राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 28 अप्रैल। भाजपा नेता अशोक चौधरी ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि 1960 का पाकिस्तान के साथ हुआ सिंधु जल समझौता से ज्ञात हुआ कि भारत ने सिंधु जल समझौता में तीन नदियों का 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को दे दिया। जिसके कारण पंजाब और जम्मू कश्मीर में आज तक पानी का संकट बना हुआ है। समझ में नहीं आता कि 1947 के बंटवारे में पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए दिया गया, वह एक मजबूरी थी और 1960 के जल समझौते में 12 हजार करोड़ रुपए पानी को समुचित उपयोग में लाने पाकिस्तान में नहर बनाने के लिए इतनी बड़ी धन राशि दी गई।
श्री चौधरी ने कहा कि एक आम भारतीय होने के नाते उसके मन में यह विचार आता है कि ऐसा क्या दबाव था या कि मजबूरी थी या इसे बेवकूफी भरा निर्णय कहेंगे कि 1960 में दिया गया 12 हजार करोड़ जो आज बढक़र एक करोड़ से ज्यादा हो गया है। हमने पाकिस्तान को विकास के लिए दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि 1965 एवं 1971 की लड़ाई पाकिस्तान से हुआ। जिसमें भारत विजय भी हुआ, लेकिन ग्राउंड में वास्तविक जीत पाकिस्तान की हुई । लड़ाई जीतने के बाद टेबल पर जो समझौता हुआ, उसमें हम हार गए। उस समय सिंधु जल समझौता यदि रद्द हुआ होता तो पाकिस्तान की वह औकात ही नहीं होती कि आज वह आतंकी संगठन चला पाता- कारगिल युद्ध के बाद अटल बिहारी वाजपेयी जैसे समझदार नेताओं से भी गलती हुई कि पाकिस्तान को माफ कर दिया गया।
पहलगाम की घटना के बाद जो निर्णय मोदी की सरकार ने जल समझौता समाप्त करके दिया है, उसमें जल्द से जल्द क्रियान्वयन होना चाहिए। पाकिस्तान को सबक सिखाने पानी का भारत में रोकना असंभव तो नहीं है, लेकिन मुश्किल जरूर है, यह कार्य प्रमुखता से करना आवश्यक है। भारत को पाकिस्तान से आयात की जाने वाले और निर्यात किए जाने वाले वस्तुओं पर शक्ति से रोक लगाना भी आवश्यक है। भारत को 1960 जल समझौता में दिए गए राशि को भी वापस पाकिस्तान से मांगना चाहिए। हमारे शासनाध्यक्षों की उदारता का गलत फायदा पाकिस्तान ने उठाया है, इसका परिणाम पाकिस्तान को भुगतना पड़ेगा। पूरे देश की जनता विश्व का जनमत भारत के साथ है, इसका लाभ श्री मोदी को उठाना चाहिए।
यदि पूर्व की कांग्रेस सरकार की भांति सिर्फ हल्ला कर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो भारत सरकार के ऊपर से लोगों का विश्वास उठ जाएगा। जनता अपने को असहाय समझेगी, जो भारत जैसे उन्नतशील देश के लिए अच्छा नहीं होगा।


