राजपथ - जनपथ
शांडिल्य, अच्छी साख, देखा-भाला काम
आईएएस की वर्ष-2003 बैच की रिटायर्ड अफसर सुश्री रीता शांडिल्य को सरकार ने पीएससी की कमान सौंपी है। पूर्व राजस्व सचिव रीता को पहले कार्यकारी अध्यक्ष, और अब पूर्णकालिक अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। दरअसल, टामन सिंह सोनवानी का कार्यकाल खत्म होने के बाद से पीएससी अध्यक्ष का पद खाली था, और कार्यकारी के भरोसे चल रहा था।
राज्य बनने के कुछ समय बाद ही पीएससी भर्तियों में गड़बड़ी को लेकर सुर्खियों में रहा है। दिवंगत खेलन राम जांगड़े, और अमोल सिंह सलाम सहित कुछ पीएससी के सदस्यों पर भर्तियों में गड़बड़ी को लेकर आरोप लगे थे। वर्ष-2005 की भर्ती में तो गड़बड़ी साबित भी हुई, लेकिन अभ्यार्थियों को नौकरी से नहीं निकाला जा सका। इस प्रकरण पर अभ्यार्थियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली हुई है।
बाद में पीएससी की भर्तियों में गड़बड़ी को रोकने की दिशा में थोड़ी बहुत कोशिश भी हुई। मगर पिछली सरकार में टामन सिंह सोनवानी के अध्यक्ष बनने के बाद, तो सारी कोशिशों पर पानी फिर गया। ये अलग बात है कि वर्ष-2023 की भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी मामले पर सोनवानी खुद जेल में हैं। अब रीता शांडिल्य पर पीएससी भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने का दारोमदार है।
पूर्व आईएएस रीता शांडिल्य की साख अच्छी रही है। वो पीएससी की कार्यप्रणाली से वाकिफ रही हैं। रीता करीब 5 साल पीएससी की सचिव पद पर काम कर चुकी हैं। बताते हैं कि पिछली सरकार में भी टामन सिंह सोनवानी की जगह रीता को चेयरमैन बनाने की चर्चा चली थी। मगर बाद में सदस्य डॉ. प्रवीण वर्मा को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया। अब भी पीएससी से भर्तियों को लेकर थोड़े बहुत विवाद चल रहे हैं। देखना है कि रीता, पीएससी को लेकर भरोसा कायम रखने में कितनी सफल रहती हैं।


