध्यक्षों के चुनाव निपट गए। सोमवार को कवर्धा जिलाध्यक्ष का चुनाव हुआ। पिछले कुछ दिनों से राजनांदगांव, और कवर्धा जिलाध्यक्ष के चुनाव को लेकर स्थानीय नेताओं में खींचतान चल रही थी। विवाद इतना ज्यादा था कि दोनों जिलों के चुनाव हफ्तेभर टालने पड़े।
राजनांदगांव में स्थानीय सांसद संतोष पाण्डेय, अपने समर्थक सौरभ कोठारी को जिलाध्यक्ष बनवाना चाहते थे। इससे पूर्व सीएम रमन सिंह के समर्थक सहमत नहीं थे। आखिरकार रमन सिंह की पसंद पर कोमल सिंह राजपूत को जिले की कमान सौंपी गई, और सौरभ कोठारी को महामंत्री बनाया गया। दिलचस्प बात यह है कि राजनांदगांव अकेला जिला है जहां अध्यक्ष के साथ महामंत्री भी घोषित किए गए।
कुछ इसी तरह कवर्धा जिलाध्यक्ष को लेकर भी खींचतान चल रही थी। कवर्धा जिलाध्यक्ष के मसले पर डिप्टी सीएम विजय शर्मा, सांसद संतोष पाण्डेय, और विधायक भावना बोहरा के बीच आपस में सहमति नहीं बन पा रही थी। विजय शर्मा, देवकुमारी चंद्रवंशी को अध्यक्ष बनवाना चाह रहे थे, तो संतोष पाण्डेय, और भावना बोहरा, राजेन्द्र चंद्रवंशी को अध्यक्ष बनाने पर जोर दे रहे थे।
आखिरकार प्रदेश संगठन के हस्तक्षेप पर विजय शर्मा को पीछे हटना पड़ा, और राजेन्द्र चंद्रवंशी को अध्यक्ष घोषित किया गया। इस बार जिलाध्यक्षों के चयन में सरकार के ज्यादातर मंत्रियों की नहीं चली है। चर्चा है कि मंत्रियों के जिलों में उनके विरोधी माने जाने वाले नेता संगठन के मुखिया बने हैं। ऐसे में मंत्रियों के इलाके में एक अलग पॉवर सेंटर बन गया। अब संगठन किस तरह चलता है, यह देखना है।
महाकुंभ में छत्तीसगढ़
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में छत्तीसगढ़ सरकार ने एक विशेष पंडाल का निर्माण किया है। यह राज्य की संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करता है। प्रवेश द्वार पर गौर मुकुट की सजावट और छत्तीसगढ़ के आध्यात्मिक स्थलों, आदिवासी कला, पारंपरिक आभूषण, वस्त्र और ग्रामीण जनजीवन की झलक है। पंडाल को छत्तीसगढ़ के विविध रंगों से सजाया गया है। पंडाल में वर्चुअल रियलिटी हेडसेट और 180 डिग्री वीडियो डोम के माध्यम से छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति की जानकारी भी साझा की जा रही है।
भाजपा-कांग्रेस के कई प्रमुख नेता अपना वार्ड आरक्षित होने के बाद अड़ोस-पड़ोस के वार्डों में अपनी संभावना तलाश रहे हैं। इसका वहां अभी से विरोध शुरू हो गया है। स्वामी आत्मानंद वार्ड के लोगों ने तो बकायदा एक बोर्ड लगाकर राजनीतिक दलों से आग्रह किया है कि बाहरी व्यक्ति को प्रत्याशी न बनाया जाए...।