सारंगढ़-बिलाईगढ़

तीजहारिनों ने निर्जला व्रत रख की गौरी-शंकर की पूजा
20-Sep-2023 7:43 PM
तीजहारिनों ने निर्जला व्रत रख की गौरी-शंकर की पूजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

सारंगढ़, 20 सितम्बर। सोमवार  को सुहागिन स्त्रियों ने निर्जला व्रत रखकर एवं रात्रि जागरण कर पति की लंबी उम्र की कामना की। इस व्रत को सौभाग्यवती महिलाओं के साथ कुंवारी युवतियां भी अच्छे पति की प्राप्ति के रखते हैं। पूरे दिन निराहार का व्रत है जिसमे एक बूंद जल भी ग्रहण नहीं करते है।

इस संबंध में पं.दीपक पाठक ने बताया कि हमारे पौराणिक शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को हरतालिका तीज इसी लिए कहते हैं कि- पार्वती की सखी उन्हें पिता से हर कर घनघोर जंगल में ले गई थी। हरत अर्थात हरण करना और आलिका अर्थात सखी, सहेली। कथा में बताया गया है कि - यह मां पार्वती को समर्पित अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी पर्व हरतालिका तीज है। भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है।

सोमवार व्रतधारी सुहागिनो द्वारा अपने दिन की शुरुवात परंपरा का पालन करते हुए चिरचिटा की दातुन से की इसके बाद स्नान एवं घरेलू पूजन के समय सुबह 24 घण्टे चलने वाले कठोर व्रत संकल्प लेकर पालन करती रही। शाम होते ही उनके द्वारा सोलह श्रृंगार कर नियत स्थान पर एवं शिव मंदिरों मे सामुहिक एकत्र होकर पूजन किये। फुलहरा सजाया और भगवान शिव गौरी की प्रतिमा स्थापित कर मेहंदी कुमकुम समेत सभी प्रकार की सुहाग की समाग्री सहित नई साड़ी अर्पित कर पूजन किया गया और देर रात्रि तक भजन कीर्तन का दौर चला। वही व्रतियों ने भगवान की सेवा में रात्रि जागरण किया वे रात भर भक्तिमय भजनों से फुलहरा को झूलाते हुये भगवान की सेवा करती रही।

मंगलवार को 24 घंटे तक चलने वाले निर्जला एवं कठोर तप का समापन हुआ एवं सुबह भगवान विसर्जन के बाद मायके से आया तीजा बासी रोटी अरसा, ठेठरी , खुरमी एवं गुझिया का प्रसाद ग्रहण कर फलाहल कर व्रत का परायण की।


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