सारंगढ़-बिलाईगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भटगांव, 27 दिसंबर। सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले का भटगांव नगर का बड़ा तालाब जिसे जमींदारी शासन में खुदवाया गया था जिसका बड़ा ही धार्मिक महत्व है । इनसे लोगों की जनभावनाएं जुड़ी हुई है। लगभग 25-30 एकड़ में फैला हुआ है।
साफ सफाई के अभाव में अपनी अस्तित्व की लड़ाई लडऩे के लिए मजबूर है, लेकिन इसका अस्तित्व बचाने ना किसी का हाथ आगे आ रहा है, और ना किसी की जुबान से आवाज निकल रही है। इसकी फरियाद की गूंज शासन प्रशासन और जिम्मेदार लोगों को भी सुनाई नहीं दे रही है।
नगर में निस्तारी के लिए तालाब बहुत है अधिकांश तालाबों से सिंचाई की जाती है गर्मी के मौसम आते-आते सूख जाती है नगर में लगभग 20 हजार आबादी होने के कारण इसी तालाब से नगरवासियों का निस्तारी होता है। नगर में धार्मिक आयोजन करने के बाद देवी देवताओं का इसी तालाब में विसर्जन किया जाता है। इसी कारण लोगों का जनभावनाएं जुड़ी हुई है।
जमींदारी शासन में खुलवाया हुआ तालाब साफ-सफाई के अभाव में दिन प्रतिदिन तालाब का पानी गंदा होते जा रहा है कुछ साल पहले यहां का पानी भोजन बनाने में उपयोग किया जाता था, लेकिन यहां का गंदा पानी मुंह में डालने लायक भी नहीं है। शासन प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा तालाब का साफ-सफाई को लेकर नजरअंदाज किया जा रहा है अगर समय रहते तालाब का साफ सफाई नहीं किया गया तो निश्चित ही एक दिन नगरवासियों को किसी गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।
उल्लेखनीय है कि यह तालाब निजी होने के कारण शासन-प्रशासन द्वारा साफ सफाई को लेकर गंभीर नहीं है तालाब पार में बने कुछ सामाजिक भवन में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसका कूड़ा करकट भी इस तालाब में डाल दिया जाता है, जिसके कारण यहां का पानी और भी गंदा हो जाता है। वहीं तालाब से लगे डबरी के किनारे बसे रहवासियों का घर के सेप्टिक टैंको का मल मूत्र एवं कूड़ा करकट का केंद्र बना हुआ है और आसपास के होटल एवं मकान से गंदगी डबरी तालाब में डाल दिया जाता है, जो डबरी होते हुए बड़ा तालाब में पहुंचता है, जिसके कारण तालाब का पानी गंदा होने का मुख्य कारण भी है। तालाब में मछली पालन में कई प्रकार का अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग किया जाता है।


