राजनांदगांव

अडानी की कंपनी में 20 हजार करोड़ किसके हैं-आफताब
27-Mar-2023 3:10 PM
अडानी की कंपनी में 20 हजार करोड़ किसके हैं-आफताब

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 27 मार्च।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस सचिव आफताब आलम ने कहा कि आज देश जानना चाहता है कि अडानी की शैल कंपनियों में 20 हजार करोड़ अचानक कहां से आए?
ज्ञात हो कि मोदी सरकार के निर्देश पर ही देश के सबसे बड़े तीन सार्वजनिक उपक्रम भारतीय जीवन बीमा निगम, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया व पंजाब नेशनल बैंक ने देश की जनता के करोड़ों रुपए अडानी की कंपनी में निवेश किया है। हिडनबर्ग रिपोर्ट में जिस प्रकार से अडानी और उसके कंपनी आर्थिक अनियमितताओं की पोल खोली है। जिसके बाद बाजार में अडानी के शेयर खतरनाक ढंग से गिर गए।

सबसे चांैकाने वाली बात यह है कि एलआईसी शेयर के मूलधन में करीब 11 प्रतिशत गिरावट है। आज देश का हर दूसरा नागरिक कहीं न कहीं इन तीन सार्वजनिक सरकारी उपक्रम से जुड़ा हुआ अर्र्थात निवेशधारी है। अडानी कंपनी को हुए उस नुकसान की भरपाई के लिए गिरती अडानी की शैल कंपनी में 20 हजार करोड़ अचानक कहां से आ गए?

यही बात जब देश और जनता के प्रति एक जवाबदार नेता सांसद राहुल गांधी  लोकसभा में सवाल पूछना चाहता है, तो उसका माईक बंद कर दिया जाता है, तथा लोकसभा अध्यक्ष सवाल पूछने की इजाजत नहीं देते हंै। साथ ही आनन-फानन में 8 साल पुराने लंबित केस में एक माह के भीतर सजा हो जाती है। सजा के फैसले के कुछ घंटों के भीतर लोकसभा अध्यक्ष उक्त सांसद की सदस्यता खत्म करने का ऐलान कर देते हैं।

यह निश्चित तौर पर मोदी सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर देश की जनता के पैसे दुरूपयोग किया गया प्रतीत होता है, जिस प्रकार एक दिन में नोटबंदी में हजार और 500 के नोट चलन से बाहर कर दिए गए। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता हैै कि अचानक अडानी कंपनियों में निवेशित तीनों सरकारी उपक्रम एलआईसी, एसबीआई एवं पीएनबी ने हाथ खड़े कर दिए तो ऐसी दशा में निवेशधारी की स्थिति क्या होगी।

श्री आलम ने कहा कि जहां तक लोकतंत्र बचाने की बात है तो अब यह सिर्फ राजनीतिक पार्टियों की जिम्मेदारी नहीं है। यह अब हर उस आम भारतीय की जिम्मेदारी है जो हिन्दूत्व और राष्ट्रवाद के नाम से पिछले 8 सालों से छला जा रहा है। विगत आठ सालों में मोदी के लच्छेदार भाषण महंगाई और बेरोजगारी के सामने छलावा साबित हुए हैं। यह स्पष्ट है कि भाषणों से महंगाई और बेरोजगारी दूर नहीं हो सकती। इसके लिए एक ठोस अर्थव्यवस्था की आवश्यकता है, जो सिर्फ कांग्रेस प्रदान कर सकती है।


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