राजनांदगांव

महुआ-तेंदूपत्ता संग्राहकों पर मच्छरों का कहर
03-Jun-2022 12:04 PM
महुआ-तेंदूपत्ता संग्राहकों पर मच्छरों का कहर

कोरोनाकाल में नांदगांव-कवर्धा सीमा के गांवों में मच्छरदानी वितरण में लगी रोक से फैल रहा मलेरिया

प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 3 जून (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। 
राजनांदगांव-कवर्धा सीमा के गांवों में महुआ-तेंदूपत्ता संग्राहकों पर मच्छर कहर ढहा रहे है। महुआ और तेंदूपत्ता तोड़ाई में लगे संग्राहक को वनसंपदा के संग्रहण के दौरान मच्छरों के डंक मारने से बीमार हो गए हैं। राजनांदगांव व कवर्धा जिले के कई गांवों में मलेरिया की शिकायत बढ़ती जा रही है।

बताया जाता है कि मच्छरों के काटने के कुछ दिन बाद गांवों में महुआ और तेंदूपत्ता तोडऩे में लगे संग्राहक बुखारग्रस्त हो गए हैं। रक्त के नूमनों की जांच में मलेरिया की पुष्टि होने के बाद वन बांशिदें उपचार करा रहे हैं। राजनांदगांव के साल्हेवारा तथा कवर्धा के रेंगाखार इलाके में मलेरिया ने तेजी से पांव पसार लिया है। मलेरिया से बचाव के लिए ग्रामीण अपने स्तर पर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन  कोरानाकाल में दो साल से मच्छरदानी का वितरण नहीं होना भी इलाके में मलेरिया फैलने का असल वजह बनता जा रहा है।

कोरोनाकाल से पहले हर साल बारिश से पहले वनक्षेत्रों में मच्छरदानी बांटी जाती थी। वहीं मच्छरों पर काबू पाने के लिए डीडीटी का छिडक़ाव भी कोरोना पाबंदी के चलते अब तक शुरू नहीं हो पाया है। कवर्धा के घोर नक्सल प्रभावित बोल्दा के रहने वाले केवल यादव  भी मलेरिया ग्रस्त हैं। उनके मुताबिक महुआ संग्रहण के लिए रतजगा करने के दौरान मच्छरों का कहर रहा। इसी तरह तेन्दूपत्ता तोड़ाई के दौरान भी पत्ते में छुपे मच्छरों ने संग्राहकों को डंक मारा। ग्रामीणों का कहना है कि मच्छरदानी नहीं होने के कारण भी मलेरिया पैर पसार रहा है। वहीं डीडीटी का स्प्रे नहीं होने से भी मच्छर पनप रहे हैं।

गौरतलब है कि राजनंादगांव और कवर्धा जिले के सरहद का ज्यादातर हिस्सा घने जंगलों में घिरा हुआ है। शुरूआती बारिश में ही इलाके में मच्छर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। इस साल तेन्दूपत्ता और महुआ की अच्छी पैदावार होने से संग्राहकों ने जंगलों में काफी वक्त बिताया है। संग्रहण के बीच मच्छरों ने वन बाशिंदों को खूब डंक मारे। अब मलेरिया  के चपेटे में आने से ग्रामीण स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहे हैं।


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