रायपुर

ब्लेक लिस्ट होने के बावजूद प्लेसमेंट कंपनी और आबकारी गठजोड़ ने उसे नियुक्त किया था
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 जुलाई। राजधानी के लालपुर शराब भट्टी से मिलावटी और बिना होलोग्राम वाली शराब बेचने के काले कारोबार के खुलासे के बाद से प्लेसमेंट कंपनी बीआईएस के फरार सुपरवाइजर को गिरफ्तार कर लिया गया है।हालांकि अभी उस पुलिस को नहीं सौंपा गया है आबकारी अधिकारी ही पकड़ कर पूछताछ कर रहे हैं।
विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 22 दिन से फरार दुकान सुपरवाइजर शेखर बंजारे उर्फ चैत्रदास बंजारे को अभनपुर के परसट्टी से गिरफ्तार किया गया है। अब तक की पूछताछ में शेखर बंजारे ने पूछताछ में कई खुलासे किए है। शेखर ने बताया कि ठेका कंपनी के कुछ मुख्य अधिकारियों ने ब्लैकलिस्ट कर्मचारी होने की जानकारी होने के बाद भी आरोपी चेतदास बंजारे को अपने भाई शेखर बंजारे की मार्कशीट,आधारकार्ड और फोटो बदलकर बाकायदा पुलिस वेरिफिकेशन करवाकर दुबारा काम पर रखा और सीधे लालपुर कंपोजिट शराब दुकान पर तैनात किया । विभागीय सूत्रों ने बताया कि शेखर बंजारे ने पूछताछ में खुलासा किया कि दुकान में कभी ऑडिट नहीं किया जाता था। मिलावटी शराब का काम दुकान के पास बने कार्टून स्टॉक रूम में किया जाता था। इस दौरान सीसीटीवी कैमरे जानबूझकर बंद कर दिए जाते थे ताकि कोई सबूत न रहे।
आरोपी ने बताया कि पूरा स्टाफ मिलकर सस्ती शराब को महंगी बोतलों में भरकर बेचता था।यह धंधा सिंडीकेट स्टाइल में चल रहा था और इसमें ठेका कंपनी बीआईएस के सभी सीनियर पदाधिकारियों और सर्किल के आबकारी अधिकारियों तक ‘कट मनी’ पहुंचती थी इसलिए कोई कार्रवाई नहीं होती थी।आरोपी शेखर ने खुलासा किया है कि सर्किल के अधिकारी रोजाना 50 हजार रुपए नगद शराब भट्टी से ले जाते थे जिसकी वजह से भट्टी में 12 लाख रुपए से ज्यादा की रकम गायब मिली है। इसे विभाग ने शार्ट एमाउंट बताया है।आरोपी ने पूछताछ में बड़ा खुलासा किया कि इस पूरे सिंडिकेट में ठेका कंपनी बीआईएस और आबकारी विभाग के कुछ अधिकारी ही नहीं इसमें विभाग की ट्रांसपोर्ट ठेका कंपनी भी शामिल थी।
दरअसल लालपुर भट्टी में सिलतरा सरकारी डिपो से ही बिना स्कैन की शराब उसी कंपनी द्वारा ही चोरी छिपे बिना स्कैन की एक्स्ट्रा शराब पेटी आती थी जिसे शराब भट्टी के बाहर ग्राहकों द्वारा बॉटल के ऊपर लगे होलोग्राम को निकालकर भट्टी की दीवार पर लगाकर चले जाते थे उसे बड़े ही सावधानी से निकालकर बिना होलोग्राम वाली सरकारी शराब की बोतलों में लगाकर पूरा सिंडिकेट चला रहे थे। आरोपी शेखर बंजारे के खिलाफ आबकारी विभाग में मिलावटी शराब और टिकरापारा थाना पुलिस में धोखाधड़ी की धाराओं में एफआईआर दर्ज है।
करना विभाग की भी कही न कही संलिप्तता दर्शाता है। आरोपी शेखर बंजारे के सनसनीखेज चौंकाने वाले खुलासों से इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ठेका कंपनी के जरिए विभाग में पूर्ववर्ती सरकार में हुए बहुचर्चित शराब घोटाले की एक लॉबी सक्रिय है। अब देखने वाली बात इसमें ये होगी कि सुपरवाइजर शेखर के खुलासे के बाद भी आबकारी विभाग ठेका कंपनी के खिलाफ क्या ठोस कार्यवाही करता है।
जून में फूटा घोटाला
बता दे कियह घोटाला जून में उस दौरान शुरू हुआ जब पू्र्व सचिव तीन माह के लंबे अवकाश पर विदेश चली गई। समझा जा रहा है कि उसके बाद ही आबकारी विभाग के राजधानी में पदस्थ मैदानी अमला सक्रिय हुआ। इसमें कुछ लूप लाइन में भेजे गए अधिकारियों की भी भूमिका बताई जा रही है। इनमें से अधिकांश के नाम 21 सौ करोड़ के घोटाले की तैयारचार्जशीट में भी है। इस पूरे मामले का खुलासा 13 जून को आबकारी विभाग ने ही छापेमार कार्यवाही में किया था जिसमें ठेका कंपनी बीआईएस की भूमिका पहले दिन से संदिग्ध नजर आई लेकिन आबकारी विभाग के जिम्मेदारों ने अपने स्थानीय एडीईओ को निलंबित तो कर दिया है लेकिन बीआईएस ठेका कंपनी के खिलाफ अभी तक कार्यवाही सिफर है।