राजनांदगांव

चुनाव की घोषणा से पहले घमासान
25-Jan-2022 12:16 PM
चुनाव की घोषणा से पहले घमासान

  पदमा को प्रत्याशी बनाए जाने के खिलाफ हैं  खैरागढ़-गंडई के सरपंच 
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 25 जनवरी।
खैरागढ़ उपचुनाव को लेकर बढ़ती सियासी सरगर्मी के बीच दिवंगत विधायक स्व. देवव्रत सिंह की तलाकशुदा पत्नी के विधानसभा टिकट के लिए दावेदारी पेश करने पर गंडई-खैरागढ़ क्षेत्र के सरपंचों ने खुलेआम विरोध शुरू कर दिया है। सरपंचों का कहना है कि पत्नी का दर्जा खोने के बाद भी पदमा सिंह देवव्रत की राजनीतिक विरासत को सम्हालने के लिए जोर लगा रही है। कानूनी और नैतिकता के आधार पर देवव्रत से उनके संबंध विच्छेद हो गए। सरपंचों का आरोप है कि पदमा सिंह के मन में सियासी नेतृत्व करने की भावना पैदा हो गई है। जिसका सभी विरोध कर रहे हैं।

सोमवार को सरपंच संघ के अलग-अलग पंचायतों के सरपंचों ने पदमादेवी को देवव्रत सिंह की बुरी गत करने का जिम्मेदार ठहराते मीडिया से कहा कि 12 वर्ष पूर्व देवव्रत सिंह के उनका तलाक हो गया था। तलाक के बाद देवव्रत से पदमादेवी ने 11 करोड़ रुपए लेकर क्षेत्र के लोगों की भावनाओं को चूर-चूर कर दिया। अब उनके आकस्मिक निधन के बाद वह उपचुनाव के लिए कांग्रेस से प्रत्याशी बनने के लिए टिकट मांग रही है। उनका यह दावा गलत है कि क्षेत्र के सरपंचों ने टिकट के लिए सहमति दी है।  
दर्जनभर सरपंचों ने पत्रकारवार्ता लेकर आरोप लगाया कि तलाक के बाद पदमा स्थानीय होने का दर्जा खो चुकी है। उनका अब बच्चों के आड़् में राजनीति करने का रवैया लोगों को रास नहीं आ रहा है। सरपंचों ने कहा कि 2007 के उपचुनाव में देवव्रत के जीवित रहते पदमा चुनाव लडक़र बुरी तरह हार चुकी है। ऐसे में उनका टिकट को लेकर दावा करना क्षेत्र की जनता का अपमान है।

गौरतलब है कि पदमादेवी सिंह के तलाक के बाद ही देवव्रत सिंह ने मौजूदा पत्नी विभा सिंह से दोबारा विवाह किया था। उनका दूसरा वैवाहिक जीवन भी निजी कारणों से उथल-पुथल रहा। देवव्रत सिंह के  निधन के बाद से खैरागढ़ राजघराने की पुश्तैनी जायदाद को लेकर पदमा और विभा के बीच अदालती लड़ाई चल रही है। इधर उपचुनाव की तारीख को लेकर सुगबुगाहट शुरू होते ही पदमादेवी ने खुद को देवव्रत की सियासी बागडोर सम्हालने का असल दावेदार के रूप में पेश किया है।

सरपंचों ने आरोप में कहा कि देवव्रत की खराब दुर्दशा की शुरूआत पदमादेवी से ही शुरू हुई थी। सरपंचों ने खैरागढ़ विधानसभा के संभावित उपचुनाव के लिए किसी भी जाति को टिकट देने की मांग की है। बशर्ते वह स्थानीय व क्षेत्रीय नागरिक हो। सरपंचों का कहना है कि पदमादेवी सिंह तलाक लेने के बाद से बाहरी हो गई है। ऐसे में उनको टिकट दिए जाने का विरोध लगातार जारी रहेगा। सरपंचों ने पदमादेवी के उस दावे को खारिज कर दिया। जिसमें 100 सरपंचों द्वारा टिकट के लिए समर्थन पत्र दिया गया है। बहरहाल  पदमादेवी को टिकट मांगने के मामले में सरपंचों के नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ भी पदमादेवी को टिकट दिए जाने के खिलाफ में लामबंद हो गए हैं।

 


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