रायपुर

रायपुर, 4 नवंबर। आचार्यश्री विशुद्ध सागर महाराज ने सन्मति नगर फाफाडीह जैन मंदिर में गुरुवार को अपने संदेश में कहा कि चाहे तुम पूर्व में जन्मे हो या पश्चिम में, चाहे उत्तर में जन्मे हो या दक्षिण में भगवान तभी बन पाओगे जब सदृश्य परिणाम होंगे। चाहे तुम किसी भी वंश में जन्मे हो, परिणाम एक सदृश्य होंगे तब जीव भगवान बनेगा। भगवान बनने की बात तो विशेष है। साधु भगवत तभी बन पाओगे जब प्राणी मात्र के लिए परिणाम आपके एक होंगे। ज्ञानियों सभी जीवों को समान देखना सीखो और समता रखना सीखो।
मिट्टी सबकी एक है। जीवन में कभी यह मत सोचना कि जितने ऊंचे कद वाले हैं पहले मोक्ष जाएंगे। सत्य तो यह है उंचा-निचा कद होने से किसी को मोक्ष नहीं मिलता। मोक्ष उनको मिलता है जिनके भीतर सब कुछ निकल चुका होता है।
आचार्यश्री ने कहा कि जीवन में ध्यान रखना यदि किसी जीव में योग्यता है तो उस जीव का सम्मान रखना, परंतु अयोग्य व्यक्ति को बहुत ऊंचे स्थान पर मत रख देना। जीवन में हमेशा संभल कर जीना, अयोग्य पुरुष को मित्र बना कर बैठ गए तो कुछ दिन आपको बहुत अच्छा लगेगा। वर्तमान में जितने बड़े-बड़े नेता हैं वे सभी गद्दी पर अवश्य हैं लेकिन बुद्धि पढ़े लिखे लोगों से ही लेते हैं।
विशुद्ध वर्षा योग समिति के अध्यक्ष प्रदीप पाटनी एवं महामंत्री राकेश बाकलीवाल ने बताया कि
राग से वैराग्य की ओर अग्रसर तीनों ब्रह्मचारी सौरभ ,निखिल विशाल भैया जी को गुरुवार को तेल, उबटन व हल्दी लगाई गई। इस शुभ अवसर अपने हाथों से सभी ने हल्दी लगाई। फाफाडीह चौक से सन्मति नगर दिगंबर जैन मंदिर तक ब्रह्मचारी भैया जी को रथ में विराजित कर भव्य बिनोली निकाली गई। बाजे-गाजे रथ के साथ सकल दिगंबर जैन समाज रायपुर ने उत्साह पूर्वक बिनोली में शामिल होकर धर्मलाभ लिया।
उन्होंने बताया कि शुक्रवार को गणधर वलय विधान किया गया। शनिवार को प्रात: 11 बजे दीक्षार्थी भाइयों की आहार चर्या होगी। दोपहर 1 आचार्य संघ की पिच्छी का परिवर्तन समारोह आयोजित होगा। रविवार प्रात: 3 बजे दीक्षार्थी भाइयों की केश लोचन क्रिया व प्रात: 6 दीक्षार्थी भाइयों की का शाही स्नान एवं दोपहर 1 बजे दीक्षा संस्कार विधि संपन्न होगी। 7 नवंबर प्रात: 6:30 बजे मुख शुद्धि की जाएगी।